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World Alzheimer's Day 2022: परिवार ने दिया साथ तो याद आने लगी हर बात

World Alzheimers Day 2022 भूलने की बीमारी में परिजनों का संबल काफी महत्वपूर्ण होता है। गोरखपुर के दर्जनों ऐसे मरीज हैं जो परिवार वालों का साथ पाकर ठीक हो गए। अब वह बिना दवाओं के सामान्य जीवन जी रहे हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Wed, 21 Sep 2022 06:03 AM (IST)
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World Alzheimer's Day 2022: परिवार का साथ मिला तो ठीक हो गई भूलने की बीमारी। - प्रतीकात्मक तस्वीर
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। शाहपुर क्षेत्र के एक व्यक्ति के स्वजन को उनके सेवानिवृत्त होने चार साल बाद पता चला कि वह अल्जामइर (भूलने की बीमारी) से ग्रसित हैं। जब वह घर का रास्ता, कपड़ा पहनना, भोजन करना सब कुछ भूलने तक लगे को स्वजन को लगा कि वह बीमार हैं। परिवार ने साथ दिया। दवाएं चलीं। उन्हें मानसिक कसरत कराई गई। अब उन्हें हर बात याद आने लगी है। चार साल पहले उन्हें पकड़कर लोग लाते थे। अब वह खुद जिला अस्पताल आते हैं और डाक्टर को दिखाकर दवा ले जाते हैं।

दवा व मानसिक कसरत से नियंत्रण में आई बीमारी

डाक्टरों के मुताबिक सेवानिवृत्त होने के आसपास ही उन्हें यह बीमारी शुरू हो गई थी। लेकिन उन्हें एहसास नहीं हो पाया। जब वे पूरी तरह बीमारी की गिरफ्त में आ गए तब स्वजन ने उन पर ध्यान देना शुरू किया। 2012 में वह सरकारी सेवा से मुक्त हुए थे। 2016 में उनकी दिक्कतें पूरी तरह बढ़ गई थीं। पहले स्वजन ने उनका निजी क्षेत्र में उपचार कराया। कोई लाभ नहीं हुआ। 2018 में वे जिला अस्पताल लेकर आए। दवाओं के साथ उनके मस्तिष्क को सक्रिय करने के लिए कसरत कराई गई। इसमें परिवार ने उनका पूरा साथ दिया। समय पर उन्हें दवाएं देना, मानसिक कसरत कराना, उनके सहयोग से ही संभव हो पाया।

दर्जन भर मरीज ठीक हुए

अच्छी देखरेख के चलते एक साल में ही उन्हें चीजें याद आने लगीं। वह लोगों को पहचानने लगे। अब काफी हद तक ठीक हो चुके हैं। ऐसे लगभग एक दर्जन रोगी हैं, जिनका जिला अस्पताल में उपचार चल रहा है और वे काफी हद तक ठीक हो चुके हैं। हर साल 21 सितंबर को अल्जाइमर के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है।

ऐसे होती है मानसिक कसरत

चित्रों में अंतर पहचानने, बच्चों को गणित पढ़ाने या खुद गणित के सवाल लगाने से मस्तिष्क सक्रिय होता है। ऐसे रोगियों को बार-बार दिन, समय, त्योहार आदि की याद दिलाते रहना चाहिए। धूप को देखकर समय की पहचान कराने से भी यादाश्त क्षमता बढ़ती है। वस्तुओं या व्यक्तियों की बार-बार पहचान करानी चाहिए।

परिवार के लोग करें ऐसा व्यवहार

अल्जाइमर के रोगियों के साथ परिवार के सदस्यों को संवेदनशील होना चाहिए। उन्हें धैर्य के साथ रोगी की हर बात को सुनना चाहिए और उसका सहयोग करना चाहिए। उनकी हरकत पर कभी नाराज नहीं होना चाहिए। उनकी रोजमर्रा की जरूरतों को समझे और मदद करें। ऐसे रोगियों पर एक छोटे बच्चे की तरह ध्यान देना होता है।

लक्षण

यादाश्त की कमी, किसी व्यक्ति या वस्तुु की पहचान न कर पाना, व्यवहार में चिड़चिड़ापन, उदास हो जाना, रिश्तों को भूलना, सामाजिक गतिविधियों से अलग हो जाना, भय व भ्रम से ग्रसित हो जाना, रोज आने-जाने वाले रास्तों को भी भूल जाना। भोजन करने की याद न होना, कहीं भी नित्य कर्म कर देना, कपड़े न पहन पाना या उल्टा-सीधा कपड़े की पहचान न कर पाना आदि अल्जामइमर के लक्षण हैं।

क्यों होता है अल्जाइमर

दिमाग में कुछ एंजाइम्स होते हैं जैसे- गामा सिक्रेटेज। यह एमिलायड प्रोटीन को नियंत्रित करता है। उसमें गड़बड़ी होने पर एमिलायड जमा होने लगता है और याद करने की क्षमता कम होने लगती है।

अल्जाइमर यह आनुवांशिक बीमारी है। अधिकांशत: रोगियों में इस बीमारी का देर से पता चलता है। जब तक बीमारी पता चलती है तब तक वे दूसरों पर पूरी तरह निर्भर हो जाते हैं। उनकी बीमारी गंभीर रूप धारण कर चुकी होती है। ऐसे में परिवार का सहयोग बहुत जरूरी होता है। इस बीमारी का उपचार है। दवाएं लंबे समय तक चलती हैं। - डा. अमित कुमार शाही, मानसिक रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल।

हेल्पलाइन नंबर पर करें संपर्क

अल्जाइमर के लक्षण दिखें तो प्रत्येक सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को जिला अस्पताल के कक्ष संख्या 49 व 50 में डाक्टर को दिखाएं। रोगियों के स्वजन हेल्पलाइन नंबर 9336929266 पर भी संपर्क कर सकते हैं ।

ऐसे कम कर सकते हैं जोखिम

रक्तचाप, कोलेस्ट्राल, मोटापा व मधुमेह को नियंत्रित रखें।

शारीरिक गतिविधियों व व्यायाम पर जोर दें।

संतुलित और स्वस्थ आहार का सेवन करें।

मस्तिष्क की सक्रियता के लिए प्रयास करते रहें।

सामाजिक गतिविधियों में शामिल हों और उनका आनंद लें।

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