गीता प्रेस की 15 रुपये की हनुमान चालीसा 279 रुपये में बेच रहा स्नैपडील, पांच रुपये की पुस्तक का मूल्य 159 रुपये
गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित पुस्तकों को कई गुना अधिक मूल्य पर बेचने का फ्लिपकार्ट स्नैपडील व अमेजन जैसी ई-कामर्स कंपनियां बेंच रही हैं। गीता प्रेस प्रबधंन ने इन कंपनियों को पत्र लिखकर इस पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है।
By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 18 Aug 2022 12:28 PM (IST)
गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। कहां तो अमेजन, स्नैपडील और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कामर्स प्लेटफार्म पर लोग सस्ता माल खरीदने के लिए जाते हैं, लेकिन गीताप्रेस की पुस्तकों के साथ उल्टा हो रहा है। गीताप्रेस की पांच-दस रुपये वाली पुस्तकें यहां 20 गुना मुनाफे पर 250 से 300 रुपये में बेची जा रही हैं। ग्राहकों को लुभाने और भ्रमित करने के लिए तीन-चार पुस्तकों का कांबो आफर भी दिया जा रहा है, जिसमें सभी पुस्तकों की कीमतें कई गुना अधिक हैं।
ई कामर्स कपंनियों के जरिये पाठकों को धोखा दे रहे विक्रेता मुनाफाखोरी का यह खेल उस विश्वस्तरीय धार्मिक संस्था के साथ हो रहा है, जो खुद सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अपनी पुस्तकों को लागत से 30-60 प्रतिशत कम मूल्य पर बेचता है। प्रदेश सरकार में नगरीय विकास के विशेष सचिव डा राजेन्द्र पेंसिया ने ई-मेल भेजकर गीताप्रेस प्रबंधन का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया तो गीता प्रेस प्रबंधन ने इन कंपनियों काे पत्र लिखकर इसे रोकने की मांग की।
पांच रुपये की पुस्तक 159 रुपये में आइएसएस अधिकारी डा राजेंद्र पेंसिया ने अपने ई-मेल में बताया कि गीताप्रेस से प्रकाशित 'किसान और गाय' पुस्तक को उन्होंने अमेजन पर 47 प्रतिशत छूट के बाद 75 रुपये में मंगवाया। वेबसाइट पर उसका मूल्य 159 रुपये प्रदर्शित था, जबकि पुस्तक पर अधिकतम मूल्य पांच रुपये है। उन्होंने गीताप्रेस प्रबंधन से इस पर ध्यान देने का आग्रह किया है। एक अन्य सुधी पाठक पीयूष ने भी गीताप्रेस प्रबंधन को पत्र भेजकर इस बारे में बताया है। उन्होंने ई-कामर्स कंपनियों पर श्रीकृष्ण माधुरी, श्रीहनुमान चालीसा जैसी पुस्तकों के कई गुना अधिक दाम पर बेचे जाने का स्क्रीनशाट पर भी उपलब्ध कराया। बताया कि किस तरह से 15 रुपये की हनुमान चालीसा 30 प्रतिशतछूट दिखाकर 279 रुपये में बेची जा रही है।
गीता प्रेस ने जताई कड़ी आपत्ति गीता प्रेस प्रबंधन ने फ्लिपकार्ट, स्नैपडील व अमेजन के प्रबंध तंत्र को 16 अगस्त को पत्र भेजकर अपनी शिकायत दर्ज कराई है। इसमें लिखा गया है कि कुछ शरारती व स्वार्थी विक्रेता आपके प्रतिष्ठित आनलाइन व्यावसायिक प्लेटफार्म का उपयोग कर गीताप्रेस के निष्ठावान व समर्पित पाठकों को धोखा दे रहे हैं।प्लेटफार्म पर गीताप्रेस से प्रकाशित बड़ी संख्या में पुस्तकें बिक्री के लिए प्रदर्शित की गई हैं, जिनका प्रिंट मूल्य से बहुत ज्यादा मूल्य रखा गया है और बड़ी छूट भी दी जा रही है। जबकि हमारे पाठक इन पुस्तकों के अधिकतम खुदरा मूल्य पर विश्वास करते हैं और उन्हें उसी मूल्य पर हमारी शाखाओं व स्टालों से प्राप्त कर सकते हैं। पुस्तकों का मूल्य आप गीताप्रेस की वेबसाइट www.gitapress.org पर कैटलाग में जाकर सत्यापित कर सकते हैं। उम्मीद है कि आप ऐसे लोगों पर कार्रवाई करेंगे।
गीता प्रेस की वेबसाइट से कर सकते हैं खरीदारी गीता प्रेस की वेबसाइट www.gitapress.org पर पुस्तकें आनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। यहां से खरीदने पर पाठक ठगा नहीं जाएगा और अधिकतम खुदरा मूल्य पर पुस्तकें प्राप्त कर सकता है। वेबसाइट पर जाकर 'बाय बुक आनलाइन' पर क्लिक करना होगा। वहां से मनपसंद पुस्तकें आनलाइन मंगाई जा सकती हैं।कुछ शरारती विक्रेता आनलाइन व्यावसायिक प्लेटफार्मों का उपयोग कर गीता प्रेस की मूल भावना के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वे हमारी पुस्तकों को कई सौ प्रतिशत अधिक मूल्य पर बेच रहे हैं। इस पर रोक लगाने के लिए फ्लिपकार्ट, अमेजन व स्नैपडील के प्रबंध तंत्र को पत्र लिखा गया है। - लालमणि तिवारी, प्रबंधक, गीताप्रेस।
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