Move to Jagran APP

Gorakhpur News: जिस महिला को मृत समझ पुलिस कर रही थी जांच वह मिली जिंदा, पति ने कर दिया था अंतिम संस्‍कार

उत्‍तर-प्रदेश के गोरखपुर जिले में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक महिला का शव मिला। पति‍ ने शव की पहचान कर अंतिम संस्‍कार कर दिया। पुलिस भी मामले की जांच कर ही रही थी। इस बीच उसकी पत्‍नी झांसी में जिंदा पाई गई। ऐसा ही एक मामला गोरखपुर में 12 साल पहले भी सामने आया था।

By Jitendra Pandey Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 23 Jun 2024 09:39 AM (IST)
Hero Image
महिला का 19 जून की सुबह अर्धनग्न शव मिला था। अब पुलिस असली महिला की पहचान करने में जुटी है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। 12 वर्ष पहले शिखा दूबे हत्याकांड एक बार फिर ताजा हो गया। उरुवा थाना क्षेत्र के चचाइराम सिवान से बरामद महिला का शव बांसगांव की फूलमति का नहीं है। वह कोई और महिला है। पुलिस सर्विलांस के मध्यम से फूलमति को झांसी से जिंदा पकड़कर शनिवार को थाने लायी।

चार दिन पहले बांसगांव के उस्का बाजार निवासी रामसुमेर भी थाने पहुंचकर पत्नी को देखकर बातों से पलट गया। उसने कहा कि वह हड़बड़ी में शव देखकर पत्नी बता दिया था और उसका अंतिम संस्कार कर दिया। इस अबूझ पहेली के बीच पुलिस की परेशानी बढ़ गई है।

अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि जिस महिला का शव बरामद हुआ था। वह कौन है और कहा कि रहने वाली है। एसपी दक्षिणी जितेन्द्र कुमार भी थाने पहुंचकर फूलमति और रामसूमेर से पूछताछ की।

इसे भी पढ़ें-आगरा में उमस ने किया परेशान, गोरखपुर में मानसून की दस्तक शुरू, जानिए आज यूपी के मौसम का हाल

ये है पूरा मामला

उरुवा बाजार में चचाई राम के सिवान में 19 जून की सुबह महिला का अर्धनग्न शव मिला। उसके बगल से दवा का रैपर, शराब की शीशी, चप्पल, पकौड़ी तथा पानी की बोतल भी बरामद हुआ था। वहीं घटना के एक दिन पहले 18 जून को बांसगांव के उस्का निवासी रामसुमेर ने अपनी पत्नी फूलमती की गुमसुदगी दर्ज कराई थी।

बताया था कि 15 जून को उसकी पत्नी मायके से ससुराल आने के लिए निकली थी। तभी से वह गायब है और मोबाइल फोन भी बंद बता रहा है। अंतिम बार हुई बातचीत में उसने बताया कि वह चाचा के साथ लुधियाना जा रही है।

लिहाजा पुलिस ने उसे शिनाख्त के लिए बुलायी तो रामसुमेर ने शव को देखकर बोला कि वह उसकी पत्नी फूलमती का है। जिस पर पुलिस ने पंचनामा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। इसके बाद रामसुमेर ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया।

इसे भी पढ़ें-महिला सिपाही के साथ होटल में रंगे हाथ पकड़े गए सीओ, सजा के तौर पर बनाया गया सिपाही

एसपी दक्षिणी जितेंद्र कुमार ने बताया कि फूलमति के मोबाइल नंबर से हत्या के आरोपित तक पहुंचने का प्रयास कर रही थी। उसका मोबाइल चल रहा था, ट्रेस कर पुलिस पहले सुल्तानपुर पहुंची और उस नंबर से जिस युवक से बातचीत हो रही थी उसे पकड़ा। पूछताछ में युवक की पहचान शुभम के रुप में हुई।

उसने बताया कि फूलमति गोरखपुर से झांसी आई है। यह सुनकर पुलिस हैरान हो गई। फिर दोनों को हिरासत में लेकर गोरखपुर आई। फूलमति से पूछताछ कर उसे उसके पति रामसुमेर के साथ ससुराल भेज दिया गया। अब बरामद शव किस महिला का है।

आसपास के जिलों में भेजकर पहचान कराने की कोशिश की जा रही है। सीसी फुटेज में कुछ अहम सुराग मिले हैं। एक युवक द्वारा महिला को यहां लाया गया था। घटना वाले स्थान से युवक परिचित है। जल्द ही आरोपित को पकड़कर घटना का पर्दाफाश कर दिया जाएगा।

पूजा का शव देख शिखा के पिता ने बताया था बेटी, कर दिया अंतिम संस्कार

11 जून 2011 को सिंघड़िया में एक युवती का शव बरामद हुआ था। उसकी कदकाठी और उम्र से पता चला कि वह कमलेशपुरम कालोनी क्षेत्र से गायब युवती शिखा दुबे है। पुलिस उसके पिता रामप्रकाश दुबे को बुलायी।

रिश्तेदार के साथ पहुंचे रामप्रकाश ने पहचान करते हुए बताया कि वह उनकी बेटी शिखा का शव है। रिश्तेदारों ने भी शव की पहचान की। इसके बाद पुलिस पोस्टमार्टम कराकर शव को उन्हें सिपुर्द कर दिया और उन्होंने शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया। इसी बीच रामप्रकाश ने पड़ोसी दीपू पर हत्या की आशंका जताते हुए थाने में तहरीर देकर केस दर्ज करा दिया।

पुलिस जांच करने पहुंची तो पता चला कि दीपू घर से लापता है। इसके बाद पुलिस उसकी तलाश शुरु की तो पता चला कि दीपू सोनभद्र में है। सोनभद्र पहुंची पुलिस टीम तब हैरान रह गई, जब वहां केवल दीपू ही नहीं, शिखा भी मौजूद मिली।

पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर गोरखपुर लेकर आई। यहां आने के बाद शिखा ने एक ऐसी कहानी सुनाई कि पुलिस दंग रह गई। उसने बताया कि उसे पड़ोसी दीपू यादव से प्यार हो गया था। दोनों को पता था कि उनके घरवाले इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं होंगे। ऐसे में दोनों ने घर से भागने और परिजनों से पीछा छुड़ाने के लिए साजिश रची।

दोनों ने तय किया कि शिखा की कद काठी की किसी महिला की हत्या कर उसे शिखा की पहचान दे दी जाए। इसके बाद दीपू ने ट्रक चलाने वाले दोस्त सुग्रीव के माध्यम से सोनभद्र में पूजा को पकड़ा। उसे तीन हजार रुपये की नौकरी दिलाने के बहाने गोरखपुर पहुंचे।

10 जून की रात में पूजा को ट्रक से कुनराघाट लाया। उधर शिखा दीपू के साथ घर से भागकर कुसम्ही जंगल पहुंच गई। जंगल में ट्रक में सवार पूजा को शिखा ने वह कपड़े पहना दिए, जिन्हें पहनकर वह घर से निकली थी। इतना ही नहीं उसके गले में एक धागा डाला गया, जो शिखा हमेशा पहनती थी।

इसके बाद ट्रक में ही पूजा की हत्या कर दी गई और धारदार हथियार से उसका चेहरा इस कदर बिगाड़ दिया कि असली लड़की पहचान न हो सके। इसके बाद शव को सिंघड़िया के पास लाकर फेंक दिया गया। इस हत्या का आरोपी बनाते हुए पुलिस ने शिखा और दीपू को जेल भिजवा दिया, बाद में दोनों जमानत पर रिहा हो गए।

जेल से बाहर आने के बाद दोनों ने अलग-अलग शादी करके अपनी अलग दुनिया बसा ली। फिलहाल यह केस अभी कोर्ट में चल रहा है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।