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मार्च में गोरखपुर के इन तीन स्कूलों पर लटक जाएगा ताला, बच्चों की ड्रेस और रख-रखाव के पैसे भी मिलने हो गए बंद

Gorakhpur News वर्तमान में चार विद्यालय लखेसरा बशारतपुर बेलवार और नौवा डुमरी में संचालित हैं । बेलवार को छोड़कर तीन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसलिए इन विद्यालयों पर ताला लटक जाएगा। यहां हर साल स्कूल के रख-रखाव के लिए पांच हजार रुपये प्रति वर्ष मिलते थे लेकिन अब नहीं मिलता है ।

By Sunil Singh Edited By: Aysha SheikhUpdated: Sun, 04 Feb 2024 01:22 PM (IST)
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मार्च में गोरखपुर के इन तीन स्कूलों पर लटक जाएगा ताला

सुनील सिंह, गोरखपुर। जिले के तीन अनुसूचित जाति प्राथमिक विद्यालय मार्च में बंद हो जाएंगे। तीनों विद्यालय में कार्यरत एक-एक शिक्षक 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। बेलवार स्थित विद्यालय के शिक्षक की सेवानिवृत्ति वर्ष  2030 में है, इसलिए यह विद्यालय उस अवधि तक संचालित होता रहेगा।

आजादी से पूर्व आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजाेर पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने के लिए अनुसूचित जाति प्राथमिक विद्यालय (पूर्व नाम हरिजन प्राथमिक विद्यालय) खोले गए। जिले में इस तरह के 14 विद्यालय थे।

इन विद्यालयों के देखरेख की जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग की रही। वर्ष 1994 में जिले के दो प्रबंधकीय विद्यालयों नौवा डुमरी और चौक माफी को सरकार की ओर से अनुदान पर लिया गया, लेकिन यहां के शिक्षकों को वेतन नहीं मिल पाया। इसके बाद इन विद्यालयों के शिक्षकों ने उच्च न्यायालय की शरण लिया।

न्यायालय के आदेश पर वर्ष 2016 में सभी शिक्षकों को वेतन और उस अवधि के बकाए का एरियर मिला। उसी समय से समाज कल्याण विभाग की ओर से शिक्षकों की भर्ती बंद कर दी गई। शिक्षक सेवानिवृत्त होते गए और शिक्षकों के अभाव में एक-एक कर विद्यालय बंद होते गए।

वर्तमान में चार विद्यालय लखेसरा, बशारतपुर, बेलवार और नौवा डुमरी में संचालित हैं। बेलवार को छोड़कर तीन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसलिए इन विद्यालयों पर ताला लटक जाएगा। वहीं, बेलवार स्थित विद्यालय के शिक्षक की सेवानिवृत्ति वर्ष 2030 में है।

विद्यालयवार छात्रों का पंजीकरण

लखेसरा में - 66

बशारतपुर में - 35

बेलवार में - 87

नौवा डुमरी में -115

छात्रों को नहीं मिलती है ड्रेस

अनुसूचित जाति प्राथमिक विद्यालय के छात्रों को पहले बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से मध्याह्न भोजन, किताब और ड्रेस दिया जाता था। पांच वर्ष से बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से ड्रेस दिया जाना बंद हो गया है। इसके अलावा हर साल स्कूल के रख-रखाव के लिए पांच हजार रुपये प्रति वर्ष मिलते थे, लेकिन अब यह नहीं मिलता है।

विभाग की ओर से जिले में चार अनुसूचित जाति प्राथिमक विद्यालय संचालित हो रहे हैं। तीन विद्यालयों में कार्यरत एक-एक शिक्षक मार्च में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वहां अन्य शिक्षक नहीं हैं, इसलिए इनका आगे के सत्र में संचालन हो पाना संभव नहीं हो सकेगा। छात्रों को पास के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई जारी करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। - वेद प्रकाश मिश्र, जिला समाज कल्याण अधिकारी (विकास)

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