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रामगढ़ ताल की वनस्पतियों को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान Gorakhpur News

वेटलैंड घोषित होने के बाद रामगढ़ताल का महत्व और बढ़ गया है। इस जलाशय में भारी संख्या में जलीय जीव मौजूद हैं। अब इन जीवों व जलाशय में मौजूद वनस्पतियों का अध्‍ययन होगा।

By Satish ShuklaEdited By: Updated: Fri, 19 Jun 2020 05:28 PM (IST)
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रामगढ़ ताल की वनस्पतियों को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान Gorakhpur News
गोरखपुर, जेएनएन। शहर में 737.07 हेक्टेयर भूभाग में फैले रामगढ़ताल को वेटलैंड (आर्द्रभूमि) घोषित किए जाने के बाद यहां की वनस्पतियों को अब अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी। ताल में मौजूद जलीय जीवों व जैव विविधता के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। प्रदेश आद्र भूमि प्राधिकरण खुद इस जलाशय की निगरानी करेगा।

वेटलैंड घोषित होने के बाद रामगढ़ताल का महत्व और बढ़ गया है। इस जलाशय में भारी संख्या में जलीय जीव मौजूद हैं। अब प्रदेश आद्र्भूमि प्राधिकरण इन जीवों व जलाशय में मौजूद वनस्पतियों का अध्ययन करेगा।

इस पर रहेगी रोक

ताल से 50 मीटर के दायरे में किसी नये उद्योग की स्थापना नहीं हो सकेगी। इस दायरे में पुरानी इकाइयों के विस्तार पर भी रोक रहेगी। इसमें खतरनाक किस्म का कचरा, पॉलीथिन, ठोस कचरा, गंदा पानी, अशोधित सीवेज का निस्तारण नहीं हो सकेगा। बंधे का निर्माण, मछली पालन, सिंघाड़े की खेती, सड़क निर्माण और पशुओं को चराने आदि की गतिविधियों को जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति नियंत्रित करेगी।

जल संरक्षण पर रहेगा विशेष जोर

कोई भी व्यक्ति रामगढ़ताल का जल बर्बाद नहीं कर सकेगा। यहां से जल निकाला भी नहीं जा सकेगा। इससे वाटर रिचार्ज की स्थिति में सुधार होगा।

भोपाल व उदयपुर की झील की भांति ताल को विकसित करना चाहते थे मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सांसद रहते हुए रामगढ़ताल को भोपाल व उदयपुर की झील की भांति विकसित करना चाहते थे। दो दशक पहले तक इस ताल की दशा दयनीय थी। इसमें शहर का गंदा पानी गिरता था, लेकिन मुख्यमंत्री के प्रयासों की देन है कि आज उसका सौंदर्य देखने लायक हो गया है। पर्यटन स्थल के रूप में विकसित ताल किनारे फिल्मों की शूटिंग पर विचार चल रहा है।

नहीं होगी जल की बर्बादी

डीएफओ अविनाश कुमार का कहना है कि रामगढ़ताल की वनस्पतियों का विशेष ख्याल रखा जाएगा। यहां के जल की बर्बादी नहीं हो सकेगी। रामगढ़ताल की प्रकृति से कोई छेड़छाड़ न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा। यहां जैव विविधता के संरक्षण व संवर्धन का प्रयास होगा। 

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