Gorakhpur News: फर्जी स्टाम्प प्रकरण में एसआइटी ने चार को पकड़ा, कई राज्यों में नेटवर्क फैले होने का अंदेशा
fake stamp case गोरखपुर में फर्जी स्टाम्प प्रकरण में कैंट थाना पुलिस ने आठ जनवरी 2024 को अधिवक्ता व स्टाम्प विक्रेता पर मुकदमा दर्ज किया था। जांच में दोनों नामजद आरोपित निर्दोष पाए गए। मामले की गंभीरता देखते हुए एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर ने इसकी जांच के लिए एसआइटी का गठन किया। इनका नेटवर्क कई राज्यों में फैले होने का अंदेशा है।
जागरण संवाददाता,गोरखपुर। fake stamp case फर्जी स्टाम्प प्रकरण में एसआइटी (स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम) को बड़ी सफलता मिली है। एएसपी की अगुवाई में काम कर रही टीम ने क्राइम ब्रांच की मदद से कुशीनगर व बिहार में छापेमारी कर चार लोगों को हिरासत में लिया है। कैंट थाने में देर रात तक आरोपितों से चली पूछताछ व जांच में कई महत्वपूर्ण जानकारी के साथ ही दस्तावेज भी बरामद हुए। चर्चा है कि यह नेटवर्क कई राज्यों में फैला है।
फर्जी स्टाम्प प्रकरण में कैंट थाना पुलिस ने आठ जनवरी 2024 को अधिवक्ता व स्टाम्प विक्रेता पर मुकदमा दर्ज किया था। जांच में दोनों नामजद आरोपित निर्दोष पाए गए। मामले की गंभीरता देखते हुए एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर ने इसकी जांच के लिए एसआइटी का गठन किया। 19 जनवरी को एसआइटी ने स्टाम्प विक्रेता रवि दत्त मिश्र को गिरफ्तार कर जेल भेजा।इसे भी पढ़ें- यूपी के इस जिले में 517 किसान मिलकर करते हैं ऐसी खेती, टर्नओवर जानकर हो जाएंगे हैरान
पूछताछ में पता चला कि गोरखपुर के अलावा अासपास के जिलों में भी फर्जी स्टाम्प बेचने वालों का नेटवर्क सक्रिय है। सर्विलांस की मदद से जांच करने पर पता चला कि कुशीनगर का स्टाम्प बिक्रेता भी शामिल है। क्राइम ब्रांच की टीम ने गुरुवार को कुशीनगर के आरोपित को उठाया और उससे पूछताछ के बाद बिहार में कई स्थानों पर दबिश दी गई जिसके बाद फर्जी स्टाम्प व छापने वाली प्रिंटिंग मशीन बरामद हुई।
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यह है मामला न्यायालय में सिविल सूट दाखिल हुआ था जिसमें कोर्ट फीस के रूप में 53,128 रुपये का स्टाम्प लगाया गया था।मुकदमें में मेरिट के आधार पर निस्तारण होने पर कोर्ट फीस वापस नहीं होती है। अभियुक्त द्वारा इसी बात का फायदा उठाने के उद्देश्य से उक्त कूटरचित स्टाम्प विक्रय किया गया था, लेकिन इस वाद में समझौता होने के बाद लोक अदालत में मुकदमें का निस्तारण हो गया। जिसके बाद अधिवक्ता ने स्टाम्प फीस वापसी के लिए कोषागार कार्यालय गोरखपुर में आवेदन किया।
कूटरचित स्टाम्प सदर तहसील गोरखपुर के कोषागार से जारी न होने के कारण उसकी जांच भारतीय प्रतिभूति मुद्रणालय नासिक प्रयोगशाला से कराई गई तो पता चला कि पांच-पांच हजार रुपये के 10 स्टाम्प कूटरचित है।जिलाधिकारी क आदेश पर आठ जनवरी 2023 को उपनिबंधक प्रथम सदर तहसील ने कैंट थाने में अधिवक्ता व स्टाम्प विक्रेता के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया। जांच में पता चला कि कोतवाली के जगन्नाथपुर वार्ड में रहने वाले दीवानी कचहरी के स्टाम्प वेंडर रवि दत्त मिश्रा ने फर्जी मुहर लगाकर यह स्टाम्प बेचा है।
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