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सर्दी के कारण नहीं उड़ पा रहा था खूबसूरत परिंदा, अलाव सेंक रहे लड़कों के लग गया हाथ- इसके बाद जलती आग में...

शकुंतला ने इसको गर्म कपड़े में लपेटकर ठंड से बचाव किया। जमीन पर न बैठने पर उसने उसे गोद पर बैठाया। गांव के लोगों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। वन दारोगा जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पक्षी को अपने संरक्षण में लिया है। उनके साथ जानकारों ने बताया कि यह कबूतर राजस्थान के अलवर जिले के सभी सरिस्का वन्य जीव अभयारण्य में पाए जाते हैं।

By Ankur Kumar Pandey Edited By: Mohammed Ammar Updated: Sun, 21 Jan 2024 07:01 PM (IST)
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सर्दी के कारण नहीं उड़ पा रहा था कबूतर, लड़कों के लग गया हाथ

संस, भरुआ सुमेरपुर : राजस्थान एवं महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में पाया जाने वाला महाराष्ट्र का राज्य पक्षी राजस्थान के अलवर से भटककर बुंदेलखंड आ गया है। भटकते भटकते यह पक्षी सुबह सर्दी से ठिठुरते हुए विदोखर पुरई के एक घर में घुस गया। युवकों ने इसको पकड़कर आग के पास बैठाया और गर्म कपड़ों से ढककर ठंड से बचाव के लिए के बाद वन विभाग के सिपुर्द किया है। बताते हैं कि यह पक्षी जमीन पर नहीं बैठता है।

गर्म कपड़े से लपेट कर किया बचाव 

रविवार को सुबह एक कबूतर जैसा हरे रंग का पक्षी सर्दी से ठिठुरता हुआ विदोखर पुरई निवासी देवीदीन श्रीवास के घर में आ घुसा। देवीदीन के पुत्र पंकज ने इसको ठिठुरता हुआ देखकर पकड़ लिया और आग के रखने के बाद पड़ोसी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शकुंतला श्रीवास के घर पहुंचाया।

शकुंतला ने इसको गर्म कपड़े में लपेटकर ठंड से बचाव किया। जमीन पर न बैठने पर उसने उसे गोद पर बैठाया। गांव के लोगों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। वन दारोगा जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पक्षी को अपने संरक्षण में लिया है। उनके साथ जानकारों ने बताया कि यह कबूतर राजस्थान के अलवर जिले के सभी सरिस्का वन्य जीव अभयारण्य में पाए जाते हैं।

बोलचाल की भाषा में इसे हरियल कबूतर कहा जाता है। इसके अलावा यह अजमेर के महर्षि दयानंद सरस्वती महाविद्यालय, पुष्कर के पंचकुंड क्षेत्र में दिखाई देते हैं।

यहीं पर यह मदर्स विधि परिसर, मेयो कालेज, रीजनल कालेज, पंचकुंड पौधशाला, तिलोरा कैडल, पीह एवं थांवला क्षेत्र में भी पाए जाते हैं। यह महाराष्ट्र राज्य का राजकीय पक्षी है। इसका मुख्य आहार दालें, मेवा, फल हैं। यह जमीन पर नहीं बैठता है। यह ज्यादातर जोड़े से ही रहता है।

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