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बाबा रामदेव ने माथा टेका, चार दशक बाद फिर चर्चा में देवरहा बाबा आश्रम Gorakhpur News

बाबा रामदेव का कार्यक्रम भले ही देवरिया महोत्सव के लिए तय था लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता में देवरहा बाबा के आश्रम में पहुंचने और देवरहा बाबा की तपोभूमि को नमन करने की रही।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 27 Jan 2020 08:00 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jan 2020 08:00 PM (IST)
बाबा रामदेव ने माथा टेका, चार दशक बाद फिर चर्चा में देवरहा बाबा आश्रम Gorakhpur News

महेंद्र कुमार त्रिपाठी, देवरिया। जिले के मईल में स्थित देवरहा बाबा आश्रम करीब चार दशक बाद फिर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गया। देवरहा बाबा की तपोस्थली मईल आश्रम पर योग गुरु बाबा रामदेव ने माथा टेका और आशीर्वाद लिया।

दर्शन के लिए तो जाना ही था 

बाबा रामदेव का कार्यक्रम भले ही देवरिया महोत्सव के लिए तय था, लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता में देवरहा बाबा के आश्रम में पहुंचने और देवरहा बाबा की तपोभूमि को नमन करने तथा माथा टेकने की रही। इससे पहले देवरहा बाबा आश्रम में 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी बाबा का आशीर्वाद लेने पहुंची थीं। उनके आशीर्वाद लेने के तुरंत बाद कांग्रेस सत्ता में आई। यह देश में चर्चा का विषय बना रहा।

देवरहा बाबा आश्रम में रामदेव ने खायी लौकी की खीर

देवरहा बाबा आश्रम के पीठाधीश्वर श्याम सुंदरदास के आग्रह पर योग गुरु बाबा रामदेव ने आश्रम में बनाई गई लौकी की खीर चखी। इसके बाद आश्रम की गाय का दूध भी ग्रहण किया। आश्रम परिसर के निषिद्ध क्षेत्र में अलाव का आनंद भी लिया। उनके साथ सूफी गायक कैलाश खेर भी थे।

बाबा रामदेव व कैलाश खेर हुए सम्मानित

मईल कस्बा के बाहर स्थित योगिराज ब्रह्मऋषि देवरहा बाबा के आश्रम में रविवार की रात करीब सात बजे पहुंचे स्वामी रामदेव व सूफी गायक कैलाश खेर को आश्रम के पीठाधीश्वर श्यामसुंदर दास ने अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। इसके बाद स्वामी रामदेव ने आश्रम में पूजन-अर्चन कर देवरहा बाबा की प्रतिमा की आरती उतारी। इस दौरान डीएम अमित किशोर व एसपी डा. श्रीपति मिश्र भी मौजूद रहे।

एक झलक पाने को बेताब रहे लोग

योग गुरु बाबा रामदेव की एक झलक पाने को बेताब रहे। देवरहा बाबा आश्रम परिसर में बड़ी संख्या में लोग मुख्य द्वार पर इकट्ठा हो गए। जैसे ही काफिला दूर से दिखा कि लोग जयकारा लगाने लगे। सीआरपीएफ के जवानों के घेरे के बावजूद लोग रुकने को तैयार नहीं थे। आखिरकार योग गुरु खुद रुक गए और हाथ हिलाकर अभिवादन किया। कहा कि समय की कमी है, इसलिए रुक नहीं पा रहा हूं। सबकी भावना का मैं सम्मान करता हूं।  


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