पेट की टीबी दे रही बड़ा घाव, फट रहीं आंत, 50 रोगियों में से छह की मौत
टीबी एक गंभीर बीमारी है जिसे ट्यूबरक्लोसिस के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है अगर सही समय पर इसकी पहचान कर इसका इलाज न कराया जाए। हालांकि लोगों में इसे लेकर जागरूकता की कमी घातक साबित हो सकती है। इसी बीच अब हाल ही में इसे लेकर एक नई स्टडी सामने आई है।
गजाधर द्विवेदी, जागरण, गोरखपुर। पेट की टीबी आमतौर पर जल्दी पता नहीं चल पाती। पेट दर्द, एसिडिटी की दवा कराकर लोग काम चला देते हैं। जब आंत फट या उलझ जाती है अथवा काम करना बंद कर देती है, तो इस बीमारी का पता चलता है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
यह निष्कर्ष बीआरडी मेडिकल कालेज के डाक्टरों के अध्ययन में सामने आया है। सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अभिषेक जीना व असिस्टेंट प्रोफेसर डा. दुर्गेश त्रिपाठी के इस अध्ययन को यूएस के अंतरराष्ट्रीय जर्नल आफ लाइफ साइंसेज ने प्रकाशित किया है।
एक साल के अंदर बीआरडी मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग में आपरेशन के लिए आए 400 लोगों अध्ययन में शामिल किया गया। 50 लोग ऐसे मिले जिन्हें पेट की टीबी थी। इन सभी की आंत फट गई थी, उलझ गई थी, पूरी तरह चिपक गई थी या काम करना बंद कर दी थी।
इसे भी पढ़ें-आगरा-गोरखपुर में आंधी के साथ भारी बारिश के आसार, जानिए आज कैसा रहेगा यूपी में मौसम
इन 50 रोगियों में से छह की मौत हो गई। इसमें से एक को एचआइवी के साथ पेट व फेफड़े की टीबी थी। चार अन्य को पेट व फेफड़े की टीबी थी। एक को केवल पेट की टीबी थी। इन सभी की हालत बहुत गंभीर थी।
ये सभी रोगी ओपीडी में पेट दर्द, अपेंडिक्स में दिक्कत, दस्त, गैस, वजन कम होने, पेट में गांठ होने व खून की कमी की शिकायत लेकर आए थे। इसमें 27 पुरुष व 13 महिलाएं थीं। 72 प्रतिशत अर्थात 32 लोगों में खून में संक्रमण का स्तर बढ़ा हुआ मिला। लगभग 90 प्रतिशत अर्थात 42 लोगों में खून की कमी पाई गई। नौ लोगों में सीवियर एनिमिया (हीमोग्लोबिन आठ ग्राम से कम) थी। ज्यादातर कमजोर आय वर्ग से थे और ग्रामीण क्षेत्र के रहने वाले हैं।
इसे भी पढ़ें-सीएम की फटकार के बाद बलिया में हत्यारोपितों के घर पर चला बुलडोजरइसलिए होती है पेट की टीबी, करें बचाव-फेफड़े में टीबी है तो पेट को भी संक्रमित कर सकती है।-घर या पड़ोस में किसी को टीबी है, उससे समुचित बचाव न हो पाया हो।
-गाय-भैंस का कच्चा दूध पीने से माइक्रो बैक्टीरियम बोवेफ संक्रमण हो सकता है, जो टीबी का कारण है।-घर के आसपास गंदगी होने से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होगी, ऐसे लोगों को टीबी हो सकती है।-बार-बार पेट दर्द, वजन कम होना, खून की कमी, शाम को हल्का बुखार होने पर डाक्टर को न दिखाना भी बन सकता है कारण।-किसी भी तरह का नशा करना, गंभीर बीमारी व भोजन में पोषक तत्वों की कमी। इनकी वजह से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और टीबी की आशंका बढ़ जाती है।
बीआरडी मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अभिषेक जीना ने कहा कि रोगियों में सर्वाधिक लोग नशे का सेवन करते थे। पढ़े-लिखे नहीं थे। उनके घर या पड़ोस में किसी को टीबी हुई थी। जिन छह लोगों की मौत हुई, वे तीन से पांच दिन विलंब से आए थे। उन्हें रक्त संक्रमण (सेप्टीसीमिया) हो गया था।
बीआरडी मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग असिस्टेंट प्रोफेसर डा. दुर्गेश त्रिपाठी ने कहा कि पेट दर्द, एसीडिटी, खून की कमी, थकान, हल्का बुखार रहने की शिकायत यदि बार-बार हो रही है तो पेट की टीबी की जांच जरूर करा लेनी चाहिए। शुरुआती समय में पता चल जाने से इसकी गंभीरता लगभग 95 प्रतिशत तक रोकी जा सकती है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।