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ये हैं पुलिस के डाबर मैन व जर्मन शेफर्ड, आप भी जानें- इनकी कहानी, Gorakhpur News

पुलिस के श्वान दल (डाग स्क्वाड) में बम डिस्पोजल की जिम्मेदारी स्नाइफर डाग डाबर मैन पर है। जबकि गुंडों बदमाशों का सुराग ट्रैकर डाग जर्मन शेफर्ड निभा रहे हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Updated: Tue, 10 Sep 2019 11:07 AM (IST)
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ये हैं पुलिस के डाबर मैन व जर्मन शेफर्ड, आप भी जानें- इनकी कहानी, Gorakhpur News
गोरखपुर, जेएनएन। आतंकियों, बदमाशों, गुंडों का सुराग लगाने वाले पुलिस विंग के सबसे सशक्त सिपहसालार डाबर मैन व जर्मन शेफर्ड डाग उपेक्षा के शिकार हो गए हैं। मंडल मुख्यालय पर उम्र पार कर चुके जाबांज श्वानों से क्षमता से अधिक काम लिया जा रहा है, पर पूरी खुराक नहीं दी जा रही है।

वर्तमान समय में हर वीआइपी की सुरक्षा इन जाबांज कुत्तों के इशारे पर मुकम्मल होती है लेकिन हैरानी की बात यह है कि इनकी दयनीय स्थिति पर अब किसी भी वीआइपी की नजर नहीं पड़ रही है। पुलिस के श्वान दल (डाग स्क्वाड) में बम डिस्पोजल की जिम्मेदारी स्नाइफर डाग डाबर मैन पर है। जबकि गुंडों, बदमाशों का सुराग ट्रैकर डाग जर्मन शेफर्ड निभा रहे हैं।

जरूरत आठ की, मौजूद सिर्फ चार

मंडल मुख्यालय पर चार डाबर मैन व चार जर्मन शेफर्ड की जरूरत है पर वर्तमान समय में एक डाबर मैन व तीन जर्मन शेफर्ड ही हैं। यही कारण है कि संगीन वारदात से जुड़े सभी घटनास्थल पर श्वान दल नहीं पहुंच पा रहे हैं। मंडल मुख्यालय गोरखपुर के श्वान दल पर महराजगंज व देवरिया जनपद में होने वाली आपराधिक घटनाओं में शामिल बदमाशों का सुराग लगाने की भी जिम्मेदारी है पर श्वानों की संख्या कम होने का दंश थाना पुलिस झेल रही है। श्वान दल में नर व मादा दोनों होते हैं। अधिकांश नर लापरवाह होते हैं पर मादा जिम्मेदार होती है और टारगेट जल्दी कवर करती है।

उम्र पार कर चुके चारों श्वान

मंडल मुख्यालय पर तैनात डाबर मैन समेत सभी श्वान उम्र पार कर चुके हैं। चार से छह वर्ष के उम्र के डाबर मैन व शेफर्ड में ही बेहतर कार्य करने की क्षमता होती है पर यहां तैनात सभी श्वान 11 वर्ष के हो चुके हैं।

खुराक का भत्ता कम, रहने की व्यवस्था नहीं

पुलिस के इस सशक्त बल में शामिल प्रति कुत्ता मात्र 295 रुपये भत्ता मिलता है। इस धन में आधा किलो दूध, आधा किलो आटे की रोटी, आधा किलो मटन, हरी सब्जियां, दवाएं, टानिक और वैक्सीन देना कठिन है। इन जाबांज कुत्तों को एक साथ रहने के लिए कैनल होना चाहिए लेकिन चारों कुत्ते अलग-अलग रहते हैं। कूलर भी सिर्फ दो के लिए लगा है। बिजली जाने पर जनरेटर की व्यवस्था नहीं है।

खेलकूद व व्यायाम का स्थान नहीं

जाबांज कुत्तों के लिए खेलकूद व व्यायाम की भी व्यवस्था नहीं है। ड्य़ूटी पर जाते समय ही इन्हें बाहर निकाला जाता हैै। नियमित व्यायाम न कर पाने से इनकी कार्य क्षमता प्रभावित हो रही है। मंडल मुख्यालय परं बम स्क्वाड में इनोला व इतलम संगीन वारदातों में शामिल बदमाशों का सुराग लगाने वाले दल में हैट व लिली नामक श्वान हैं। गोरखनाथ मंदिर परिसर  और एअरपोर्ट की सुरक्षा के लिए हर रोज सुबह इतलम व इनोला को भेजा जाता है।

नर की तुलना में मादा अधिक जिम्‍मेदार

श्वान दल के प्रभारी सुमेर प्रसाद का कहना है कि कुत्तों को मानक के अनुसार खुराक दी जा रही है। नर की तुलना में मादा श्वान अधिक जिम्मेदार होती हैै। उपलब्ध कुत्तों की उम्र लगभग 11 वर्ष है। इनके रहने की उचित व्यवस्था के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है। दो और श्वान भेजने का प्रस्ताव शासन ने स्वीकार कर लिया है।

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