Bulldozer Action: फिर गरजा बुलडोजर, 5 घंटे में कब्जामुक्त कराई सरकारी जमीन; किसान के जहर खाने पर टूटी अफसरों की नींद
Bulldozer Action यूपी के हापुड़ जिले में बुलडोजर से बड़ी कार्रवाई की गई है। हालांकि किसान ने अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी इसके बाद राजस्व विभाग के अधिकारियों की नींद टूटी। टीम ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच कर करीब 5 घंटे की कार्रवाई में जमीन को कब्जा मुक्त करा दिया। पढ़िए आखिर पूरा मामला क्या है?
जागरण संवाददाता, हापुड़। Bulldozer Action उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में राजस्व विभाग के अधिकारियों की आखिर नींद टूट गई। विभाग के अधिकारी पुलिस बल के साथ थाना बाबूगढ़ क्षेत्र के गांव छतनौरा में पहुंचे और बुलडोजर चलाकर तालाब की जमीन को कब्जामुक्त करा दिया।
दरअसल, पिछले नौ माह से सरकारी तालाब की जमीन को कब्जा मुक्त कराने की लड़ाई लड़ रहे थाना बाबूगढ़ क्षेत्र के गांव छतनौरा के मोनू उर्फ मोहित ने जहर खा लिया था। इसके बाद ही अफसरशाही के नशे में चूर अधिकारियों की नींद टूटी है।
नौ महीनों में नहीं हुई थी कार्रवाई
बता दें कि जो काम 9 महीने में न हो सका, अब उसे सिर्फ पांच घंटे में पूरा कर सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त करा दिया गया। सोमवार देत रात तक राजस्व विभाग की टीम ने कई थानों की फोर्स के साथ बुलडोजर से कब्जा हटवाया। किसान की जमीन की मेंढ बंदी भी कराई।
उधर, मेरठ के अस्पताल में किसान की हालत गंभीर बनी हुई है। हालांकि, स्वजन अभी किसी प्रकार की तहरीर थाने में नहीं दी है।
जमीन का क्या है विवाद
गांव छतनौरा के वीर सिंह ने बताया कि गांव में उसके नाम करीब 21 बीघा जमीन है। जमीन को उसने पुत्र अमित, शैलेंद्र और मोनू उर्फ मोहित को बराबर हिस्से में बांटा हुआ है। छोटे पुत्र मोनू उर्फ मोहित के हिस्से की पांच बीघा जमीन सरकारी तालाब की 380 वर्ग मीटर जमीन से सटी हुई है। तालाब की जमीन पर कब्जा होने के चलते गांव का गंदा पानी पुत्र के खेत में पहुंच रहा था।
इससे परेशान होकर वीर सिंह का पुत्र मोनू उर्फ मोहित पिछले करीब नौ माह से जमीन को कब्जा मुक्त कराने का प्रयास करता आ रहा है। पुत्र द्वारा पूरे परिवार संग आत्महत्या करने की चेतावनी लिखित रूप में देने के बाद सोमवार दोपहर राजस्व की टीम जमीन को कब्जा मुक्त कराने पहुंची थी।
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इस दौरान विपक्षियों के आगे एक न चलने पर टीम वहां से वापस लौटने लगी। कार्रवाई न होने से आहत मोनू उर्फ मोहित ने एसडीएम को कॉल पर जानकारी देकर जहर खाने की बात कही। इसके बाद मोनू उर्फ मोहित ने जहरीला पदार्थ खा लिया। मेरठ के अस्पताल में मोनू उर्फ मोहित जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है।
9 माह से नहीं चेते जिम्मेदार
वीर सिंह ने बताया कि डीएम प्रेरणा शर्मा, एडीएम संदीप सिंह, एसडीएम शुभम श्रीवास्तव से लेकर तहसीलदार व लेखपाल के सामने पुत्र ने अपना दुखड़ा रोया था। लेकिन कार्रवाई के नाम पर महज उसे टरका दिया गया। पुत्र के जहर खाने के बाद गांव छावनी में तब्दील हो गया।
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पुलिस-प्रशासन की टीम ने सोमवार को शाम छह बजे से रात के 11 बजे तक बुलडोजर के जरिए सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराकर मोनू की जमीन की मेंढ बंदी भी करा दी। अगर, जिम्मेदार समय से समस्या का निस्तारण कर देते तो किसान को ऐसा कदम उठाने को मजबूर नहीं होना पड़ता।
धमकी देकर डरा रहे विपक्षी, बुलडोजर चालक को दी धमकाया
वीर सिंह ने बताया कि जिस वक्त पुलिस प्रशासन की टीम जमीन से कब्जा हटवा रही थी उस वक्त भी विपक्षी वहां डटे थे। मौका पाते ही उन्होंने बुलडोजर चालक को भुगत लेने की धमकी देकर वहां से भगाने का प्रयास किया। मगर वह सफल न हो सके। इतना ही नहीं विपक्षी पीड़ित व उसके परिवार के सदस्यों से विवाद करने का बहाना ढूंढ रहे हैं। तरह-तरह की धमकी दे रहे हैं। ऐसे में पीड़ित परिवार भय के माहौल में जीने को मजबूर हैं।
बोले जिम्मेदार...
- राजस्व की टीम ने कब्जा हटवाकर किसान के खेत की मेंढ बंदी करा दी है। किसान की हालत में सुधार बताया जा रहा है। मामले की जांच कराई जा रही है। जिसके बाद कब्जाधारियों के खिलाफ कार्रवाई तय होगी। - संदीप सिंह, एडीएम