सप्ताह का साक्षात्कार: केमिकल रंगों से रहें दूर, लगाएं माइश्चराइजर क्रीम या लोशन का करें प्रयोग : डॉ. अमरजीत
होली पर लगने वाले रंगों के कारण कई प्रकार की समस्याएं हो जाती हैं। इनमें त्वचा और बालों
होली पर लगने वाले रंगों के कारण कई प्रकार की समस्याएं हो जाती हैं। इनमें त्वचा और बालों की समस्या प्रमुख है। होली पर लगने वाले रंग के कारण सबसे अधिक त्वचा की एलर्जी होती है। ऐसे में आपके लिए जरूरी हो जाता है कि आप होली के समय कुछ सावधानियां बरतें। वे कौन से टिप्स अपनाएं जाएं, जिनसे होली के रंगों से त्वचा की एलर्जी से बच पाएं। साथ ही ये सवाल भी उठता है कि होली के रंगों से त्वचा की एलर्जी होने पर क्या करें। इन्हीं समस्याओं को लेकर जागरण संवाददाता मुकुल मिश्रा ने चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अमरजीत सिंह से वार्ता की। पेश है, उसी वार्ता के प्रमुख अंश.. - संक्षिप्त परिचय --
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अमरजीत सिंह का जन्म मेरठ में वर्ष 1982 में हुआ था। मेरठ के दीवान पब्लिक स्कूल से वर्ष 1997 में दसवीं, वर्ष 1999 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। इनके पिता आरएस वर्मा मेरठ विकास प्राधिकरण में कार्यरत थे। इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वर्ष 2000 में उन्हें मेरठ के मेडिकल कालेज में प्रवेश मिल गया। वर्ष 2012 में जयपुर मेडिकल कालेज से पीजी की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद वह गाजियाबाद के सरकारी अस्पताल, कन्नौज, बदायूं समेत कई मेडिकल कालेजों में भी चिकित्सक के पद पर तैनात रहे। वर्तमान में डॉ. अमरजीत सिंह रामा मेडिकल कालेज में भी चिकित्सक के पद पर तैनात हैं। साथ ही वह पिछले करीब तीन वर्षो से गढ़ रोड स्थित क्लीनिक में लोगों को अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं।
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- होली के रंगों से त्वचा एलर्जी न हो, इससे बचाव के लिए क्या उपाय करें?
- होली खेलने से पहले त्वचा पर कोई माइश्चराइजर क्रीम या लोशन लगाएं, इससे आप एलर्जी से बच सकते हैं। होली खेलने के बाद और रंग छुड़ाने के बाद आपको त्वचा पर तुरंत कैलामाइन लोशन लगाना चाहिए, इस उपाय से आप आसानी से त्वचा की एलर्जी से बच जाएंगे।
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- होली पर लगने वाले रंगों से त्वचा पर होने वाली एलर्जी से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं?
- होली के रंगों से एलर्जी होने पर त्वचा लाल हो जाती है और खुजली होने लगती है। कई बार एलर्जी होने पर त्वचा पर लाल-लाल दाने निकल आते हैं या फिर त्वचा पर रैशेज पड़ जाते हैं। कई बार त्वचा पर घाव पड़ जाते हैं और ये जख्म बढ़कर त्वचा संक्रमण का रूप भी ले सकते हैं। होली के रंगों के कारण त्वचा एलर्जी इतनी बढ़ जाती है कि वो त्वचा कैंसर का रूप भी ले सकती हैं। इसलिए रंग के कारण त्वचा में होनी वाली परेशानियों को बढ़ने न दें और तत्काल उसका उपचार कराएं।
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- होली का सबसे ज्यादा उत्साह बच्चों में देखने को मिलता है। गहरे रंगों का उपयोग बच्चों के लिए कितना उचित है?
- बच्चों को गहरे रंगों से दूर रखें क्योंकि, बच्चों की त्वचा बहुत संवेदनशील होती है, इससे उन्हें एलर्जी हो सकती है। बच्चों को अभिभावकों द्वारा ही रंगों को पानी में अच्छी तरह से घोलकर देना चाहिए। इससे बच्चे एलर्जी से बच जाएंगे। रासायनिक रंगों का इस्तेमाल ना करें बल्कि अच्छी क्वालिटी के हर्बल रंग लें। हो सके तो टेसू के फूलों से होली खेले तो ज्यादा उचित हैं।
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- कुछ लोग त्वचा से गहरे रंगों को हटाने के लिए कपड़े धोने का साबुन या मिट्टी के तेल जैसी चीजों का उपयोग करते हैं। क्या यह भी त्वचा के लिए नुकसानदायक है?
- हां, बिल्कुल यह काफी नुकसानदायक होते हैं। त्वचा से रंग हटाने के लिए कपड़े धोने के साबुन का बिल्कुल भी प्रयोग न करें, इससे अधिक एलर्जी हो सकती है। यदि आपकी त्वचा संवेदनशील है तो आपको बिल्कुल भी त्वचा को रगड़-रगड़ कर रंग नहीं हटाना चाहिए, बल्कि हल्के हाथों से रंगों को छुटाएं। आप चाहें तो दही के इस्तेमाल से गहरे रंगों को त्वचा से हटा सकते हैं। इससे आपको एलर्जी भी नहीं होगी और आपकी त्वचा भी माइश्चराइजर होगी। मिट्टी का तेल या अन्य तरीकों का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। इससे समस्या ज्यादा विकट हो सकती है।
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- सुनने में आता है कि महिलाएं और युवतियों की त्वचा काफी संवेदनशील मानी जाती है। उनकी त्वचा को होली के रंगों से हानि न पहुंचे इसके लिए वह क्या उपाय करें?
- होली के रंगों से नाखूनों को बचाने के लिए नाखूनों पर नेल वार्निश की मालिश करनी चाहिए। होली खेलने के बाद त्वचा तथा बालों पर जमे रंगों को हटाना काफी मुश्किल है। उसके लिए सबसे पहले चेहरे को बार-बार साफ निर्मल जल से धोएं तथा इसके बाद क्लीजिग क्रीम या लोशन का लेप कर लें। कुछ समय बाद इसे गीले काटन वूल से धो डालें। आंखों के इर्द-गिर्द के क्षेत्र को हल्के-हल्के साफ करना न भूलें। क्लीजिग जैल से चेहरे पर जमें रंगों को धुलने तथा हटाने में काफी मदद मिलती है।
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- कैमिकल युक्त रंग त्वचा के लिए क्यों खतरनाक हैं?
- आधुनिक युग की होली में प्रयोग किए जाने वाले सूखे गुलाल व गीले रंगों को प्राकृतिक उत्पादों से नहीं बनाया जाता। बल्कि, उनमें अभ्रक (माइका) और सीसा (लेड) जैसे रसायनिक पदार्थ पाए जाते हैं। जिससे न केवल त्वचा में जलन पैदा होती है, बल्कि यह सब सिर की त्वचा पर जमा भी हो जाते हैं। इसलिए यह त्वचा के लिए नुकसानदायक होते हैं।