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UP का अनोखा गांव, जहां हर घर से एक व्यक्ति सरकारी नौकरी में...

संतकबीर नगर जिले में स्थित इस गांव की समृद्धि झलकती है। 250 की आबादी वाले इस गांव में पचास से अधिक लोग सरकारी सेवा में कार्यरत हैं। गांव के तरक्की की जिले में नजीर है। यहां IAS PCS से लेकर वैज्ञानिक स्तर तक के अधिकारी हैं।

By Pragati ChandEdited By: Updated: Fri, 26 Aug 2022 10:30 AM (IST)
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संतकबीर नगर जिले में स्थित एकला शुक्ल गांव। फोटो: जागरण-
संतकबीर नगर, अतुल मिश्र। उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर जनपद का एक ऐसा गांव है जहां हर घर में सरकारी नौकरी है। मेंहदावल के एकला शुक्ल गांव में आईएएस (IAS) और पीसीएस (PCS) के अलावा बड़ी संख्या में शिक्षक हैं। एक व्यक्ति इसरो में वैज्ञानिक भी है। करीब 250 की आबादी वाले ब्राह्मण बाहुल्य इस गांव में पचास से अधिक लोग सरकारी सेवा में हैं। इसके साथ ही तमाम लोग निजी कंपनियों में भी बड़े पदों पर तैनात हैं। सरकारी नौकरी के मामले में गांव की शोहरत पूरे जनपद में है। गांव में समृद्धि झलकती है।

इस गांव में लहलहा रही सरकारी नौकरी की फसल

आज के इस दौर में जब बेरोजगारों की फौज लंबी हो चली है और सरकारी नौकरी पाना चुनौती है। उस दौर में मेंहदावल कस्बे के उत्तर दिशा में बसा एकला शुक्ल गांव अनोखा है। इस गांव में सरकारी नौकरी की फसल खूब लहलहा रही है। पढ़ाई की चर्चा में मशगूल बच्चों का उत्साह यहां के बड़े-बूढ़े भी बढ़ाते हैं। तीन दशक पूर्व तक गांव के लोग खेती-किसानी में मशगूल थे। लेकिन उसके बाद यहां शिक्षा का ऐसा उजाला फैला कि सभी उसमें डूब गए। बच्चों की शिक्षा पर पूरा ध्यान केंद्रित हो गया। उसका नतीजा भी आया और यहां के बच्चे सरकारी नौकरी में चयनित होने लगे। हालांकि ज्यादातर बच्चों की प्राथमिक शिक्षा मेंहदावल जैसे साधारण कस्बे में ही पूरी हुई है। लेकिन आज वह देश के कोने-कोने में अच्छे पदों पर सेवा दे रहे हैं।

इन लोगों से मिली प्रेरणा

गांव के चंद्रशेखर शुक्ल करीब ढाई दशक पूर्व स्टेट बैंक में बतौर प्रबंधक पोस्ट हुए। कुछ समय बाद ही प्रदीप कुमार शुक्ल एयर फोर्स में अधिकारी हो गए। उसके बाद राकेश कुमार शुक्ल पीसीएस जे की परीक्षा पास करके जज बने तो गांव में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई। उसके बाद नीरज शुक्ल सहायक कमिश्नर वाणिज्य तथा सुधीर शुक्ल सहायक वैज्ञानिक इसरो के पद पर तैनात हुए। इन सफल चेहरों ने गांव में शिक्षा की ज्योति जलाई। इससे गांव में एक बेहतर माहौल मिला और फिर सफलता का सिलसिला चल पड़ा।

प्रतिस्पर्धा दे रही सफलता की गारंटी

गांव में पढ़ाई की प्रतिस्पर्धा है। हर बच्चा खुद को बेहतर बनाने में लगा रहता है। गांव के चौपाल पर भी बड़े-बुजुर्ग बच्चों को सकारात्मक प्रतिस्पर्धा करने की सलाह देते हैं। गांव में बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए प्रेरित किया जाता है। सफल हुए लोगों की जीवनशैली व चकाचौंध दिखाकर बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए आकर्षित भी किया जाता है।

गांव के वह लोग जिन्होंने गाड़ा है अपना झंडा

गांव के उत्कर्ष शुक्ला बीएचयू से आइआइटी करने के बाद भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (आइईएस) में हैं। प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) के पद पर गांव के राजेश शुक्ला, दिनेश शुक्ला, नीरज शुक्ला पोस्ट हैं। सुधीर शुक्ला इसरो में वैज्ञानिक हैं तो सहायक वैज्ञानिक के पद पर शिवाशीष शुक्ला भी वहीं पर काम कर रहे हैं। खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर विनोद त्रिपाठी की तैनाती है। गांव के मनोज त्रिपाठी मध्य प्रदेश में एपीओ हैं। अतुल त्रिपाठी रेलवे में इंजीनियर हैं तो हिमांशु भी रेलवे में अधिकारी हैं। चंद्रशेखर शुक्ला स्टेट बैंक में बतौर प्रबंधक अपनी सेवा दे रहे हैं। गांव के दो लड़के इंटर कालेज में शिक्षक हैं। परिषदीय विद्यालय में सुधाकर शुक्ला, शक्ति कुमार शुक्ला, सुनील कुमार शुक्ल, सुमन देवी, कृष्णा देवी, देव प्रभाकर, सर्वेश त्रिपाठी, वैभव शुक्ला, पियूष, बबीता त्रिपाठी, रेनू शुक्ला, अभिलाष शुक्ला, निशांत शुक्ला, रामकृष्ण शुक्ल, रामेश्वर शुक्ल, बृजेश शुक्ला सहित अन्य लोग तैनात हैं।

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