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फर्जी बैंक अधिकारी बन अकाउंट कर रहे खाली, भूलकर भी मत देना कोई निजी जानकारी; हापुड़ में सामने आए कई मामले

अगर आपके पास भी किसी बैंक अधिकारी के नाम से फोन आता है तो आपको अपनी कुछ भी निजी जानकारी नहीं देनी है। अगर आपने कोई भी निजी जानकारी दी तो आपका अकाउंट खाली हो जाएगा। आपके क्रेडिट कार्ड तक से पैसे निकाल लिए जाएंगे। हाल ही में हापुड़ जिले में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। पढ़िए ये साइबर ठग कैसे लोगों को झांसे में लेकर ठगी करते हैं?

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Wed, 11 Sep 2024 03:44 PM (IST)
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हापुड़ में पुलिस ने तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, हापुड़। उत्तर प्रदेश के हापुड़ जनपद में पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। बैंक अधिकारी बनकर लोगों से ठगी करने वाले तीन साइबर ठग (Cyber Thug) पुलिस के हत्थे चढ़े हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपितों से पुलिस ने पूछताछ की है।

बैंक अधिकारी बनकर लोगों को करते थे कॉल

हापुड़ पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए साइबर ठग लोगों को कॉल कर खुद को बैंक अधिकारी बताकर झांसे में लेते थे। ये आरोपित लोगों को आसानी से अपने जाल में फंसा लेते थे और फिर उनसे ठगी (Cyber Crime) कर लेते थे।

कहां के रहने वाले हैं तीनों साइबर ठग

आरोपित दिल्ली के थाना संगम विहार क्षेत्र के संगम विहार निवासी नीलेश तिवारी, अनस खान और मिसबान हैं। आरोपितों से तीन मोबाइल फोन, कुछ रसीदें और नगदी बरामद की गई है। गिरफ्तार आरोपितों ने नगर निवासी एक व्यक्ति के साथ एक लाख की धोखाधड़ी की थी। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है।

सीओ सिटी वरुण मिश्रा ने बताया कुछ दिन पहले नगर निवासी एक व्यक्ति के साथ साइबर ठगों ने एक लाख रुपये की ठगी की थी। पुलिस ने पीड़ित की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर आरोपितों के पीछे थाना साइबर क्राइम पुलिस को लगाया था। टीम ने मामले में लिप्त नीलेश तिवारी, अनस खान और मिसबान को गिरफ्तार कर लिया।

लोगों को कॉल करके देते थे ये लालच

वहीं, पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि वह सीधे लोगों को कॉल करके क्रेडिट कार्ड का रिफंड दिलाने और अन्य प्रलोभन देते थे। स्वयं को बैंक अधिकारी बताकर झांसे में लेते थे। इसके बाद वह लोगों के क्रेडिट कार्ड की गोपनीय जानकारी प्राप्त कर लेते थे। लोगों को इनाम प्वाइंट, कैश रिफंड प्लान की जानकारी देने के नाम पर जन्मतिथि और ओटीपी पता कर लेते थे।

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ऐसे करते थे ठगी

इसके बाद लोगों के क्रेडिट कार्ड से वह नो ब्रोकर और फोन-पे पर फर्जी एकाउंट बनाकर रेंट पेमेंट की रिक्वेस्ट के माध्यम से अलग-अलग बैंक खातों में धनराशि ट्रांसफर कर देते थे। इसके बाद ठगी के रुपये को गिरोह के सदस्य आपस में बांट लेते थे। गिरोह से जुड़े अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी मिली है।

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