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जान ले लेंगे मिलावटी दूध, असली और मिलावटी दूध में ऐसे करें फर्क Gorakhpur News

फेस्टिव सीजन में नकली दूध की आपूर्ति बढ़ जाती है। इन तरीकों को अपना कर आप असली और नकली दूध का फर्क जान सकते हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Mon, 28 Oct 2019 02:56 PM (IST)
जान ले लेंगे मिलावटी दूध, असली और मिलावटी दूध में ऐसे करें फर्क Gorakhpur News
गोरखपुर, जेएनएन। जनपद में बड़े पैमाने पर मिलावटी दूध का कारोबार हो रहा है। महानगर व उसके आस-पास के इलाकों में यह धंधा खूब फल-फूल रहा है। प्रशासन की कार्रवाई के दौरान देहात के एरिया में मिलावटी दूध के कई मामले सामने आ चुके हैं। गांवों से बड़े स्तर पर दूध की सप्लाई शहर में हो रही है। इसके अलावा विभिन्न डेयरियों से भी पैक होकर दूध महानगर में आता है। जनपद में लगभग दो लाख लीटर दूध की डिमांड है। फेस्टिव सीजन में यह बढ़कर 2.5 लाख लीटर तक हो जाता है। पर हैरानी की बात है कि दूध की पूर्ति कभी कम नहीं पड़ती। ऐसे में साफ है कि मिलावटखोरी जोरों पर है। डेयरी संचालकों के अनुसार प्लांट से दूध की सप्लाई होती है, लेकिन यह जानकारी नहीं कि वह दूध की पूर्ति कहां से करते हैं।

खतरनाम केमिकल का होता है प्रयोग

दूध के कारोबार से जुड़े लोगों के अनुसार मिलावटी दूध तैयार करने में बेहद खतरनाक केमिकल का प्रयोग किया जाता है। इनमें यूरिया से लेकर शैंपू और ईजी के पाउच तक प्रयोग किए जा रहे हैं। इसके अलावा नकली दूध बनाने के लिए यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर, स्टार्च, ग्लूकोज, फार्मेलीन की भी मिलावट होती है।

दूध में डिटर्जेंट, सोडा, यूरिया, स्टार्च मिला हो तो ये आपके लिए हो सकता है जानलेवा

खाने-पीने की चीजों में मिलावट बढ़ती जा रही है। सबसे ज्यादा मिलावट दूध में हो रही है, जिसे तरह-तरह के रासायनों से मिलाकर बनाया जा रहा है। अगर दूध में डिटर्जेंट, सोडा, यूरिया, स्टार्च मिला हो तो ये आपके लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। अगर हम कुछ छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान दें तो आसानी से मिलावटी दूध और तेल की पहचान कर सकते हैं।

ऐसे करें दूध की शुद्धता की जांच

सोडा परीक्षण

पांच मिली. दूध में इतना ही अल्कोहल मिलाएं। इसके बाद इसमें पांच बूंद रोजेलिक एसिड डालें। अगर दूध गहरे लाल रंग का हो जाता है तो समझ लीजिए कि मिलावट की गई है।

यूरिया परीक्षण

पांच मिलीलीटर कच्चे दूध में इतना ही पैराडाइमिथाइल एमिनो बैन्जालिडहाइड केमिकल मिलाएं। इसके बाद अगर दूध गहरा पीले रंग का हो जाता है तो इसमें यूरिया की पुष्टि हो जाएगी।

फार्मेलिन परीक्षण

पांच मिलीलीटर कच्चे दूध में इतना ही फ्लोरोग्लूसिनाल डालें। इसके बाद तैयार मिश्रण में पांच बूंद सोडियम हाइड्राक्साइड मिला दें। अगर दूध गहरें लाल रंग का हो जाता है तो मान लीजिए कि इसमें गड़बड़ है।

डिटर्जेंट परीक्षण

पांच मिलीलीटर कच्चे दूध में दो बूंद ब्रोमोकिसाल परपल घोल डालें। अगर दूध में डिटर्जेंट मिला होगा तो उसका रंग नीला हो जाएगा।

हाइड्रोजन पराक्साइड का परीक्षण

पांच मिलीलीटर दूध में चार बूंद बेन्जिलीडीन तथा दो बूंद एसिटिक एसिड डालकर हिलाएं। मिलावट होगी तो दूध नीले रंग का हो जाएगा।

स्टार्च परीक्षण

उबाले हुए दूध को पहले ठंडा कर लें। इसके बाद पांच मिलीलीटर दूध में आयोडिन की पांच बूंदें डालें। इस मिश्रण के बाद अगर दूध का रंग नीला होता है तो उसमें स्टार्च मिला है।

सात डेयरियां करती हैं आपूर्ति

विभाग के मुताबिक सात डेयरियों से जनपद को दूध की आपूर्ति की जाती है। दूधिए प्रतिदिन ६० हजार लीटर की आपूर्ति करते हैं। ज्ञान, पारस, शुद्ध, मदर डेयरी, पराग, कौतुकी व अमूल जैसी डेयरियों से १.४० लाख लीटर की आपूर्ति की जाती है।

डेयरी ही स्किम्ड मिल्क से दूध बनाने के लिए अनुमन्य : श्रवण मिश्र

खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन के सहायक आयुक्त श्रवण मिश्र बताते हैं कि डेयरी संचालक ही मानकीकरण के साथ पाउडर से दूध बना सकते हैं। दुधिया को पाउडर से दूध बनाने की अनुमति नहीं है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसका कार्य अधोमानक की श्रेणी में आएगा। गर्मी में दूध की आपूर्ति में २५ से ४० फीसद की कमी हो जाती है। इसको देखते हुए प्रत्येक माह १८ से २० दूध व दुग्ध पदार्थों के नमूने लिए जाते हैं। जांच रिपोर्ट आने पर खाद्य सुरक्षा मानक के अंतर्गत विधि सम्मत कार्रवाई की जाती है।

देहात व शहरी क्षेत्रों के लिए टीमें गठित : सिटी मजिस्टे्रट

सिटी मजिस्ट्रेट उमेश मिश्र ने बताया कि दूध व दुग्ध पदार्थों की जांच के लिए नमूने लिए जाते हैं। उसे परीक्षण के लिए भेजा जाता है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाती है। शहर व देहात क्षेत्र के लिए अलग-अलग टीमें गठित कर दी गई हैं।

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