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SSC GD की परीक्षा में धांधली करने वाले गिरोह के सरगना सिपाही ने कराई कितनी भर्ती, STF कर रही जांच

गोरखपुर जिले का अच्युतानंद यादव 2015 में उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुआ था। इसके बाद कानपुर में तैनाती के दौरान ही उसने सॉल्वर गैंग चलाना शुरू किया। वहीं ग्रुप-डी की परीक्षा पास करने के बाद गुड्डू गिरोह से जुड़ा।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Fri, 20 Jan 2023 09:30 AM (IST)
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साल्वर गैंग का सदस्य गुड्डू मनोज कुमार यादव अच्युतानंद यादव। -जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की जीडी कांस्टेबल की ऑनलाइन परीक्षा में साल्वर बैठाकर धांधली करने वाले गिरोह के सरगना ने कितने लोगों की भर्ती कराई है, इसकी जांच एसटीएफ कर रही है। अब तक की छानबीन में पता चला है कि वह चार साल से गिरोह चलाता था। सहजनवां का रहने वाला गुड्डू यादव ग्रुप-डी की परीक्षा पास होने के बाद गिरोह से जुड़ा था।

सात साल पहले यूपी पुलिस में भर्ती हुआ था अच्युतानंद

बांसगांव के नगर पंचायत वार्ड संख्या चार निवासी अच्युतानंद यादव उत्तर प्रदेश पुलिस में वर्ष 2015 में सिपाही के पद पर भर्ती हुआ था। अयोध्या में तैनाती के बाद अपने साथियों संग मिलकर उसने चार वर्ष पहले ऑनलाइन परीक्षा में धांधली कर अभ्यर्थियों को पास कराने का ठीका लेना शुरू किया था। सहजनवां के ओड़वलिया गांव के गुड्डू यादव को भी उसी ने ग्रुप-डी की ऑनलाइन परीक्षा पास कराई थी। इसके बाद गुड्डू यादव गिरोह से जुड़ गया और नौकरी के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को पास कराने की गारंटी लेकर अच्युतानंद के पास जाता था।

परीक्षा पास कराने के लिए तीन से पांच लाख रुपये लेता था आरोपित

आरोपित प्रतियोगी परीक्षा पास कराने के नाम पर तीन से पांच लाख रुपये लेते थे, इसमें साल्वर को 20 हजार रुपये मिलते थे। खजनी के उनवल निवासी मनोज यादव को अच्युतानंद से गुड्डू यादव ने ही मिलवाया था। आरोपितों से पूछताछ में एसटीएफ को कई नाम मिले हैं। जिन्होंने साल्वर गैंग की मदद से ऑनलाइन परीक्षा पास की है।

हत्या के मामले में पांच को आजीवन कारावास

हत्या का आरोप सिद्ध पाए जाने पर जनपद न्यायाधीश तेज प्रताप तिवारी ने गोला थाना क्षेत्र के ग्राम तीरागांव निवासी अभियुक्त विजय शंकर यादव, विजय प्रताप, अमरजीत यादव, विजय नारायण व जीतन को आजीवन कारावास से दंडित किया है। अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता यशपाल सिंह एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जयनाथ यादव का कहना था कि घटना 28 अगस्त 2005 की समय करीब 4.30 बजे की है। प्रधान पद का चुनाव चल रहा था। गोला थाना क्षेत्र के ग्राम कौडिया निवासी वादी भरत यादव की पत्नी दुर्गावती देवी प्रधान पद का चुनाव लड़ रही थी।

अभियुक्त विजय शंकर यादव की पत्नी भी वादी की पत्नी की प्रतिद्वंदी थी। चुनाव के दौरान फर्जी वोट डालने को लेकर वादी के एजेंटों द्वारा हस्तक्षेप किया गया। इसी बात को लेकर अभियुक्तों ने वादी के लड़के ब्रह्मदेव और उसके साढ़ू के लड़के मोहन को गाली देते हुए मारने पीटने लगे। अभियुक्त कट्टे से वादी के लड़के के मुंह पर गोली मार दिए। वादी अपने लड़के ब्रह्मदेव और साढ़ू के लड़के मोहन को इलाज हेतु सदर अस्पताल लेकर गया जहां ब्रह्मदेव को मृत घोषित कर दिया। न्यायाधीश ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर उक्त फैसला सुनाया।

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