पावर ऑफ अटॉर्नी के नए नियमों ने बढ़ाई लोगों की मुश्किलें, संपत्ति पर अधिकार पाने के लिए अब खर्च करने होंगे लाखों
गोरखपुर में पावर ऑफ अटॉर्नी के नियमों में बदलाव से अब रक्त संबंध के बाहर किसी को भी अचल संपत्ति बेचने के लिए अटॉर्नी देने पर बैनामे के बराबर स्टांप शुल्क देना होगा। यह संपत्ति की कुल कीमत का लगभग सात प्रतिशत होगा। इस नियम के लागू होने से पहले हर साल लगभग 350 से 400 पंजीकरण हो जाते थे लेकिन अब यह संख्या न के बराबर हो गई है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पावर ऑफ अटॉर्नी (मुख्तारनामा) को लेकर 28 दिसंबर, 2023 को नया नियम लागू होने के साथ ही लोग नया पंजीकरण कराने से बचने लगे हैं। रक्त संबंध में पावर ऑफ अटॉर्नी देने पर अब पांच हजार रुपये तो रक्त संबंध के बाहर अचल संपत्ति विक्रय के लिए अधिकार लेने पर बैनामा के बराबर स्टांप शुल्क देना होगा। यह संपत्ति की कुल कीमत का लगभग सात प्रतिशत होगा।
न के बराबर पंजीकृत हो रही पावर ऑफ अटार्नी
भारी-भरकम धनराशि होने के कारण अब इस तरह की पावर ऑफ अटॉर्नी न के बराबर पंजीकृत हो रही है। लोगों का मोह भंग हो चुका है। यह नियम लागू होने से पहले हर साल लगभग 350 से 400 पंजीकरण हो जाते थे। इनमें भी सर्वाधिक पंजीकरण सदर तहसील में होते थे।
आमतौर पर लोग अपनी संपत्ति की बिक्री, उसके देखभाल, वाहनाें के संचालन एवं रख-रखाव के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी करते थे। यह दस्तावेज लगभग 550 रुपये खर्च में पंजीकृत हो जाता था। इसमें स्टांप शुल्क 50 से 100 रुपये का होता था। 500 रुपये पंजीकरण शुल्क लगता था। कुछ शहरों में इसके दुरुपयोग के मामले आने लगे तो इससे बचने के लिए सरकार ने नियम में बदलाव कर दिया।
नए नियम में रक्त संबंध से बाहर के किसी व्यक्ति को विक्रय के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिये अधिकार पाने के लिए लाखों रुपये खर्च करने पड़ेंगे। अच्छी-खासी धनराशि खर्च होने के कारण लोगों ने इससे पीछा छुड़ाना ही बेहतर समझा। जिले में अचल संपत्ति के विक्रय के लिए एक भी पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत नहीं हुई है।
चल-अचल संपत्ति की देखरेख के लिए पुराना ही नियम
उप निबंधक प्रथम सुबोध राय का कहना है कि अभी भी चल या अचल संपत्ति की देखरेख के लिए पुराना नियम ही लागू है। इसमें 50 रुपये के स्टांप पर पंजीकरण हो जाता है। लेकिन, अचल संपत्ति की बिक्री का अधिकार पाने के लिए रक्त संबंध में पांच हजार रुपये तो रक्त संबंध के बाहर बैनामा के बराबर स्टांप देना होगा। ऐसी पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकरण के लिए न के बराबर आ रही है।यह भी पढ़ें- Gorakhpur News: फायर एनओसी पर बढ़ा खर्च, गीडा के उद्यमियों ने नियमों में बदलाव करने पर दिया जोर
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