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यूपी के इन छह सीटों पर Exit Poll से नहीं, मतदान के आंकड़ों पर तय हो रहे हार-जीत के समीकरण

महराजगंज लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मतदान हुआ है। गोरखपुर मंडल की छह संसदीय सीटों में से यह इकलौती ऐसी सीट है जहां 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है। इस सीट पर छह बार के सांसद एवं केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी मैदान में हैं। उनके सामने इंडी की ओर से कांग्रेस ने फरेंदा के विधायक वीरेंद्र चौधरी को उतारा है। इस सीट पर कुर्मी मतों की बहुलता है।

By Umesh Pathak Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 02 Jun 2024 09:57 AM (IST)
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रामरेखा सिंह इंटर कालेज उरूवा बाजार में वोट डालने के बाद सेल्फी प्वांट पर सेल्फी लेतीं युवतियां। जागरण

उमेश पाठक, जागरण गोरखपुर। स्कूल की छुट्टियां हो चुकी हैं। प्रचंड गर्मी पड़ रही है। ऐसे में बहुत से परिवार छुट्टी मनाने जा चुके हैं। इन कारणों से यह माना जा रहा था कि मतदान प्रतिशत कम रह सकता है। लेकिन, मतदान हुआ तो अच्छे-खासे मतदाता बूथों तक पहुंचे।

उन सीटों पर मतदाताओं का उत्साह देखने लायक था, जहां सियासी रण रोचक हो चुका था। वहां के मतदान प्रतिशत इस बात को पुष्ट करते हैं कि लड़ाई का प्रभाव आम आदमी पर था और इसीलिए अपने प्रत्याशी को और मजबूत बनाने के लिए वे बूथों तक आए। अधिक मतदान प्रतिशत ने किसी को निराश किया है तो कोई खुश भी हुआ है।

महराजगंज लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मतदान हुआ है। गोरखपुर मंडल की छह संसदीय सीटों में से यह इकलौती ऐसी सीट है, जहां 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है। इस सीट पर छह बार के सांसद एवं केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी मैदान में हैं।

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उनके सामने इंडी गठबंधन की ओर से कांग्रेस ने फरेंदा के विधायक वीरेंद्र चौधरी को मैदान में उतारा है। इस सीट पर कुर्मी मतों की बहुलता है। यह जातीय फैक्टर ही रहा कि यहां लड़ाई रोचक हो गई। रोमांच बढ़ा तो मतदाताओं ने भी इसमें स्वयं को शामिल कर लिया और खूब मतदान हुआ।

अच्छा मतदान होने से भाजपा खेमे में उत्साह है, जबकि इंडी गठबंधन भी समीक्षा करने में जुटा है। भाजपा खेमे में उत्साह का प्रमुख कारण कुर्मी बहुल सिसवा विधानसभा क्षेत्र में हुआ सर्वाधिक मतदान भी है।

कुशीनगर सीट पर भी मतदान का आंकड़ा उत्साहजनक है। यहां भाजपा ने अपने सांसद विजय कुमार दूबे पर ही फिर भरोसा जताया था तो गठबंधन की ओर से सपा ने अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू सैंथवार को मैदान में उतारा। पिंटू के जरिये सपा ने सैंथवार मतदाताओं को साधने का प्रयास किया।

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इस सीट पर सैंथवार, कुर्मी मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी मानी जाती है। इस वर्ग के बड़े नेता माने जाने वाले आरपीएन सिंह इस समय भाजपा में हैं। इसके चलते इस सीट पर सबकी निगाहें टिकी हैं। यहां आरपीएन सिंह की साख भी दांव पर लगी है।

यहां भी अधिक मतदान से भाजपा खेमा उत्साहित है, क्योंकि इस सीट के अंतर्गत आने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों में सर्वाधिक मतदान खड्डा में हुआ है। विजय दूबे खड्डा से गहराई से जुड़े हैं। वहां से विधायक रह चुके हैं। उनके पुत्र ब्लाक प्रमुख हैं। यह क्षेत्र उनका गढ़ माना जाता है और यहां हुए सर्वाधिक मतदान ने उनका हौसला बढ़ाया है।

बात देवरिया लोकसभा क्षेत्र की करें तो यहां पहली बार प्रत्याशी बनाए गए शशांक मणि त्रिपाठी के लिए बेहतर मतदान प्रतिशत अच्छा माना जा रहा है। यहां कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह ने लड़ाई को रोचक बना दिया है। लड़ाई रोचक हाेने का ही नतीजा था कि यहां भी मतदाता अच्छी-खासी संख्या में निकले हैं।

कांग्रेस का खेमा इस बात का दावा करता है कि उन्हें काफी अच्छा वोट मिला है, लेकिन भाजपा के प्रभाव वाले विधानसभा क्षेत्रों में अच्छी वोटिंग हुई है। पिछले लोकसभा चुनाव में सभी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को जीत मिली थी।

गोरखपुर में 54.69 प्रतिशत वोट पड़े हैं। गोरक्षपीठ के प्रभाव वाली इस सीट पर 50 प्रतिशत से अधिक मतदान की स्थिति में भाजपा को फायदा होता नजर आता है। हालांकि, यहां की सभी विधानसभा सीटाें पर भाजपा ही जीती है, लेकिन पिपराइच, सहजनवां व सदर में खासा प्रभाव रहता है। सदर को छोड़ दें तो पिपराइच व सहजनवां में भारी मतदान भाजपाइयों को उत्साहित कर रहा है।

बांसगांव व सलेमपुर लोकसभा क्षेत्रों में शुरुआती दिनों में कड़ी प्रतिस्पर्धा की चर्चा थी। कारण, प्रत्याशियों से कथित नाराजगी। लेकिन जैसे ही बड़े नेताओं ने क्षेत्र को मथना शुरू किया, नाराजगी की चर्चा भी दूर हो गई और लोगों को लड़ाई आसान लगने लगी। इन दोनों क्षेत्रों में लगभग 51 प्रतिशत मतदान हुआ है।

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