Farmers News यूपी के हापुड़ जिले के किसान गन्ना भुगतान न होने की वजह से बहुत परेशान हैं। किसानों के करीब 304 करोड़ रुपये चीनी मिलों पर बकाया हैं। ऐसे में किसान अपने घर का खर्च और बच्चों की पढ़ाई के लिए कर्ज लेने को मजबूर हैं। वहीं जिला गन्ना अधिकारी सना आफरीन ने कहा कि गन्ना भुगतान के लिए प्रयास किया जा रहा है।
ध्रुव शर्मा,
हापुड़। पिछले दो दशक में गन्ना भुगतान सही समय पर न होने का दंश झेल रहे गन्ना किसान इस बार कानूनी प्रक्रिया के चक्रव्यूह में अभिमन्यु की तरह फंस गए हैं। परेशान गन्ना किसानों को राह नहीं सूझ रही है कि वह आखिर गन्ना भुगतान के लिए किस अधिकारी के दरवाजे को खटखटाएं। हालात ऐसे हो गए है कि गन्ना किसानों को अपने कार्य करने के लिए कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ रहा है।
सिंभावली शुगर्स लिमिटेड की तीन चीनी मिल हैं। इनमें दो चीनी मिल जिले के सिंभावली और एक ब्रजनाथपुर में स्थापित है, जबकि तीसरी मिल जिला बहराइच के चिलवारिया में स्थापित है। सिंभावली शुगर्स लिमिटेड द्वारा बैंकों से फर्जी तरीके से ऋण लेकर वापस नहीं करने के मामले में इन दा नेशनल कंपनी ला ट्रिव्यूनल इलाहाबाद ब्रांच प्रयागराज द्वारा 11 जुलाई को अपने आदेश में मिलों के वित्तीय अधिकार सीज करते हुए अनुराग गोयल को कंट्रोलर के रूप में तैनात कर दिया था।
हालात इतने बदतर हो गए है कि चीनी मिलों ने जनवरी में डाले गए गन्ने का सात माह बाद भी भुगतान नहीं किया है, जबकि मिलों का पेराई सत्र बंद हुए भी चार माह बीत चुके हैं। इस बीच कानूनी प्रक्रिया के बाद से तो गन्ना भुगतान पर पूर्ण विराम लग गया है।
वर्तमान में जिले की दोनों चीनी मिलों पर 304 करोड़ 68 लाख रुपये का गन्ना भुगतान कानूनी प्रक्रिया के चलते रुका हुआ है।
कर्ज लेकर कार्य कर रहे गन्ना किसान
जिले के करीब 48 प्रतिशत कृषि क्षेत्रफल में बदहाल गन्ना भुगतान की स्थिति के बाद भी गन्ने की खेती की जाती है।यह किसान पूर्णतया गन्ना भुगतान पर आश्रित होते है। ऐसे में अपने बच्चों की पढ़ाई, घर खर्च, सामाजिक दायित्व,फसलों की बोआई, खाद, बीज आदि के लिए किसानों को कर्ज लेना पड़ रहा है।
डीएम प्रेरणा शर्मा ने कंट्रोलर अनुराग गोयल से गन्ना भुगतान सहित अन्य चीजों को लेकर प्रारूप मांगा है। हालात यह हो गए है कि 11 जुलाई के बाद से किसानों को गन्ना भुगतान के रूप में कुछ भी नहीं मिला है। परेशान किसान कानूनी प्रक्रिया में फंसकर उससे बाहर निकलने का रास्ता खोज रहे हैं। स्थिति यह है कि फिलहाल उन्हें इसका कोई रास्ता दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है।
इस वर्ष भी करना होगा इंतजार
चीनी स्टाक एवं गन्ना भुगतान के बीच करीब 104 करोड़ रुपये से अधिक का अंतर आ रहा है। ऐसे में पूर्ण संभावना है कि किसानों को अपने गन्ना भुगतान के लिए अगले पेराई सत्र का इंतजार करना होगा। यदि समय रहते गन्ना भुगतान की समस्या एवं असमंजस की स्थिति को नहीं सुधारा गया तो परेशान किसान अपना गन्ना कोल्हुओं पर भी डाल सकते है, जिससे मिलों के सामने नया संकट खड़ा हो सकता है।
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इस वर्ष भी गन्ना क्षेत्रफल घटने एवं भुगतान की नीति ठीक नहीं होने से मिलों में करीब 24 लाख क्विंटल गन्ना कम पहुंचा था। इससे मिलों का पेराई सत्र करीब एक माह पूर्व ही बंद हो गया था।
पिछले 20 दिनों से गन्ना भुगतान नहीं हुआ है, जिसके कारण गन्ना किसान परेशान है।
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कानूनी प्रक्रिया के चक्कर में हमें कर्ज लेकर अपने कार्य करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
- अजय त्यागी, गन्ना किसान
इस तरह की खेती करने का कोई फायदा नहीं है। नियमानुसार किसानों को गन्ना डालने के 14 दिनों के अंदर भुगतान मिल जाना चाहिए, लेकिन यहां सात माह बाद भी भुगतान नहीं मिल रहा है।
- भूपेंद्र सिंह, गन्ना किसान
जिले में गन्ना किसानों की संख्या--- 67700
जिले की दोनों मिलों पर बकाया -- 304 करोड़ 68 लाख रुपये
दोनों मिलों का कुल चीनी स्टाक- 04 लाख 78 हजार 580 क्विंटल
थोक दाम के हिसाब से कुल चीनी की अमूमन कीमत- 187 करोड़ रुपये
गन्ना भुगतान कराने के लिए प्रशासन गंभीर है। इसके लिए नियमानुसार प्रयास किया जा रहा है।
- सना आफरीन खान, जिला गन्ना अधिकारी
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