तंत्र के गण : कन्याओं को शिक्षित करने के लिए खुलवाया महाविद्यालय
यूं तो हर जगह समानता की बातें जोर शोर से की जाती हैं। लेकिन भारतीय संविधान के अनुसार देश के हर नागरिक को प्राप्त समता के अधिकार का हर जगह उल्लंघन होता देखा जाता है। विशेष रूप से गांव देहात में अक्सर बेटे और बेटियों के बीच शिक्षा दिलाने तक में फर्क देखने को मिलता है।
By JagranEdited By: Updated: Mon, 21 Jan 2019 05:44 PM (IST)
धौलाना निवासी विशाल सिसौदिया विदेश की नौकरी से त्यागपत्र देकर निकल पड़े थे असमानता पर प्रहार करने
21 एचपीआर 19 ओमपाल राणा, धौलाना: नारियों को समान अधिकार दिलाने की बातें जोर शोर से की जाती हैं, लेकिन भारतीय संविधान के अनुसार देश के हर नागरिक को प्राप्त समता के अधिकार का आमतौर पर उल्लंघन किया जा रहा है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर पुत्र और पुत्री के बीच शिक्षा दिलाने तक में भेदभाव किया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 17 व 18 के तहत प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार दिया गया है। इसके अंतर्गत किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाति, ¨लग या अन्य किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले धौलाना क्षेत्र की कन्याओं के साथ उच्च शिक्षा दिलाए जाने में काफी परिवार पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हैं। हालांकि इस क्षेत्र में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो कन्याओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए हमेशा प्रयासरत हैं। इसी प्रकार के व्यक्तित्व के धनी हैं धौलाना निवासी विशाल सिसौदिया। उन्हें कन्याओं के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अक्सर परेशान करता था। उन्होंने अपने दादा जी से प्रेरणा लेकर कन्या महाविद्यालय की स्थापना की। जहां वह कन्याओं को उच्च शिक्षा दिलाते हैं। वह गांव-गांव जाकर ऐसे परिवारों की तलाश करते हैं जिनमें कन्याओं को उच्च शिक्षा से वंचित रखा जाता है। वह उनकी मदद करने के साथ परिजन को जागरूक करने का प्रयास भी करते हैं। इसके अलावा वे अपने विद्यालय की शिक्षक-शिक्षिकाओं के माध्यम से समानता के अधिकार के प्रति बालिकाओं में जागरूकता पैदा करने के लिए हर सप्ताह कक्षा लगवाते हैं।
क्षेत्र को शिक्षित करने के लिए पूर्व विधायक स्वर्गीय मेघनाथ ¨सह सिसौदिया ने पूरे उत्तर प्रदेश में अनेकों शिक्षण संस्थाएं स्थापित कीं। धौलाना में उन्होंने बालिकाओं के लिए इंटरमीडिएट तक की शिक्षा देने के लिए अलग विद्यालय स्थापित किया, लेकिन उच्च शिक्षा में अब भी बालिकाओं से पक्षपात किया जा रहा था। इस क्षेत्र के युवकों को तो क्षेत्र से बाहर स्थित महाविद्यालयों में दाखिला दिलाया जाता था, लेकिन अधिकतर युवतियों को सुरक्षा कारणों का हवाला देकर घर बैठा दिया जाता था। यही बात पूर्व विधायक के पौत्र विशाल सिसौदिया को परेशान करती रहती थी। इस भावना के कारण उन्होंने एमबीए करने के बाद विदेश की नौकरी से त्यागपत्र दिया और इस असमानता पर प्रहार करने के लिए निकल पडे़। असमानता को दूर करने का बीड़ा उठाकर उन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों से मुलाकात की। उन्हें कन्या शिक्षा और समानता के बारे में जानकारी दी। सभी ने एक ही समस्या बताई, वह थी क्षेत्र में कन्या महाविद्यालय नहीं होना। इस कारण उन्होंने कन्या महाविद्यालय की स्थापना की, जिसमें आज हजारों कन्याएं उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। इसके अलावा विशाल सिसौदिया समय-समय पर समानता के अधिकार के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं।
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