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हत्या के दोषी बड़े भाई को उम्रकैद, अदालत ने जुर्माना भी लगाया; धारदार हथियार से दिया था वारदात को अंजाम

Hapur Murder Case अदालत ने भाई की हत्या के मामले में बड़े भाई को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। बताया गया कि 2017 में धारदार हथियार से हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया था। इस मामले में मुकदमा दर्ज कराकर न्याय की गुहार लगाई थी। जानिए आखिर पूरा मामला क्या था?

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Wed, 24 Jul 2024 05:22 PM (IST)
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अदालत ने हत्या के दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सांकेतिक तस्वीर

केशव त्यागी, हापुड़। वर्ष 2017 में थाना पिलखुवा क्षेत्र के गांव दहपा में हुई व्यक्ति की हत्या के मुकदमे की सुनवाई के दौरान बुधवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने आरोपित मृतक के सगे भाई को दोषी करार दिया है। दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। साथ ही 60 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया।

प्रभारी जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) नरेश चंद शर्मा ने बताया कि जिला गाजियाबाद के थाना मसूरी थाना क्षेत्र के गांव नाहल मोहम्मद अय्यूब ने 24 जुलाई 2017 को थाना पिलखुवा में तहरीर दी थी। जिसमें पीड़ित ने बताया था कि पिलखुवा क्षेत्र के गांव दहपा में उसकी ससुराल है।

2017 में दिया था वारदात को अंजाम

24 जुलाई 2017 की शाम करीब साढ़े सात बजे सगे साले शाहिद और जाकिर दोनों का किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। विवाद के दौरान जाकिर ने अपने बड़े भाई शाहिद की छाती में धारदार हथियार घोंपकर उसकी हत्या कर दी है। साले का शव उसकी ससुराल में रखा हुआ था।

वहीं, मामले की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची थी और शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया था। मामले में जाकिर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेजा गया था।

60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया

विवेचक ने जांच के दौरान न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी। मुकदमे की सुनवाई जिला एवं सत्र न्यायालय में चल रही थी। बुधवार को न्यायाधीश मलखान सिंह ने आरोपित जाकिर को बड़े भाई की हत्या का दोषी करार दिया। दोषी को सश्रम आजीवन कारावास और 60 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड अदा न करने पर दोषी को वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

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बताया गया कि दोषी द्वारा जेल में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित किया जाएगा। अर्थदंड की आधी धनराशि राज्य सरकार को और शेष आधी धनराशि मृतक शाहिद की पुत्री गुलफशा को बतौर प्रतिकर के रूप में देय होगी। इस मुकदमे में वादी मोहम्मद अय्यूब व अन्य गवाह पक्षद्रोही हो गए थे। गुलफशा के बयानों के आधार पर दोषी को सजा सुनाई गई है।

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