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यूपी में सामने आया गजब मामला, सरकार ने कर्जदार को ही मान लिया जमींदार; राशन कार्ड तक हुआ रद

Hapur News उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक गजब मामला सामने आया है। जिले में उन लोगों के राशन कार्ड Ration card रद कर दिए गए जिन्हें सरकार ने जमींदार मान लिया है। लेकिन सच यह है कि वे जमींदार नहीं बल्कि कर्जदार है। अब ऐसे में इन लोगों को मुफ्त राशन नहीं मिलेगा। पढ़िए आखिर राशन से जुड़ा पूरा मामला क्या है?

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Wed, 11 Sep 2024 03:00 PM (IST)
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हापुड़ जिले में राशन कार्ड को लेकर गजब मामला प्रकाश में आया है। फाइल फोटो
ठाकुर डीपी आर्य, हापुड़। यूपी के हापुड़ जिले में आपूर्ति विभाग के सॉफ्टवेयर ने सैकड़ों परिवारों के राशन कार्ड (Ration card) को लाक कर दिया है। जरूरतमंद होने के बावजूद इन परिवारों को अब राशन मिलना बंद हो जाएगा। इन परिवारों ने अपनी जरूरत के लिए बैंकों से ऋण लिया था।

आपूर्ति विभाग के मानक के अनुसार, बैंक द्वारा कर्ज किसी भी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति का आंकलन करके ही दिया जाता है। जो व्यक्ति बैंक के कर्ज की किस्त जमा करने में सक्षम है, उसकी आय उसके अनुरूप है। बैंकों ने ऋण देने के लिए जरूरतमंद लोगों के पेन कार्ड लगाए थे। उसके आधार पर इनकी आय राशन कार्ड की पात्रता से ज्यादा हो गई है।

वहीं, ऐसे में जिले में सैकड़ों परिवारों के राशन कार्ड निरस्त हो गए। अब इनको सरकारी राशन नहीं मिल सकेगा। आपूर्ति विभाग इनके फटेहाल को देखकर और वास्तविकता से परिचित होने के बावजूद राशन कार्ड जारी करने और राशन दिलाने में असमर्थ हैं।

यह है गाइडलाइन

राशन कार्ड पाने के लिए शासन से पात्रता निर्धारित है। एक ओर जहां कई नियम बनाए गए हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य वार्षिक आय का है। परिवार के सभी सदस्यों की आय को एक साथ जोड़कर आंकलन किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में एक परिवार की सालाना आय दो लाख और शहरी क्षेत्रों में तीन लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। ज्यादा आय होने पर राशन कार्ड निरस्त कर दिया जाता है। प्रत्येक जिले में राशन कार्ड की संख्या निर्धारित है।

वहीं, ऐसे में जिन परिवारों की आय इस निर्धारित मानक से ज्यादा हो जाती है, उनके राशन कार्ड निरस्त करके गरीबी की रेखा वाले जरूरतमंदों को दे दिए जाते हैं।

कर्ज लेने से बदल गया आर्थिक स्तर

बैंकों से कर्ज लेने से आर्थिक स्तर बदल गया। आपूर्ति विभाग के अधिकारियों का मानना है कि कर्ज देते समय बैंक आर्थिक स्थिति देखता है। यह देखा जाता है कि ऋण वापसी के लिए उसकी आय किस्त देने लायक है या नहीं। ऐसे में माना जाता है कि जब वह किस्त अदा कर सकता है तो उसकी आय उसके अनुरूप ही है। ऐसे में आर्थिक स्तर बदल जाने से वह राशन कार्ड की योग्यता से बाहर हो गए हैं। सॉफ्टवेयर ने उनके राशन कार्ड लाक कर दिए हैं। अब उनको राशन नहीं दिया जाएगा।

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लोगों का क्या कहना...

पिलखुवा में मढैया जाटान की धर्म काटे वाली गली की रहने वाली रंजना देवी राशन कार्ड की पात्रता सूची में आती हैं। उन्होंने एक जरूरत के लिए बैंक से ऋण ले लिया। जैसे-तैसे करके उसकी किस्त भुगतान करने लगे। इसके आधार पर ही उनका राशन कार्ड निरस्त कर दिया गया। अब वह राशन कार्ड पाने के लिए अधिकारियों के यहां आवेदन कर रही हैं।

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उधर, यही हाल गढ़मुक्तेश्वर के रहने वाले मनोज कुमार है। उनको परिवार के भरण-पोषण के लिए राशन कार्ड की जरूरत है। उसके बावजूद कार्ड निरस्त कर दिया गया। वह भी राशन पाने के लिए अपनी स्थिति के आधार पर पात्रता प्रस्तुत कर रहे हैं।

जिन कार्ड धारकों ने बैंक ऋण लिए हैं, नियमानुसार उनकी आर्थिकी बदल गई है। वह राशन कार्ड की पात्रता से बाहर हो गए हैं। ऋण लेने को आईटीआर दाखिल करके खुद को इतना समृद्ध दिखाया गया कि वह किस्त अदा कर पाएंगे। वास्तव में उनकी माली हालत खराब है। - डॉ. सीमा सिंह, जिला आपूर्ति अधिकारी

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