Hapur: कृषि उड़ान योजना से माधापुर के किसान ने आय में लगाई ऊंची छलांग, इंग्लिश गाजर से किया करोड़ों का टर्नओवर
कुछ करने की ललक हो और सही रास्ता मिल जाए तो राह आसान हो जाती है। ऐसा ही कुछ सिंभावली के गांव माधापुर के रहने वाले किसान खड़ग सिंह कर दिखाया। किसान ने अपने खेतों में उगाई इंग्लिश गाजर को गल्फ देश में सप्लाई कर अपनी आय को चार गुना तक बढ़ा लिया। तीन वर्ष पहले तक अपने खेतों में गन्ना गेहूं की परंपरागत खेती खड़ग सिंह कर रहे थे।
ध्रुव शर्मा, हापुड़। कुछ करने की ललक हो और सही रास्ता मिल जाए तो राह आसान हो जाती है। ऐसा ही कुछ सिंभावली के गांव माधापुर के रहने वाले किसान खड़ग सिंह कर दिखाया। किसान ने अपने खेतों में उगाई इंग्लिश गाजर को गल्फ देश में सप्लाई कर अपनी आय को चार गुना तक बढ़ा लिया। तीन वर्ष पहले तक अपने खेतों में गन्ना, गेहूं की परंपरागत खेती खड़ग सिंह कर रहे थे, आमदनी ठीक नहीं हो पाती थी, सिर्फ घर का खर्चा ही चल पाता था। बचत के नाम पर सन्नाटा रहता था।
इस बीच किसानों की आय बढ़ाने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार ने कृषि उड़ान योजना को लागू कर दिया, जिसमें किसानों के उत्पाद पर 48 प्रतिशत तक की छूट कर दी गई। खड़ग सिंह ने कस्टम में काम करने वाले अपने दोस्त से चर्चा की तो उसने गल्फ देशों में भारत की सब्जी की मांग के बारे में बताया, जिसके बाद प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर अपनी दिशा बदल दी।
खड़ग सिंह को उसके दोस्त ने बताया कि गल्फ में इंग्लिश गाजर की काफी मांग है, इस पर उसने फ्रांस से जुबैसा बीज खरीदकर इंग्लिश गाजर की बोआई कर दी। एक एकड़ में फसल दोगुनी हुई और कीमत भी अच्छी मिली।
सकारात्मक परिणाम मिले तो दूसरे किसानों को भी इंग्लिश गाजर का उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया।
कुछ किसानों ने इंग्लिश गाजर पैदा की जिसे खड़ग सिंह ने बाजार भाव से अधिक कीमत देकर उनसे खरीद लिया। दूसरे किसानों की आय भी बढ़ी और फसल को गल्फ देशों में भेजने से खड़ग सिंह की भी आमदनी कई गुना बढ़ गई। खड़ग सिंह अपने यहां उगाई गई इंग्लिश गाजर को दुबई, सऊदी अरब, ओमान तथा कतर में सप्लाई किया, जहां उसको भारत से दस गुना अधिक दाम मिले।
ऐसी विलायती गाजर हो गई इंग्लिश गाजर
इंग्लिश गाजर में भारत में उगाई जाने वाली गाजर से रस अधिक होता है और पैदावार में भी दोगुना होती है। इसके कारण गल्फ देशों में इसकी मांग अधिक है। इसलिए कहा जाता है इंग्लिश गाजर। भारत में जो गाजर उगाई जाती है उसकी जिस समय फसल खत्म होती है उसके बाद विलायती गाजर के रूप में मंडी में मिलती थी। विलायती गाजर में सूखापन होता है। उसी का बदला हुआ रूप इंग्लिश गाजर है और इसमें रस काफी मात्रा में होता है।
उत्पादन भी बढ़ा चार गुना
भारत में बोई जाने वाली गाजर एक बीघा में अधिकतम 50 कट्टे (एक कट्टे में 48 किलो) निकलते है तो वहीं उक्त कंपनी के बीज से लाल गाजर के 100 कट्टे तक का उत्पादन होता है। जबकि पीली गाजर के 200 कट्टे तक निकलते है। गाजर को छटनी के बाद उसको जिले में ही लगे एक प्लांट में माइनस पांच डिग्री तापमान पर सैट करके उसकी गत्तों अथवा जूट में पैकिंग करके ट्रांसपोर्ट के माध्यम से शिप अथवा एयरपोर्ट तक पहुंचा दिया जाता है, जहां से उसको विदेश में भेज दिया जाता है।
शिप से भेजने पर एक किलो गाजर पर 15 रुपये तथा एयर से भेजने पर 52 रुपये प्रति किलो का खर्चा आता है। इसके अतिरिक्त माल की भारत में कीमत एवं अन्य खर्च जोड़ने के बाद करीब 20 रुपये का खर्च आता है। एक किलो गाजर पर करीब 72 रुपये का खर्चा आता है, जबकि दूसरे देशों में वह 100 रुपये प्रति किलो पर बेच दी जाती है। शिप में यह सामान 15 दिनों में तो एयर से उसी दिन वहां पहुंच जाता है, लेकिन शिप में समय अधिक लगने के कारण गलन होने का खतरा बढ़ जाता है।
छटनी से बची गाजर से भी कर दी कमाई
आम के आम गुठलियों के दाम जो गाजर छटनी के बाद बच जाती है, उसको पंजाब के अबोहर में भेजा जाता है, जहां वहां लगे प्लांट में शेष बची गाजर को चिप्स (छोटे-छोटे पीस) में बदलकर यूरोप के कई देश में एक्सपोर्ट कर दिया जाता है। वहां के लोग सलाद एवं मिक्स वेज बनाने में उसका उपयोग करते है। उन्होंने बताया कि अभी तक जिले के कुछ किसानों से गाजर खरीद की है।
चीन के माल पर भारत पड़ रहा भारी
गल्फ देश में चीन की गाजर को दस दिरम में तो भारत की गाजर को बीस दिरम में खरीदा जाता है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण भारत में उगाई गई इग्लिश गाजर में अधिक रस होना है। गाजर की पैकिंग चार किलो की होती है।
इस तरह आता है खर्च
एक बीघा में 120 ग्राम बीज की कीमत रुपये में- 3000
निराई, छटाई, भराई, दवाई का खर्चा रुपये में- 4500
जुताई, सिंचाई एवं अन्य खर्च रुपये में- 700
सरकार की मंशा के अनुरूप किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। विभाग द्वारा ही इनको इस कार्य के लिए तैयार किया गया था। -डॉक्टर हरित कुमार, जिला उद्यान अधिकारी