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Corona virus : सूना पड़ा गोरखनाथ मंदिर, बंद रहे श्रद्धालुओं के लिए दरवाजे Gorakhpur News

हालांकि मंदिर परिसर में होने वाली आनुष्ठानिक पूजा-अर्चना का सिलसिला जारी रखा गया है। ऐसे में श्रद्धालुओं से भले ही मंदिर परिसर खाली रहा पर वेद मंत्रों से वह समय-समय पर गूंजता रहा।

By Satish ShuklaEdited By: Updated: Sat, 21 Mar 2020 09:30 PM (IST)
Corona virus : सूना पड़ा गोरखनाथ मंदिर, बंद रहे श्रद्धालुओं के लिए दरवाजे Gorakhpur News
गोरखपुर, जेएनएन। शनिवार को पहली बार ऐसा हुआ जब बाबा गोरखनाथ की कर्मस्थली गोरखनाथ मंदिर के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए बंद रहे। इसी के साथ पंथ के इतिहास मेंं जनकल्याण का एक और अध्याय जुड़ गया। श्रद्धालुओं को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए मंदिर प्रबंधन का यह फैसला चहुंओर सराहा जा रहा है।

31 मार्च तक श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए नाथ पीठ से जुड़े गोरखनाथ मंदिर और देवीपाटन मां पाटेश्वरी शक्तिपीठ बलरामपुर की प्रबंध समिति ने 31 मार्च तक मंदिर और पीठ, दोनों को श्रद्धालुओं के लिए बंद रखने का निर्णय लिया है। निर्णय शनिवार की सुबह से ही प्रभावी हो गया।

पूजा-अर्चना का कार्यक्रम जारी

हालांकि मंदिर परिसर में होने वाली आनुष्ठानिक पूजा-अर्चना का सिलसिला जारी रखा गया है। ऐसे में श्रद्धालुओं से भले ही मंदिर परिसर खाली रहा पर वेद मंत्रों से वह समय-समय पर गूंजता रहा।

गोरक्षपीठ की रही है जनकल्‍याण की परंपरा

जनकल्याण गोरक्षपीठ की परंपरा रही है। शुरू से ही पीठ की सोच इसे लेकर समय से आगे की ही रही है। आजादी के बाद जब पूर्वांचल शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा था तो पीठ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना कर घर-घर में शिक्षा की अलख जगाई। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का तो पूरा जीवन सामाजिक एकता को कायम रखने में बीता। उसके लिए वह देश के कोने-कोने में घूमते रहे। गोरखनाथ चिकित्सालय की स्थापना, वनटांगियों का कायाकल्प, प्राकृतिक आपदा मे किसानों और जरूरतमंदों की मदद नाथ पीठ की ओर से किए गए जनकल्याणकारी कार्यों के कुछ और उदाहरण हैं। गोरखनाथ मंदिर और देवीपाटन शक्ति पीठ की बंदी उसी जनकल्याणकारी कार्यों की अगली कड़ी है। जनहित में मंदिर के कपाट को बंदकर गोरक्षपीठ ने फिर एक बार इतिहास रचा है। 

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