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बजट के अभाव में ठप पड़ा जटायु संरक्षण केंद्र का कार्य, तीन वर्ष में निर्माण कार्य पूरा करने का था लक्ष्य

गोरखपुर के कैंपियरगंज में बनाए जाने वाले इस प्रजनन केंद्र का काम फंड के अभाव में रुका है। वहीं केंद्र में वन विभाग ने आउटसोर्सिंग पर सात कर्मियों को तैनात किया हैं जिन्हें नवंबर से ही मानदेय नहीं मिल सका है।

By Pragati ChandEdited By: Updated: Sat, 19 Mar 2022 06:50 AM (IST)
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फंड के इंतजार में रुका है जटायु संरक्षण केंद्र का कार्य। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर जिले के कैंपियरगंज के भारी बैसी क्षेत्र में बनाए जा रहे जटायु संरक्षण केंद्र का काम बजट के अभाव में ठप है। वित्तीय वर्ष में शासन की तरफ से धन अवमुक्त नहीं होने से काम रुक गया है। तीन वर्ष में इसे बनाकर तैयार करने का लक्ष्य दिया गया था। वन प्रभाग की तरफ से आउटसोर्सिंग पर तैनात किए गए सात कर्मियों का मानदेय भी नवंबर से अभी तक नहीं मिल सका।

गोरखपुर में बनने वाला 'जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र' बाम्बे नेचर हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) व वन्यजीव अनुसंधान संगठन के साथ मिल कर स्थापित कर रहा है। योजना थी कि तीन वर्ष में तीनों फेज के काम पूरे कर इसे बनाकर तैयार किया जाए। पहले फेज का काम जनवरी 22 तक पूरा कर इसमें एक जोड़े गिद्ध लाए जाने की तैयारी भी थी, लेकिन, अभी एक फेज भी पूरी तरह खत्म नहीं हो सका। शासन ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 83 लाख रुपये वन विभाग को अवमुक्त कर दिए थे।

संरक्षण केंद्र अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस बनाने की योजना है। इसमें सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे। परिसर में एक गार्ड रूम, जेनरेटर रूम, प्रशासकीय भवन, अस्पताल, नर्सरी, ब्रीडिंग एवियरी, फूड सेक्शन, वेटेरीनरी सेक्शन शामिल है। कैंपियरगंज के भारीवैसी में 5 एकड़ क्षेत्रफल में इसे बनाकर तैयार किया जा रहा। फिलहाल, दीवार निर्माण का काम पूरा कर लिया गया है।

आउटसोर्सिंग कर्मियों को नहीं मिला मानदेय

वन विभाग ने निर्माण किए जा रहे जटायु संरक्षण केंद्र में सात कर्मियों को आउटसोर्सिंग पर तैनात किया था। फंड जारी नहीं होने से इन्हें भी नवंबर के बाद से मानदेय नहीं दिया जा सका। उन्हें भी चिंता सता रही थी यदि मानदेय नहीं मिला तो होली का रंग उनके लिए फीका रहेगा।

अधिकारी बोले

डीएफओ विकास यादव ने बताया कि तीन वर्ष में निर्माण काम पूरा करने का लक्ष्य था। फंड के इंतजार में फिलहाल काम रुका हुआ है। इस वित्तीय वर्ष में धनराशि अवमुक्त नहीं हो सका था। वर्ष 20-21 वित्तीय वर्ष में कैंपा योजना से शासन ने 80 लाख रुपये धन अवमुक्त किए थे। दिसंबर-जनवरी तक काम करवाया गया, लेकिन अभी फिलहाल रुका है। शेष धन अवमुक्त होते ही काम में तेजी जाएगी।

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