Hapur: गंगा ने दिखाया रौद्र रूप, खतरे के निशान के पास पहुंचा जलस्तर; गांव में पानी घुसने से कई परिवारों पर संकट
Hapur Ganga Water Level जलस्तर की बढ़ोतरी से गंगा में उफान बढ़ने पर खादर के क्षेत्र में फिर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। वहीं बिजनौर बैराज से छोड़ा गया हजारों क्यूसिक पानी आने से जलस्तर में और भी बढ़ोतरी होने का डर सता रहा है।
हापुड़ [प्रिंस शर्मा]। जलस्तर की बढ़ोतरी से गंगा में उफान बढ़ने पर खादर के क्षेत्र में फिर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। वहीं बिजनौर बैराज से छोड़ा गया हजारों क्यूसिक पानी आने से जलस्तर में और भी बढ़ोतरी होने का डर सता रहा है।
रविवार को हुई गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी होने से गंगा का जलस्तर येलो निशान 198.70 मीटर को पार कर गया है। जिसके बाद अब गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 199.33 मीटर से मात्र 53 सेंटीमीटर दूर रह गई हैं।
जलस्तर बढ़ने के बाद गंगा के टापू पर रहने वाले गंगानगर के लोगों का संपर्क टूट गया है। गंगानगर के लिए जाना वाला मार्ग पर जलस्तर से बढ़ने से डूब गया है।
ये भी पढ़ें- Hapur: रक्तदान कर नकुल राज बचा रहे लोगों की जिंदगी, अब तक चार को दे चुके हैं जीवनदान
बिजनौर बैराज से छोड़ा गया पानी बढ़ाएगा जलस्तर
पहाड़ों के साथ ही मैदानी क्षेत्र में बारिश होने के कारण गढ़ खादर क्षेत्र के गांवों में फिर से बेचैनी बढ़ती जा रही है। पिछलें दिनों गंगा के जलस्तर में कमी दर्ज की गई। लेकिन एक बार फिर से गंगा के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हो गई है। वहीं बिजनौर बैराज से रविवार की सुबह को 93 हजार 400 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।
गंगा में उफान बढऩे से सैकड़ों एकड़ निचले जंगल समेत खेतों से जुड़े संपर्क रास्तों में पानी भरने से ग्रामीणों को आवागमन में खूब दिक्कत झेलनी पड़ रही है, जबकि पहले ही बर्बादी झेल चुकी फसलों में अब फिर से नुकसान होने के कारण पशुओं के लिए घास एवं हरे चारे का संकट भी सहना पड़ रहा है।
क्या है गंगा के जलस्तर की स्थित?
बाढ़ नियंत्रण आयोग के सूत्रों का कहना है कि रविवार की दोपहर तीन बजे तक ब्रजघाट गंगा का जलस्तर बढ़कर समुद्रतल से 198.80 मीटर के निशान पर पहुंचने के बाद भी बढ़ोतरी हो रही है। जलस्तर येलो निशान 198.70 मीटर को पार कर चुका है। जबकि खतरे का निशान 199.30 से मात्र 53 सेंटीमीटर की दूरी पर है।
हजारों बीघा पालेज समेत हरी सब्जी की खेती चौपट
खादर क्षेत्र के हजारों बीघा जंगल में गंगा का पानी भर गया है, जिससे मौसमी फल-सब्जी की पालेज समेत हरी सब्जी की खेती बर्बाद हो गई है। किसानों को लाखों का नुकसान होने के साथ ही पशुओं के लिए हरा चारा भी नहीं मिल रहा है।
गंगा के टापू में बसे गांव गंगानगर में पानी घुसा
बाहर निकलने के सभी रास्ते जलमग्न होने से लोगों में दहशत फैल गई है। गंगा नदी के रौद्र रूप ने समूचे खादर क्षेत्र में दहशत फैलाई हुई है, लेकिन सर्वाधिक खतरा गंगा के रेतीले टापू में बसे गांव गंगानगर को पैदा हो गया है। रविवार को जलस्तर बढ़ने के बाद गांव में करीब दो फुट पानी भर गया है, जिससे घर-बार से लेकर हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। उफनती गंगा और चारों तरफ घना अंधेरा होने से गांव में रहने वाले 120 परिवारों को बाहर निकलने का कोई उपाय नहीं सूझ पा रहा है।
सरकारी सुविधाओं से वंचित गांव
गंगानगर निवासी संजय, हिमांशु, केशव, बाबू, मंगला बताते हैं कि गांव में सरकारी सुविधाओं का कोई लाभ नहीं मिलने से ये गांव और गांवों के तुलना में काफी पिछड़ा हुआ है। गांव में न तो बिजली है, न ही कोई अस्पताल की सुविधा है।
क्या कहते हैं अधिकारी
एसडीएम (गढ़मुक्तेश्वर) विवेक कुमार यादव ने बताया कि गंगा के बढ़ते जलस्तर को लेकर तहसीलदार को निरीक्षण करने के लिए कहा गया है। उनकी नई तैनाती हुई है। खादर क्षेत्र का निरीक्षण कर लोगों को जलस्तर के प्रति जागरुक करने के लिए कहा जा रहा है। बाढ़ राहत चौकियों को अलर्ट किया गया है। जलस्तर पर निरंतर निगाह बनाए रखने के आदेश दिए गए हैं।