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हापुड़ में पति-पत्नी और बेटी ने किया सुसाइड: बेटे को बनाना चाहते थे अफसर, कर्ज की मार से परिवार गया बिखर

Hapur Suicide News हापुड़ में एक दंपति ने एजुकेशन लोन के बोझ से दबकर आत्महत्या कर ली। उनकी बेटी ने भी बाद में आत्महत्या कर ली। दंपति अपने बेटे को अफसर बनाना चाहता था लेकिन कर्ज ने उनके सपनों को चूर-चूर कर दिया। बेटी की शादी और बेटे की कामयाबी देखने से पहले ही दंपति ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

By Kesav Tyagi Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Tue, 03 Sep 2024 07:52 AM (IST)
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प्रेमवती और संजीव राणा और बेटी पायल। (फाइल फोटो) सौ.- स्वजन

केशव त्यागी, हापुड़। कच्चा मकान, कड़ी की छत और एक कमरे के मकान में रहकर संजीव राणा व उसकी पत्नी प्रेमलता होनहार बेटे रिंकू को अफसर बनाता हुआ देखना चाहते थे। बेटा भी दिन-रात माता पिता के सपने को पूरा करने में लगा था।

मगर, कर्ज की मार से पूरा परिवार बिखर गया। कर्ज ने जहां दंपती की कमर तोड़ दी थी। वहीं पुत्री के विवाह के विवाह की चिंता भी उन्हें सता रही थी। पुत्री के हाथ पीले करने व बेटे को कामयाब देखने से पहले ही दंपती ने दुनिया को अलविदा कह गए।

मृतक के घर के बाहर मौजूद पुलिस व लोगों की भीड़। फोटो- जागरण

बिखर गया पूरा परिवार

उनकी पुत्री ने भी जिंदगी से नाता तोड़ लिया। ऐसे में पूरा परिवार बिखर कर रह गया है। उधर, फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी एक दिन किस्त जमा करने पर 1180 रुपए की पेनल्टी लगाते थे। जिसके बोझ तले पूरा परिवार दब रहा था।

रिंकू ने बताया कि उसके पिता संजीव राणा तीन भाई है। एक मकान में पिता व चाचा का परिवार एक साथ रहता है। मकान काफी छोटा है। एक ही कमरे में वह पिता संजीव राणा, माता प्रेमवती, बहन पायल और भाई पिंटू के साथ रहते है।

दिन-रात मजदूरी कर बच्चों को काबिल बनाना था सपना

दिन-रात मजदूरी कर माता-पिता ने उसे व उसके भाई-बहन को शिक्षित करने का सपना संजोया। मगर, तीन बच्चों को शिक्षित करना किसी चुनौती से कम नहीं था। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पिंटू पढ़ाई में कमजोर था तो उसने सातवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और घर चलाने में पिता का हाथ बंटाना शुरू किया।

अब पिता उसे अफसर बनता देखना चाहते थे। किसी तरह माता-पिता ने उसकी स्नातक तक की पढ़ाई पूरी कराई। वह भी दिन में बच्चों को ट्यूशन देता और रात को अपनी पढ़ाई करता था।

स्नातक के बाद उसने एमबीए करने की ठानी। मगर, फीस के रुपयों के आगे उसकी हिम्मत डगमगाने लगी। इस पर माता-पिता ने मकान को गिरवी रखकर कैपिटल फाइनेंस कंपनी से 3.50 लाख रुपये का लोन लिया और गाजियाबाद के एक कालेज में उसका दाखिला भी कराया।

वर्षों से अपमान का घूंट पीते आ रहे थे दंपती

आर्थिक तंगी के चलते माता-पिता ने कैपिटल फाइनेंस कंपनी के अलावा एक अन्य फाइनेंस कंपनी से 1.50 लाख का लोन लिया था। माता ने स्वयं सहायता समूह के जरिए भी लोन लिया था।

गांव के कुछ लोगों से भी माता-पिता ने कर्ज लिया हुआ था। सात से आठ लाख रुपए के कर्ज को धीरे-धीरे कर परिवार के सदस्य चुकाने में जुटे थे। कर्ज चुकाने में असमर्थ होने पर माता पिता को अपमानित होना पड़ता था।

एक दिन किस्त देर हुई तो लगाते थे 1180 रुपए की पेनल्टी

रिंकू ने बताया कि कैपिटल फाइनेंस पिता ने करीब 28 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से पांच साल के लिए 3.50 लाख रुपए का लोन लिया था। पांच साल में करीब साढ़े छह लाख रुपए पिता संजय को चुकाने थे। पिता ने लोन लेने के बाद किस्त समय से जमा करनी शुरू की।

मगर, आर्थिक स्थिति के चलते बाद में वह समय पर किस्त जमा नहीं कर पाए। एक दिन किस्त देरी से जमा करने पर आरोपित 1180 रुपए की पेनल्टी लगाते थे। जिससे लगातार कर्ज की रकम बढ़ती जा रही थी और उसके बोझ से माता-पिता दबते जा रहे थे।

भाई ने भैंस बेचकर दिए थे 50 हजार रुपए

मृतक के भाई रामकुमार ने बताया कि उसकी व उसके दोनों भाई संजीव व पवन की पत्नियां आपस में सगी बहनें है। इसके चलते तीनों भाईयों में काफी प्रेम है। वह संजीव राणा के साथ मकान के आधे हिस्से में रहता है। उसकी भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है।

मगर, कुछ दिन पहले कर्ज की जानकारी देते हुए संजीव उसके सामने भावुक होकर रोने लगा। इस पर उसने अपनी भैंस बेच दी। भैंस बेचकर मिलने वाले रुपयों को संजीव को दे दिया। इन रुपयों को संजीव ने कर्ज उतारने में प्रयोग किया था।

कर्ज पर पेनल्टी लगाए जाने की जानकारी अभी नहीं मिली है। संजीव राणा के पुत्रों से जानकारी ली जाएगी। पीड़ित पक्ष की तहरीर मिलने पर ही मामले में आगे की कार्रवाई हो सकेगी।  - ज्ञानंजय सिंह, एसपी

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