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जर्जर तारों से लग सकती है किसानों को चपत

संवाद सहयोगी गढ़मुक्तेश्वर खेतों में खड़ी गेहूं की फसल अब पकने के कगार पर पहुंच चुकी

By JagranEdited By: Updated: Fri, 25 Mar 2022 03:01 AM (IST)
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जर्जर तारों से लग सकती है किसानों को चपत

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर

खेतों में खड़ी गेहूं की फसल अब पकने के कगार पर पहुंच चुकी, अप्रैल के पहले सप्ताह में गेहूं की कटाई प्रारंभ हो जाएगी। परंतु जंगल से होकर निकल रही बिजली लाइनों के अधिकांश तार जर्जर होने के साथ ही ढीले होकर नीचे झूल रहे हैं, जो किसानों की कड़ी मेहनत मशक्कत और गाढ़ी कमाई के पैसों से उगाई हुईं फसलों को पलभर में खाक कर सकते हैं।

अप्रैल माह में तापमान काफी बढ़ जाता है, जिससे आग लगने की घटना होने पर आए साल गेहूं की सैकड़ों बीघा फसल जलकर राख हो जाती है। गेहूं की कटाई के दौरान मौसम का मिजाज बिगड़ने से आंधी और बारिश होने के कारण बिजली के तारों का टूटकर गिरना एवं स्पार्किंग होने से चिगारी निकलने पर फसलों में आग लगने की घटना हो जाती हैं। जिसका खामियाजा किसानों को ही भुगतना पड़ता है, क्योंकि कड़ी मेहनत मशक्कत और गाढ़ी कमाई के पैसों से उगाई हुईं फसलें चंद मिनटों के भीतर जलकर राख हो जाती हैं। गत वर्ष भी तहसील क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में आग लगने की दो दर्जन से भी अधिक घटना हुई थीं, जिनमें अधिकांश बिजली के तार टूटने और स्पार्किंग होने से निकलने वाली चिगारी से जुड़ी हुई थीं। आग लगने की घटनाओं में सौ बीघा से भी अधिक गेहूं की फसल जलकर राख हुई थी।

हाजी रिफाकत, चुन्ने खां, मुखिया मदहत का कहना है कि कि बिजली लाइन के जर्जर हो रहे तार टूटने के कारण किसानों का आग लगने से गेहूं, गन्ना और धान की फसल बर्बाद होने पर किसानों को हर वर्ष लाखों का नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिसको लेकर लगातार शिकायत की जाती हैं, परंतु इसके बाद भी ऊर्जा निगम के अधिकारी जंगल में नीचे लटक रहे तार और जर्जर लाइन को बदलवाने की तरफ कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है।

बिजली के तार टूट कर गिरने से जंगल में आग लगने की घटना अक्सर होती रहती हैं, जिन पर काबू पाने के लिए गढ़ से दमकल विभाग की टीम पहुंचती है। परंतु आवागमन के लिए अपेक्षित रास्ते न होने और सिभावली एवं बहादुरगढ़ क्षेत्र के जंगल में पहुंचने को करीब एक घंटा लग जाता है, जिसके चलते दमकल गाड़ी पहुंचने से पहले ही फसल जलकर राख के ढेर में तब्दील हो जाती है। किसान भी जागरूक हो जाएं

ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता केपी पुरी का कहना है कि जंगल से होकर निकल रही बिजली लाइन के जर्जर हो रहे पुराने तारों को बदलने का क्रम लगातार चल रहा है, जबकि ढीले होकर नीचे लटक रहे तारों को कसवाया जा रहा है। परंतु बिजली के कारण फसलों में लगने वाली आग की घटनाओं की रोकथाम को किसानों का जागरूक होना भी बेहद जरूरी है। किसानों को अपनी कटी हुई फसल को बिजली लाइन के नीचे रखने की बजाए काफी दूरी बनाकर रखा जाए, ताकि स्पार्किंग अथवा तार टूटने पर उसमें आग लगने की संभावना बाकी न रह पाए।

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