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यहां जमीन फाड़कर निकली थीं काली मां, जानें-उसके बाद कैसे लगी मूर्ति Gorakhpur News

गोलघर की काली मां की मूर्ति जमीन फाड़कर निकली है। जब यह पूरा क्षेत्र जंगल था उसी जंगल में एक जगह मां का मुखड़ा जमीन फोड़कर ऊपर निकला। इसके बाद भीड़ जुट गई और वहीं पूजा होने लगी।

By Satish ShuklaEdited By: Updated: Tue, 01 Oct 2019 06:05 PM (IST)
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यहां जमीन फाड़कर निकली थीं काली मां, जानें-उसके बाद कैसे लगी मूर्ति Gorakhpur News
गोरखपुर, जेएनएन। मां काली का मंदिर गोलघर में स्थित है। इस मंदिर की दूरी रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, कचहरी व विश्वविद्यालय से लगभग डेढ़ किलोमीटर है।

मंदिर का इतिहास

गोलघर की काली मां की मूर्ति जमीन फाड़कर निकली है। जब यह पूरा क्षेत्र जंगल था, उसी जंगल में एक जगह मां का मुखड़ा जमीन फोड़कर ऊपर निकला। इसके बाद खबर फैली तो भीड़ जुट गई और वहीं पूजन-अर्चन शुरू हो गया। श्रद्धालुओं की आस्था देखकर जंगीलाल जायसवाल ने संवत 2025 में वहां मंदिर का निर्माण कराया। तभी से प्रतिदिन वहां पूजा होने लगी। पहले वहां जमीन से निकली मूर्ति थी। बाद में वहां काली मां की एक बड़ी मूर्ति लगवाई गई। मूर्ति के ठीक सामने नीचे स्वयंभू काली मां का मुखड़ा आज भी वैसा ही है, जैसा जमीन से निकला था।

यहां हर मनोकामना होती है पूरी

पुजारी संजय सैनी का कहना है कि मान्यता है कि गोलघर की काली मां बहुत सिद्ध हैं। ऐसा कहा जाता है कि सुबह, दोपहर और शाम में काली मां की मूर्ति के स्‍वरूप में बदलाव हो जाता है। यही कारण है कि उनसे  सच्‍चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। भीड़ तो सामान्‍यता प्रतिदिन रहती है, पर पूरे नवरात्र यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है।

मैने जो मांगा, वह मिला

श्रद्धालु सुमित्रा देेेेवी का कहना है कि मां की कृपा सभी भक्तों पर अनवरत बरसती रहती है। काली मां में मेरी आस्‍था है। मैं कई वर्षों से नवरात्र में नियमित यहां पूजन-अर्चन करने आती हूं। मेरी सभी मनोकामनाएं मां काली पूरी करती रहती हैं।

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