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साहब! 1500 रुपये में बनता है जन्म प्रमाण पत्र, नगर निगम बोर्ड बैठक में पार्षदों ने लगाए गंभीर आरोप; सदन में सन्नाटा

गोरखपुर नगर निगम बोर्ड की बैठक में जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने में देरी और सुविधा शुल्क लिए जाने का मुद्दा गरमा गया। पार्षदों ने निगम प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। नगर आयुक्त ने कार्रवाई का आश्वासन दिया। नगर आयुक्त ने यहां तक आश्वस्त किया कि पार्षद नाम बताते हैं तो सदन में ही संबंधित कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया जाएगा। बैठक में अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

By Arun Chand Edited By: Riya Pandey Updated: Tue, 08 Oct 2024 03:17 PM (IST)
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सदन हाल में नगर निगम बोर्ड की बैठक

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। सातवीं और आठवीं बैठक की कार्यवाही की पुष्टि और छठवीं बैठक की अनुपालन आख्या को मंजूरी के बाद जैसे ही सोमवार की सुबह 11:20 बजे के करीब नगर निगम बोर्ड बैठक आगे बढ़ी सदन हाल का माहौल गरमा गया।

20 से अधिक पार्षदों ने जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के मामले में निगम प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। इसमें सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष के भी पार्षद शामिल रहे। शिवजी नगर के पार्षद सौरभ विश्वकर्मा ने तो यहां तक कह दिया कि 1500 रुपये देकर उन्होंने खुद अपने वार्ड के लोगों का सात से 10 दिन में प्रमाण पत्र बनवाया है।

इस पर नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने जब सुविधा शुल्क लेने वाले कर्मचारियों का नाम पूछा तो कोई आरोपित कर्मचारी का नाम बताने को तैयार नहीं हुआ।

पार्षद नाम बताते हैं तो सदन में ही संबंधित कर्मचारी होगा सस्पेंड

नगर आयुक्त ने यहां तक आश्वस्त किया कि पार्षद नाम बताते हैं तो सदन में ही संबंधित कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया जाएगा। इसी तरह एक बार फिर कार्यवृत्ति और अनुपालन आख्या को लेकर पार्षदों ने सवाल खड़े किए।

आरोप लगाया कि सदन में जो कार्यवाही होती है, कार्यवृत्ति या अनुपालन आख्या में ठीक वैसा न दर्ज होकर गलत जानकारी दर्ज कर दी जाती है।

बैठक में दिग्विजयनगर के पार्षद ऋषि मोहन वर्मा ने जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र का मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रमाण पत्र जारी होने में दो से तीन महीने लग जा रहे हैं। यह समस्या एक वर्ष से अधिक समय से बनी हुई है। निगम के कर्मचारी, आवेदकों को तहसील से रिपोर्ट नहीं आने की बात बताते हैं।  तहसील जाने पर वहां से कोई जानकारी ही नहीं मिलती।

'नगर निगम से नहीं होती देरी'

चूंकि आवेदन नगर निगम में जमा होता है और प्रमाण पत्र यहीं से जारी होते हैं, इसलिए जिम्मेदारी भी नगर निगम की बनती है। इसपर अपर नगर आयुक्त शिव पूजन यादव ने कहा कि नगर निगम से देरी नहीं होती है। तहसील से होती है। जवाब में ऋषि मोहन वर्मा ने एक केस का हवाला देते हुए बताया कि जो प्रमाण पत्र नगर निगम से जारी होते हैं, उनमें भी देरी हो रही है।

बेतियाहाता के पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि सुविधा शुल्क लेकर निगम के ही कर्मचारी दो से तीन दिन में प्रमाण पत्र जारी करा देते हैं। फिर क्या था विपक्ष और सत्ता के 25 से अधिक पार्षद समर्थन में कूद पड़े। अपनी कुर्सी से खड़े होकर आरोप लगाया कि जिन प्रमाण पत्रों में नगर निगम से सत्यापन होता है, उनमें भी सुविधा शुल्क की मांग की जाती है। न देने पर आवेदन लटका दिए जाते हैं।

नगर आयुक्त के जवाब से सदन हाल में छाया सन्नाटा

तहसील में तो तीन-तीन महीने आवेदन लटके ही हैं, निगम में भी समय से प्रमाण पत्र नहीं जारी हो रहे। करीब 15 मिनट तक आरोपों का दौर चलता रहा। इसके बाद नगर आयुक्त ने जवाब देना शुरू किया तो सदन हाल में खामोशी फैल गई। उन्होंने पहले आंकड़े प्रस्तुत किए।

कहा वर्तमान में जन्म-मृत्यु के 1145 आवेदन एक महीने से लंबित हैं। 733 का निस्तारण हो गया है। 231 नगर निगम के पास, जबकि 1480 तहसील कार्यालय के पास लंबित हैं।

नगर आयुक्त ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र समय से जारी नहीं हो पा रहे। इस संबंध में पहले भी प्रशासनिक अधिकारियों से बात हो चुकी है। वह और महापौर डा.मंगलेश श्रीवास्तव एक बार फिर मंडलायुक्त और जिलाधिकारी से बात करेंगे।

पार्षदों की कमेटी बनाकर की जाएगी समीक्षा 

रही बात नगर निगम के कर्मचारियों के सुविधा शुल्क लेने की तो संबंधित पार्षद सदन में ही उनका नाम बताएं, यहीं पर उनके निलंबन का आदेश जारी कर दिया जाएगा। नगर आयुक्त के इस दावे पर पार्षदों ने यह कहते हुए दूसरे मुद्दों पर चर्चा शुरू कर दी कि यह उनका काम नहीं। ऐसा भी नहीं है कि सदन में इतनी बड़ी संख्या में पार्षद झूठ बोल रहे हैं।

वार्ड 79 सिविल लाइन प्रथम के पार्षद अजय राय ने जोनल कार्यालय के निर्धारण में हुई गड़बड़ी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कुछ जोन में शामिल वार्ड की दूरी बहुत अधिक है। लोगों को परेशानी होती है। नगर आयुक्त ने बताया कि इसपर पार्षदों की कमेटी बनाकर समीक्षा की जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नजदीक के वार्ड के नाम ही संबंधित जोन में रखे जाएं।

जल्दी ही बनेगा सामुदायिक शौचालय

वार्ड संख्या 61 के पार्षद शहाब अंसारी ने वार्ड में कूड़ा पड़ाव घर और जर्जर सामुदायिक शौचालय से हो रही दिक्कत का मुद्दा उठाया, जिसपर नगर आयुक्त ने बताया कि इसी महीने चरगांवा का गारबेज ट्रांसफर स्टेशन शुरू हो जाएगा। इसके बाद बाकी बचे सभी कूड़ा पड़ाव घर तोड़ दिए जाएंगे। जल्द ही सामुदायिक शौचालय भी बना दिया जाएगा।

शहाब ने यह भी सवाल पूछा कि किसे-किसे वाहन अनुमन्य है और निगम का कौन-कौन अधिकारी, कर्मचारी वर्तमान में विभाग के वाहन से चल रहे हैं।

धरने पर बैठ गए बिजेंद्र अग्रहरि

वार्ड नंबर 44 बसंतपुर के पार्षद बिजेंद्र अग्रहरि ने बैठक के दौरान ही सदन हाल में धरने पर बैठ गए। उन्होंने पहले आरोप लगाया कि अनुपालन आख्या में हर पार्षद के सवाल के जवाब में एक ही जवाब लिखा जाता है- नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी

नगर आयुक्त ने जब उनके सवाल पर जवाब देने लगे तो उनका कहना था कि जबरन आवाज दबाई जा रही है। यह कहकर वह फर्श पर ही धरने पर बैठ गए और करीब 15 मिनट तक बैठे रहे। इसके बाद नगर आयुक्त के आश्वासन पर वह जमीन से उठकर अपनी कुर्सी पर बैठे।

बलिदानियों के परिवार व सेवानिवृत्त जवानों से न लिया जाए हाउस टैक्स

वार्ड नंबर 35 सालिकराम नगर की पार्षद सरिता यादव ने मांग की कि देश के लिए बलिदान हुए जवानों के परिवारवालों व सेवानिवृत्त जवानों से हाउस टैक्स न लिया जाए। इस प्रस्ताव पर नगर आयुक्त ने विचार का आश्वासन दिया। पार्षद ने वार्ड के शताब्दीपुरम मोहल्ले की क्षतिग्रस्त सड़क व नाली बनाने की मांग की। यह भी कहा कि वार्ड में घटिया पाइपलाइन पड़ने से किसी के घर में सप्लाई का पानी नहीं पहुंचता है।

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त्योहारों पर दुरुस्त की जाए पथ प्रकाश व्यवस्था

बैठक के दौरान वार्ड नंबर 69 श्रीराम चौक की पार्षद लाली गुप्ता ने कहा कि उनके वार्ड से ही ज्यादातर मूर्तियां विसर्जन के लिए जाती हैं। जगह-जगह दुर्गा जी के पंडाल लगे हैं। लक्ष्मी पूजा और छठ में भी बड़ी संख्या में पंडाल लगते हैं। ऐसे में बसंतपुर चौक से हांसूपुर राजघाट चुंगी, रामघाट तक के मुख्य मार्ग पर पथ प्रकाश व्यवस्था दुरुस्त की जाए।

इसी तरह उन्होंने वार्ड में दो स्थानों पर मिनी ट्यूबवेल लगाने की मांग करते हुए कहा कि वार्ड में पानी की समस्या से बड़ी आबादी परेशान हैं।

शासन भेजेंगे गोवि के 1.96 करोड़ के ब्याज माफी का प्रस्ताव

सदन की बैठक में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय पर वित्तीय वर्ष 2024-25 में बकाया संपत्तिकर का मसला भी उठा। संपत्तिकर के मद में करीब 7.65 करोड़ रुपये मूल धन था जिस पर 1.96 करोड़ रुपये ब्याज मिला कर कुल करीब 9.61 करोड़ रुपये संपत्तिकर जमा किया जाना था।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने 28 सितंबर को नगर आयुक्त को पत्र लिख कर ब्याज माफ करने की मांग की थी। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल की ओर से लाए गए इस प्रस्ताव पर निर्णय हुआ कि इसे शासन को भेजा जाएगा। वहां से जो निर्णय होगा, सदन उसपर मुहर लगाएगी।

1000 वर्ग मीटर जमीन ई-आटो चार्जिंग स्टेशन के लिए चिह्नित

बैठक में पहले गोरखपुर सिटी ट्रांसपोर्ट्स सर्विसेज लिमिटेड सिविल लाइन को पांच वर्ष के लिए हुमायूंपुर में एक हजार वर्ग मीटर भूमि ई आटो चार्जिंग स्टेशन के लिए देने की मंजूरी दी गई। लेकिन वरिष्ठ पार्षद जियाउल इस्लाम ने कहा कि उक्त जमीन वक्फ बोर्ड की है। यह किसी अन्य कार्य के लिए नहीं दे सकते। निगम सिर्फ इसका रखरखाव कर सकता है। ऐसे में तय हुआ कि ई आटो चार्जिंग स्टेशन के लिए महेसरा में जमीन दी जाएगी।

नानाजी देशमुख के नाम भूखंड का नामकरण

बैठक में सुभाष चंद्र बोस नगर में एमआरएफ सेंटर के पश्चिम तरफ पीछे की खाली जमीन का नामकरण चंडिकादास अमृतराव देशमुख ‘नानाजी देशमुख’ के नाम पर रखने का निर्णय किया गया। जमीन के नामकरण के लिए उप समिति का गठन तीन फरवरी को कार्यकारिणी की बैठक में किया गया था। समिति में उप सभापति धर्मदेव चौहान अध्यक्ष एवं अजय राव, जुबेर अहमद, आनंदवर्द्धन सिंह सदस्य नामित थे। सोमवार की बैठक में सर्वानुमति से नामकरण प्रस्ताव को स्वीकृति मिल गई।

अलाव के लिए 59.60 लाख रुपये मंजूर, कंबल भी खरीदे जाएंगे

नगर निगम सदन की बैठक में सर्वानुमति से मकर संक्रांति पर्व पर गोरखनाथ मंदिर परिसर में अलाव के लिए जलौनी लकड़ी की आपूर्ति को 29.80 लाख रुपये खर्च करने पर सहमति बनी। इसी तरह शीत ऋतु में महानगर के विभिन्न वार्डों में अलाव जलाने के लिए लकड़ी की आपूर्ति के लिए 29.80 लाख रुपये की धनराशि भी स्वीकृत की गई।

निगम सदन की बैठक में साल 2021 में 28 अक्टूबर से तीन नवंबर तक चले दीपोत्सव कार्यक्रम के बिल की धनराशि 26 लाख 83 हजार 326 रुपये की भुगतान की स्वीकृति दी गई। यह धनराशि न्यू भारत शामियाना हाउस के पक्ष में भुगतान की जाएगी।

इसी तरह निराश्रित गरीब एवं असहाय कमजोर वर्ग को शीतलहर व ठंड से सुरक्षित करने के लिए 10 हजार कंबल खरीद की निविदा निकालने की स्वीकृति भी दी गई ताकि समय से खरीद की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।

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