Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Cyclone Yaas & Tauktae Impact: बे-मौसम पक गए चक्रवाती तूफानों से घिरे आम- आकार हुआ छोटा, स्वाद भी कम

Cyclone Yaas Tauktae Impact इस वर्ष चक्रवाती तूफानों से आम छोटे हो गए। पिछले सालों के मुकाबले उनका आकार छोटा हो रहा है और वह पहले पकने लगे हैैं। बाकी कसर बेमौसम बारिश और पुरवाई निकाल रही जिनके कारण आम की मिठास घटने की आशंका है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Wed, 02 Jun 2021 11:23 AM (IST)
Hero Image
इस वर्ष चक्रवाती तूफानों का असर आम की फसल पर पड़ा है। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जितेंद्र पांडेय। 'Cyclone Yaas & Tauktae Impact' मौसम की मार और तूफानों से घिरे पूर्वांचल के आम छोटे और जल्दी बूढ़े हो रहे हैैं। यानी पिछले सालों के मुकाबले उनका आकार छोटा हो रहा है और वह पहले पकने लगे हैैं। बाकी कसर बेमौसम बारिश और पुरवाई निकाल रही, जिनके कारण आम की मिठास घटने की आशंका है।

यास व टाक्टे तूफान ने आम के लिए परिस्थितियां बदलीं

गोरखपुर जिले में कैंपियरगंज, भटहट, खजनी, सहजनवां, बड़हलगंज समेत कई स्थानों पर तीन हजार एकड़ से अधिक में आम के बाग हैैं। यहां आमतौर पर जून के दूसरे सप्ताह से फल पकना शुरू होते हैैं, लेकिन इस बार मई के आखिरी सप्ताह से पकने लगे हैैं। इसके पीछे मौसम कारण रहा। इस वर्ष जनवरी-फरवरी औसतन तीन डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रही। इससे बौर जल्दी आए। इस कारण फल जल्दी तैयार होने लगे, जिससे वे पूरा आकार नहीं ले सके।

पूर्वांचल में मई के औसत तापमान में सात डिग्री गिरावट आई तो बारिश में सात गुना बढ़ोतरी ने भी डाला असर

विशेषज्ञों के अनुसार मई की गर्मी आम के विकास और मिठास में मददगार होती है, लेकिन वह ठंडी रही। टाक्टे और यास तूफान के कारण मई का औसत तापमान 38 डिग्री सेल्सियस से सात डिग्री गिरकर 31 डिग्री पर आ गया, वहीं बारिश 45 मिलीमीटर के औसत से सात गुना अधिक 325 मिमी हुई।

दोनों तूफान के कारण बारिश और धूप का सिलसिला चला, जिससे आम पकने लगा। आम के छोटा रहने और जल्दी पकने से बागवान चिंतित भी हैैं। जंगल हरपुर के आम बागवान अवधेश कुमार पांडेय का कहना है कि इस बार आम पूरी तरह विकसित हुए बिना पक रहे हैं। कैंपियरगंज के अलेनाबाद में 50 एकड़ के बागवान गोरख चौरसिया ने बताया कि पुरवा हवा चलने के कारण आम अपेक्षाकृत छोटे रह गये हैं।

गौरजीत को मिला फायदा

स्वाद और महक के लिए प्रसिद्ध गोरखपुर की गौरजीत प्रजाति के लिए यह तूफान फायदेमंद रहा। यह अगैती प्रजाति है और मई के आखिरी सप्ताह में पकती है। तूफान के कारण उसे पकने के लिए बेहतर परिस्थिति मिली। ऐसे में उसका आकार ठीक और स्वाद बेहतर रहने की उम्मीद है।

तोडऩे में बरतें सावधानी

उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक डा.आरके तोमर का कहना है कि जनवरी-फरवरी गर्म होने के कारण बौर जल्दी आए। समय से पहले तैयार होने के कारण गुच्छे के एक-दो आम ही बड़े हुए, बाकी छोटे रह गए। बारिश के कारण जल्दी पकने भी लगे हैैं। किसान तुड़ाई में सावधानी रखें तो उन्हें लाभ मिलेगा। तुड़ाई के लिए हारवेस्टर का प्रयोग करें। इससे फल पर धमक नहीं लगेगी और कच्चे फल नहीं टूटेंगे। तुड़ाई के लिए लू का समय बेहतर रहेगा। लू में पकने वाले आम मीठे होते हैैं।

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर