बचपन से सुने ताने, जरूरत पर नहीं मिली चपरासी की नौकरी फिर हौसलों को हथियार बना ट्रांसजेंडर आकांक्षा ने रच दिया इतिहास
आज हम आपको एक ऐसी महिला ट्रांसजेंडर की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने बचपन से संघर्ष किया और सफलता के शिखर तक पहुंच गईं। कुशीनगर की मूल निवासी ट्रांसजेंडर आकांक्षा पांडेय को बचपन से स्कूल में छात्र-छात्राओं के ताने सुनने पड़े। छात्र कहते थे कि इनको तो बधाई ही लेना है पढ़कर क्या करेंगी? तानों को हथियार बनाकर उन्होंने इतिहास रच दिया।
सुनील सिंह, गोरखपुर। मनुष्य के भीतर ही ऊर्जा का असीम स्रोत है, लेकिन वह विश्वास नहीं कर पाता है कि ऐसी अद्भुत और विलक्षण ऊर्जा उसमें निहित है। मनुष्य ठान ले तो इसी ऊर्जा की बदौलत कुछ भी कर सकता है। ट्रांसजेंडर (किन्नर) आकांक्षा पांडेय ने भी ऐसा किया। भीतरी ऊर्जा से आत्मसात कर कड़ी मेहनत से मुकाम हासिल किया। हालांकि वह इसे सफलता की पहली सीढ़ी मानती हैं। कुशीनगर की मूल निवासी ट्रांसजेंडर आकांक्षा पांडेय (23) को कदम-कदम पर संघर्ष करना पड़ा।
छात्र-छात्राओं ने आकांक्षा को दिए ये ताने
पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध दिग्विजयनाथ पीजी कालेज में स्नातक की पढ़ाई के दौरान साथी छात्र-छात्राओं के ताने सुनने पड़े। कहते थे कि इनको तो बधाई ही लेना है, पढ़कर क्या करेंगी? आकांक्षा पांडेय में कुछ कर गुजरने की दृढ़ इच्छाशक्ति थी, इसलिए इन बातों से डिगीं नहीं। स्नातक के बाद कंप्यूटर में डिप्लोमा कोर्स किया। इसके बाद वर्ष 2018 से उनका समाज की मुख्यधारा में जुड़कर कार्य करने का संघर्ष शुरू हुआ।
नहीं मिली चपरासी की नौकरी
विकास भवन, नगर निगम और अन्य जगहों पर जाकर चपरासी की नौकरी मांगती थीं, लेकिन उनको सांत्वना के अलावा कुछ नहीं मिलता था। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानीं और अंतत: सात सितंबर, 2023 को उत्तर प्रदेश राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी में उनको कार्यक्रम अधिकारी की नौकरी मिल गई है। इसके बदले उन्हें सम्मानजनक मानदेय मिलता है। उनकी इच्छा इससे भी आगे जाने की है।
प्रदेश की पहली ट्रांसजेंडर कार्यक्रम अधिकारी
उप्र राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी में कार्यक्रम अधिकारी के पद पर प्रदेश की पहली ट्रांसजेंडर आकांक्षा पांडेय हैं। इस कार्य से वह खुश हैं, लेकिन उनकी इच्छा और ऊंचाई तक जाने की है। कहती हैं कि इस कार्य के साथ उनका प्रयास जारी रहेगा।
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बधाई प्रथा का विरोध नहीं, पढ़ाई और नौकरी भी करें
वर्तमान में चरगांवा के सेमरा नंबर-एक में रहने वाली ट्रांसजेंडर आकांक्षा पांडेय बताती हैं कि बधाई प्रथा का विरोध नहीं है। हमारी यह परंपरा सदियों पुरानी है। अब हमारे समाज के लोगों को भी पढ़ाई और नौकरी की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। शिक्षा से ही हम समाज की मुख्यधारा में जुड़कर कार्य कर सकते हैं। सरकार ने नौकरियों में दो प्रतिशत आरक्षण ट्रांसजेंडर के लिए दिया है।
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600 लोगों के स्वास्थ्य पर करती हैं काम
सेक्स वर्क से जुड़े 600 स्त्री, पुरुष और ट्रांसजेंडर के लिए आकांक्षा पांडेय काम करती हैं। हर महीने उनके स्वास्थ्य का चेकअप कराती हैं। तीसरे महीने एड्स की जांच कराती हैं। उनका कहना है कि 350 महिलाओं में 10-12, 100 पुरुषों में छह-सात और 150 ट्रांसजेंडर में चार-पांच एड्स पाजिटिव हैं। इनकी जांच के साथ ही खाने-पीने का सामान देती हैं।