Move to Jagran APP

Hamirpur News: एक दर्जन से अधिक अवैध मीट दुकानों का संचालन, खाद्य सुरक्षा विभाग ने नहीं दिया लाइसेंस; प्रशासन मौन

यूपी के हमीरपुर जिले में एक दर्जन से अधिक मीट की दुकानें अवैध रूप से संचालित हैं। इनमें से किसी के पास भी खाद्य सुरक्षा या जिला पंचायत विभाग से लाइसेंस नहीं है। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कैसे जिले में अवैध रूप से मीट की दुकानें चल रही हैं और प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई कर रहा है।

By Rajeev Trivedi Edited By: Riya Pandey Updated: Mon, 16 Sep 2024 03:58 PM (IST)
Hero Image
हमीरपुर में एक दर्जन से अधिक अवैध मीट की दुकानें बिना लाइसेंस के संचालित
जागरण संवाददाता, हमीरपुर। जिले में करीब एक दर्जन से अधिक मीट बिक्री की दुकानें अवैध रूप से संचालित हैं। खाद्य सुरक्षा व जिला पंचायत विभाग से किसी के पास लाइसेंस नहीं है। यही नहीं किसी दुकानदार ने मीट दुकान खोलने का मानक पूरा नहीं कर रहा है।

शासन के आदेश है कि स्थलीय अनुमति नगर पालिका व नगर पंचायत से लेने के बद साथ सुरक्षा विभाग से लाइसेंस लेकर मीट की दुकान का संचालन किया जाए। इसके अलावा शासन ने इसके लिए मानक बना रखे हैं। लेकिन कोई भी मीट की दुकान एक भी शर्त पूरी नहीं कर रही है।

एक दर्जन से अधिक संचालित है अवैध दुकानें

लिहाजा न तो नगर पालिका ने अनुमति दी है न ही खाद्य सुरक्षा विभाग ने किसी दुकान को लाइसेंस दिया है। इसके बावजूद जनपद में एक दर्जन से अधिक मीट की दुकाने अवैध रूप से संचालित हैं। वहीं मौदहा व सुमेरपुर में कई दुकाने रोड में ही संचालित हैं। जिससे वहा से निकलना दूभर हो रहा है।

खाद्य सुरक्षा विभाग के खाद्य सुरक्षा आयुक्त द्वितीय डॉ. गौरीशंकर ने बताया कि विभाग से किसी भी दुकानदार को लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। लाइसेस में सबसे पहले नगर पालिका की रिपोर्ट लगती है। पालिका से एनओसी मिल जाती है। इसके बाद ही लाइसेंस जारी होते हैं।

मगर न नगर पालिका ने एनओसी जारी की न ही किसीके लाइसेंस बने हैं। वहीं जिला पंचायत के कार्य अधिकारी शत्रुप्न लाल वर्मा का कहना है कि विभाग से लाइसेंस लेना चाहिए मगर किसी ने लाइसेंस नहीं लिया है। कार्य अधिकारी का कहना है कि सभी दुकाने अवैध संचालित हैं।

बिक्री वाले मीट पर लगनी चाहिए मुहर

ज्यादातर मीट की दुकानों में सड़ा गला मांस की बिक्री की जाती है। दुकान में किसी भी पशु का वध करते समय उसका डाक्टरी परीक्षण होना आवश्यक होता है। ताकि किसी बीमार पशु के मीट की बिक्री न की जा सके। मगर आज तक किसी भी पशु का डॉक्टरी परीक्षण नहीं किया गया है।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी सीवीओ डॉ. अरविंद कुमार का कहना है कि नियमानुसार तो रोज कटने वाले पशु की डॉक्टरी परीक्षण होना चाहिए। यहां तक कि बिक्री वाले मीट में मुहर लगायी जाती है कि केवल यही मीट की बिक्री होनी चाहिए। उधर खाद्य सुरक्षा विभाग के डीओ का कहना है कि हर विभाग को काम करना चाहिए।

खाद्य सुरक्षा विभाग मामले को टाल रहा है : ईओ

नगर पालिका के ईओ हेमराज सिंह का कहना है कि लाइसेंस देने में खाद्य सुरक्षा विभाग पूरी तरह सक्षम है। पालिका की एनओसी जारी करने का अर्थ है कि मामले को टालना, इसलिये खाद्य सुरक्षा विभाग जानबूझ कर लाइसेंस जारी नहीं कर रहा है।

ईओ का कहना है कि उनके पास अभी तक कोई व्यक्ति एनओसी के मामले में नहीं आया है। इसका मतलब है कि खाद्य विभाग मामले को टाल रहा है।

यह भी पढ़ें- प्रयागराज में शिक्षक को हनीट्रैप में फंसाकर ले गई कार, फिर ब्लैकमेल कर मांगे 5 लाख; युवती समेत तीन गिरफ्तार

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।