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Gorakhpur News: नवमी का प्रसाद बनाते समय हुआ हादसा, सिलेंडर के विस्फोट से महिला का पेट फटा

नवमी पर कुछ लोग प्रसाद बना रहे थे। अचानक बर्नर से गैस लीक होने लगी और धीरे-धीरे आग की चपेट में सिलेंडर आ गया। लोगों ने धूल-गीले चादर से गैस रिसाव को रोकने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसी बीच रिशा शर्मा कूड़ा फेंकने के लिए घर से बाहर निकलीं। तभी सिलेंडर में विस्फोट हो गया। सिलेंडर का एक टुकड़ा उनके पेट में लग गया।

By Durgesh Tripathi Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 18 Apr 2024 09:04 AM (IST)
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रिशा शर्मा कूड़ा फेंकने के लिए घर से बाहर निकलीं। जैसे ही वह आगे पहुंचीं, सिलेंडर में विस्फोट हो गया।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। खोराबार थाना क्षेत्र के सैनिक नगर कालोनी में बुधवार शाम 5:30 बजे प्रसाद बनाते समय छोटे सिलेंडर में विस्फोट हो गया। सिलेंडर का टुकड़ा कूड़ा फेंकने पहुंची 40 वर्षीय रिशा शर्मा के पेट में घुस गया। इससे उनका पेट फट गया।

स्वजन उनको लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पहुंचे, लेकिन थोड़ी देर के बाद बड़े अस्पताल ले जाने की बात कहते हुए रेफर कर दिया गया। स्वजन ने एंबुलेंस मांगी तो इमरजेंसी से मना कर दिया गया।

इस पर जमकर हंगामा हुआ। एम्स थाने से पुलिस भी पहुंच गई। फिर एम्स के एंबुलेंस से महिला को बाबा राघवदास मेडिकल कालेज ले जाया गया।

नवमी पर कुछ लोग प्रसाद बना रहे थे। इसके लिए कालोनी के खुले स्थान पर बर्नर वाले छोटे सिलेंडर का उपयोग हो रहा था। अचानक बर्नर से गैस लीक होने लगी और धीरे-धीरे आग की चपेट में सिलेंडर आ गया।

पहले तो लोगों ने धूल और गीले चादर से गैस रिसाव को रोकने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली तो लोग शोर मचाते हुए वहां से दूर भाग गए।

लोग आग बुझने का इंतजार कर रहे थे कि इसी बीच थोड़ी दूरी पर रहने वाली रिशा शर्मा कूड़ा फेंकने के लिए घर से बाहर निकलीं। जैसे ही वह आगे पहुंचीं, सिलेंडर में विस्फोट हो गया।

सिलेंडर का एक टुकड़ा उनके पेट में लगा और उनका पेट फट गया। वह चीखते हुए गिर गईं। धमाके की आवाज सुनकर लोग पहुंचे तो रिशा जमीन पर गिरकर तड़प रही थीं। रिशा के पति सैलून चलाते हैं।

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बेटी बोली, मुझे पता था एम्स में नहीं होता उपचार

रिशा को लेकर स्वजन एम्स की इमरजेंसी में पहुंचे। यहां उसे अंदर बेड पर लिटाया गया लेकिन थोड़ी ही देर में बड़े अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। बेटी का आरोप है कि किसी वरिष्ठ डाक्टर ने मां को देखा ही नहीं। बस समय बर्बाद करते रहे। इस कारण हालत और बिगड़ गई।

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कहा कि मैंने पहले ही पापा को मना किया था कि एम्स न चलें, वहां उपचार नहीं हो रहा है, लेकिन मेरी बात किसी ने नहीं मानी। अब यहां आकर समय बर्बाद हुआ। और तो और जांच के लिए खून के नमूने भी ले लिए। यह जानते हुए कि मां को रेफर किया जाना है, इस प्रक्रिया में रुपये और समय बर्बाद किया।

सीएसआर के तहत मिली हैं दो एंबुुलेंस

एम्स गोरखपुर को दो बैंकों ने कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलटी (सीएसआर) के तहत एंबुलेंस दिए हैं। एंबुलेंस देने का उद्देश्य रोगियों की सेवा है। एंबुलेंस से रोगियों को बाबा राघवदास मेडिकल कालेज भेजा भी जाता रहा है लेकिन बुधवार को मना कर दिया गया।

इससे महिला को तकरीबन आधे घंटे बाद भेजा जा सका। यह स्थिति तब थी जब महिला की हालत लगातार बिगड़ रही थी और उसे तत्काल उपचार की जरूरत थी।

रोगी के लिए नहीं, छात्रों के लिए है एंबुलेंस

एम्स की मीडिया प्रभारी डा. अरूप मोहंती ने कहा कि एम्स की एंबुलेंस रोगी के लिए नहीं, बल्कि यहां पढ़ने वाले छात्रों के लिए है। एम्स की एंबुलेंस रेफर के लिए इस्तेमाल नहीं की जाती।

कार्यकारी निदेशक का कहना है कि एम्स से रोगी रेफर नहीं होना चाहिए। हम योजना बनाएंगे कि एंबुलेंस कब-कब कहां भेजी जानी है। उपचार में लापरवाही की जानकारी नहीं है, पता करता हूं।

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