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गोरखपुर के संतू की जलेबी व समोसे का गजब है स्वाद, समोसे से ज्यादा चटनी की होती है मांग

Taste of Gorakhpur वैसे तो गोरखपुर में समोसे और जलेबी की अनगिनत दुकानें हैं लेकिन शहर के अलहदादपुर तिराहा संतू के समोसे और जलेबी का कोई जवाब नहीं। संतू की जलेबी और समोसे का स्वाद ऐसा है कि लोब यहां तब बरबस ही खिंचे चले आते हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Sun, 03 Jul 2022 02:55 PM (IST)
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गोरखपुर के संतू का समोसा और जलेबी दूर दूर तक फेमस है। - प्रतीकात्मक तस्वीर
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर के अलहदादपुर तिराहा अगर राहगीरों को नार्मल और रायगंज का रास्ता देता है तो जायके की डिमांड भी पूरी करता है। तिराहे पर जायके की डिमांड पूरी करने की जिम्मेदारी लंबे समय से संतू के समोसे और जलेबी की दुकान ने संभाल रखी है। यहां की गरम-गरम जलेबी और इमली से तैयार की गई खास किस्म की चटनी के साथ बड़े साइज का समोसा दशकों से लोगों की जुबां पर चढ़ा हुआ है। इस दुकान पर समोसा और जलेबी लेने के ल‍िए लोगों की लाइन लगी रहती है।

1937 में रखी थी दुकान की नींव

हालांकि संतू अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन लजीज पकवान से वह आज भी लोगों की जुबां पर राज कर रहे हैं। वर्तमान में पकवान की गुणवत्ता बरकरार रखने का जिम्मा संभाल रहे संतू के नाती कुशल गुप्त बताते हैं कि प्रतिष्ठान की नींव उनके परनाना सोशी राम गुप्त ने 1937 में रखी लेकिन वह शुरू में सिर्फ मिठाई बेचते थे। जब दुकान पर अपने पिता के साथ संत कुमार संतू ने बैठना शुरू किया तो उन्होंने उसका दायरा बढ़ा दिया। उन्होंने समोसे और जलेबी बेचने की शुरुआत भी कर दी। यह दोनों ने नए पकवान लोगों के इतने भाए कि दुकान संतू के नाम से ब्रांड में बदल गई। अस्सी के दशक में तो समोसे और जलेबी की डिमांड इस कदर बढ़ गई कि संतू ने इनकी बिक्री का समय निर्धारित कर दिया। तय समय से देर में पहुंचने पर जलेबी मिलती और न समोसा।

संतू के बाद नाती कुशल ने संभाली दुकान

वर्ष 2009 में जब संतू की तबीयत बिगड़ने लगी तो फैजाबाद से उनके नाती कुशल गोरखपुर आ गए और उनकी देखभाल करने के साथ-साथ दुकान की कमान भी संभालने लगे। 2011 में संतू जब नहीं रहे तो दुकान के नाम और गुणवत्ता को बरकरार रखने की जिम्मेदारी पूरी तरह से कुशल ने संभाल ली। बीबीए डिग्री धारक कुशल का कहना है कि दुकान के व्यंजन की गुणवत्ता को कायम रखते हुए नाना के नाम की पहचान को बरकरार रखना वह अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। ऐसे में स्वाद को लेकर वह कभी समझौता नहीं करते। शायद यही वजह है कि ग्राहकों का विश्वास अभी भी बना हुआ है।

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