देखिए रामायण के ग्राम, जहां भाइयों संग बसे हैं श्रीराम; हर मोड़ पर प्रभु के दर्शन कराती है गांवों की बसावट
Gorakhpur News गोरखपुर से सटी सरदारनगर ब्लाक की चौहद्दी अवधपुर और अयोध्या चक से होते हुए शत्रुघ्नपुर लक्ष्मणपुर भरतपुर के आगे रामपुर तक ले जाती है। आराध्य के पास महादेव मिल जाते हैं ज्यों ही हम रामपुर के बाद शिवपुर में आते हैं । अयोध्याजी में श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर यहां छाए उल्लास की बातें सुनाते हैं।
सुनील सिंह, गोरखपुर। सिया के राम पिया में दिखने लगते हैं, इस तरह विवाह के मंगलगीतों में यहां श्रीराम सजते हैं। परिवार में नवागत के स्वागत का उत्सव तब तक अधूरा लगता है, जब तक रामनाम से सजा सोहर सुनने को नहीं मिलता है। सुबह गांव की चौपाल पर बैठकी राम-राम से शुरू होती है, शाम को घर वापसी भी सीता-राम कहकर होती है।
बापू की तरह मोक्ष के लिए हर कोई अंतिम स्वांस पर हे राम लाना चाहता है, राम नाम सत्य है... सुन हर कोई वैकुंठधाम जाना चाहता है। लोक की लालसा ऐसे अनगिन आकार पाती है और इसी तरह सरदारनगर ब्लाक के ग्रामों में पूरी रामायण बस जाती है। चलिए रामायण के ये ग्राम आपको दिखाते हैं, जहां भाइयों संग बसे श्रीराम कण-कण में नजर आते हैं।
धर्म के जीवंत विग्रह की एक पूरी बस्ती
गांवों की बसावट लोक चित्त में बसे श्रीराम का दर्शन कराती है। गोरखपुर से सटी सरदारनगर ब्लाक की चौहद्दी अवधपुर और अयोध्या चक से होते हुए शत्रुघ्नपुर, लक्ष्मणपुर, भरतपुर के आगे रामपुर तक ले जाती है। आराध्य के पास महादेव मिल जाते हैं, ज्यों ही हम रामपुर के बाद शिवपुर में आते हैं।यहीं पास में शक्ति स्वरूपा माता तरकुलही अपने आशीष से रजकण को दिव्य बनाती हैं और इस तरह धर्म के जीवंत विग्रह की एक पूरी बस्ती यहां आकार पाती है। कई पीढ़ियों पुराने इन गांवों के नाम को देवीपुर के विजय कुमार शाही 'रतन' लोक में बसे राम का साक्षात प्रमाण बताते हैं।
तरकुलही देवी मंदिर में भव्य आयोजन की तैयारी
अयोध्याजी में श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर यहां छाए उल्लास की बातें सुनाते हैं। 21 व 22 जनवरी को श्रीरामोत्सव पर तरकुलही देवी मंदिर में भव्य आयोजन की तैयारी जानकर हम आगे बढ़ जाते हैं। फिर अवधपुर, अयोध्या चक और शत्रुघ्नपुर की सीमा से सटे श्रीहनुमंतधाम मंदिर के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पवन सिंह मिलते हैं।वह 21 जनवरी को श्रीरामनाम संकीर्तन और 22 जनवरी को निकलने वाली भव्य शोभायात्रा की जानकारी देते हैं। पुजारी राधेश्याम दुबे उल्लसित हो बिंदुवार पूरी तैयारी गिनाते हैं। विदा होते-होते रामायण ग्रामों से सटे श्रीहनुमंतधाम में सेवा को वह कई जन्मों का सौभाग्य बताते हैं।
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