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World bee day: गोरखपुर में कोरोना में फीकी हुई शहद की मिठास, उत्‍पादन भी घटा

जंगल कौडिय़ा के हरपुर निवासी राजू सिंह कहते हैं कि नेपाल की सीमाएं सील होने के चलते इस बार करीब 150 क्विंटल शहद नहीं बेच सके। बाकी शहद उन्होंने किसी तरह गोरखपुर बलिया देवरिया सिद्धार्थनगर महराजगंज सहित मुंबई व दिल्ली में बेचा।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 20 May 2021 02:52 PM (IST)
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खेत में अपने मधुमक्खी के बाक्स के साथ राजू सिंह। सौ. स्वयं

गोरखपुर, जेएनएन। शहद का उत्पादन कम होने से चिंतित मधुमक्खी पालकों की परेशानी कोरोना ने और बढ़ा दी है। कोरोना कर्फ्यू में आवागमन और नेपाल की सीमा सील होने से शहद की मिठास फीकी पडऩे लगी है। मधुमक्खी पालक किसानों का कहना है कि पर्यावरण को संतुलित रखने के साथ रोजगार का जरिया माने जाने वाला मधुमक्खी पालन मुश्किल दौर से गुजर रहा है।

पिछले तीस वर्षों से मधुमक्खी पालन करने वाले जंगल कौडिय़ा के हरपुर निवासी राजू सिंह प्रतिवर्ष 15-20 लाख रुपये का शहद बेचते हैं। 300 से 400 क्विंटल शहद का उत्पादन करने वाले राजू भारत में 250 जबकि नेपाल में 400 रुपये किलो शहर बेचते हैं। नेपाल की सीमाएं सील होने के चलते इस बार करीब 150 क्विंटल शहद नहीं बेच सके। बाकी शहद उन्होंने किसी तरह गोरखपुर, बलिया, देवरिया, सिद्धार्थनगर, महराजगंज सहित मुंबई व दिल्ली में बेचा।

डेढ़ हजार बाक्स में करते हैं मधुमक्खी पालन

राजू सिंह के पास मधुमक्खी के 1500 से अधिक बाक्स हैं। बीते  तीन दशक में वह अब तक 20 हजार से अधिक बाक्स बेच चुके हैं। अब तक तो कारोबार बहुत अच्‍छा चल रहा था लेकिन दो साल से कोरोना के चलते  शहद की बिक्री प्रभावित हो गई है।

घट रही शहद उत्पादन क्षमता

राजू बताते हैं कि पिछले 15 वर्षों में मधुमक्खियों की शहद उत्पादन क्षमता तेजी से घटी है। पहले मधुमक्खी के एक बाक्स से साल भर में लगभग 80 किलो शहद निकलता था, लेकिन अब 30 से 35 किलो ही शहद निकल पाता है। इसकी वजह तिलहन, दलहन फसलों का क्षेत्रफल घटना है। मधुमक्खियां अपना अधिकांश खुराक इन्हीं फसलों से लेती थीं, आहार प्रभावित होने से शहद का उत्पादन भी घटा है।

इनको भी हुआ नुकसान

ब्रह्मपुर के राजधानी गांव निवासी राजाराम यादव, कैंपियरगंज के कल्यानपुर निवासी श्रीपत यादव, खोराबार के जंगल रामलखना निवासी ओमप्रकाश, जयराम, चरगांवा के जंगल अयोध्या प्रसाद निवासी मधुमक्खी पालक मोहन आदि भी अपने शहद की बिक्री नहीं कर सके हैं।

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक है शहद

वनस्पति शास्त्री डा. अरविंद सिंह बताते हैं कि शहद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। आयुर्वेद की अधिकांश दवाओं को शहद के साथ लेने के लिए बताया जाता है। रोजाना शहद में डूबी एक कली लेहसुन खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बढ़ते वजन को नियंत्रित करता है। यह हृदय को स्वस्थ रखने में भी कारगर है। शहद में एंटीआक्सीडेंट््स गुणों से युक्त होने की वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्राकृतिक रूप से मजबूती देने में मदद कर सकता है।

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