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Tirupati Laddu Controversy: तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशुओं की चर्बी म‍िलाने पर भड़के साधु-संत, कड़ी कार्रवाई की मांग

Tirupati Laddu Controversy आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशुओं की चर्बी और मछली का तेल पाए जाने को लेकर संतों-महंतों का गुस्‍सा फूटा है। महंतों ने इसे श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ और मंदिरों को प्रतिष्ठा को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास माना है। ऐसा करने वालों को चिह्नित करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की है।

By Rakesh Rai Edited By: Vinay Saxena Updated: Sat, 21 Sep 2024 12:50 PM (IST)
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डॉ. राम विलास वेदांती, डॉ. रामकमल दास वेदांती, महंत शेरनाथ।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशुओं की चर्बी और मछली का तेल पाए जाने को संतों-महंतों ने गंभीरता से लिया और इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। महंतों ने इसे श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ और मंदिरों को प्रतिष्ठा को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास माना है। ऐसा करने वालों को चिह्नित करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की है। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की श्रद्धांजलि सभा में हिस्सा लेने के लिए गोरखनाथ मंदिर आए जब देश के कुछ प्रमुख संतों से जागरण ने इस प्रकरण को लेकर बात की तो उनका आक्रोश फूट पड़ा।

डॉ. राम विलास वेदांती (पूर्व सांसद, वशिष्ठ भवन, हिंदू धाम, अयोध्या) ने कहा क‍ि प्रसाद में पशुओं की चर्बी और मछली का तेल मिलने की घटना संतों को आक्रोशित करने वाली है। यह केवल भक्तों के साथ ही नहीं, बल्कि भगवान के साथ भी विश्वासघात है। यह किसी साजिश के तहत किया गया है। साजिश का पर्दाफाश होना चाहिए और जो भी इसका दोषी पाया जाए, उसे ऐसी सजा दी जाए कि आगे से कोई ऐसा करने की हिम्मत न जुटा सके।

डॉ. रामकमल दास वेदांती (अनंतानंद द्वाराचार्य, काशीपीठाधीश्वर) ने कहा, ''हमारे यहां लहुसन-प्याज भी वर्जित है, ऐसे में प्रसाद में पशुओं की चर्बी और मछली के तेल के इस्तेमाल की बात सामने आना दुखद है। इससे साफ है कि अध्यात्म खतरे में है। ऐसी घटनाएं धर्म की रक्षा के लिए हमें सतर्क करतीं हैं। इस प्रकरण की गहन जांच होनी चाहिए। दोषियों की तलाश होनी चाहिए। उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।''

निश्चित रूप से जिसने भी भगवान के प्रसाद में इस तरह की मिलावट करने की कोशिश की है, वह घृणित व्यक्ति है। वह श्रद्धालुओं का दोषी तो है कि भगवान का भी दोषी है। ऐसे लोगों को भगवान तो सबक सिखाएंगे ही, शासन-प्रशासन स्तर पर भी सजा मिलनी चाहिए। यह प्रभु, भक्तों की आस्था, श्रद्धा और विश्वास पर चोट है। इसे हम हरगिज नहीं बर्दाश्त करेंगे।- महंत शेरनाथ, गोरखनाथ आश्रम, जूनागढ़ गुजरात

नैमिषारण्य धाम, सीतापुर के स्वामी विद्या चैतन्य ने कहा, ''भगवान का प्रसाद तो शुद्ध देशी घी से बनना चाहिए। ऐसे में मछली के तेल का इस्तेमाल तो अनर्थ है। यह हिंदू संस्कृति और मान्यता दोनों को चोट पहुंचाने वाला है। मैं न केवल इसकी घोर निंदा करता हूं, बल्कि यह भी चाहता हूं कि जिन लोगों ने भक्तों की आस्था व भावना के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की है, उन्हें इस हिमाकत के लिए कड़ी सजा दी जानी चाहिए।'' 

यह सनातन धर्म पर एक आघात है जो छिपाकर किया गया। अपवित्र चीजों की भगवान के प्रसाद में मिलावट कर सनातन धर्म को भ्रष्ट करने की कोशिश की गई है। यह धर्मविरोधी कृत्य है। इसका विरोध होना चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। संत समाज इस घटना से आहत है।- आचार्य रामनारायण त्रिपाठी, महंत, हनुमान मंदिर बेतियाहाता


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