Loan Recovery: आसान लोन, बड़ी मुसीबत; झांसे में आकर गंवानी पड़ सकती है जान
हापुड़ में एक परिवार के तीन सदस्यों ने कर्ज के बोझ और फाइनेंस कंपनी के एजेंटों की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। दंपती ने निजी फाइनेंस कंपनियों से आसानी से मिलने वाला शॉर्ट टर्म लोन लिया था लेकिन ऊंची ब्याज दर और मनमानी वसूली ने उन्हें मौत के मुंह में धकेल दिया। जानिए कैसे लोन रिकवरी एजेंट लोगों का शोषण कर रहे हैं।
केशव त्यागी, हापुड़। कर्ज की मार और फाइनेंस कंपनी के एजेंटों की प्रताड़ना से आहत होकर थाना कपूरपुर क्षेत्र के गांव सपनावत के संजीव राणा उनकी पत्नी प्रेमलता व बेटी पायल मौत को गले गलाने के लिए मजबूर हो गई। दरअसल, वर्षों से दंपति व उसका परिवार आर्थिक तंगी का दौर से जूझ रहा था।
ऐसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में दंपती निजी फाइनेंस कपंनियों से आसानी से मिलने वाले शॉर्ट टर्म लोन लेने के लिए तैयार हो गए। सरकारी लोन के तुलना में यह उन्हें आसानी से मिल गया था। बस यहीं से उनकी परेशानियां कम नहीं बल्कि, इतनी बढ़ गईं कि उन्हें मौत चुननी पड़ी।
दंपती से 29 प्रतिशत तक वसूला जा रहा था ब्याज
आईआईएफएल समस्ता फाइनेंस लिमिटेड कंपनी से संजीव राणा की पत्नी प्रेमवती ने वर्ष 2023 में 40 हजार रुपये का शॉर्ट टर्म लोन लिया था। दंपती के पुत्र रिंकू ने बताया कि मां प्रतिमाह 604 रुपये किस्त और अधिकतम 516 रुपये ब्याज जमा करती थी।
ब्याज की मासिक दर 29.02 प्रतिशत थी। 52 किस्तों में कुल 52 हजार रुपये जमा किए जाने थे। 30 किस्त माता जमा कर चुकी थीं। जना स्माल फाइनेंस बैंक से भी 50 हजार का लोन लिया था। 24 माह में 1776 से शुरू होकर अधिकतम 2650 रुपये तक की किस्त जमा की जानी थी। कुल मिलकर 64476 रुपये ब्याज सहित देने थे। 19 किस्त मां दे चुकी थी।
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घरेलू सामान तक उठाकर ले जाते हैं एजेंट
फाइनेंस कंपनियां ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब तबके के लोगों की आर्थिक स्थिति व उनके भोलेपन का फायदा उठाकर उन्हें लोन देने का झांसा देती हैं। बाद में कर्ज की वसूली मनमाने ढंग से कराती हैं। दूसरी तरफ समूह के माध्यम से लोन बांटने का चलन भी बढ़ गया है।
महिलाओं का समूह लोन वितरण किया जाता है। समूह की एक महिला को किस्त समय से जमा कराने की जिम्मेदारी दी जाती है। किस्त जमा न करने वाली महिला पर समूह की अन्य महिलाओं के माध्यम से दबाव डलवाया जाता है। किस्त नहीं जमा न करने पर घर से घरेलू सामान तक उठवा लिया जाता है।
कमीशन के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं एजेंट
अधिवक्ता विकास त्यागी ने बताया कि दरअसल, लोन बकाया वसूली के लिए फाइनेंस कंपनियां एजेंट को कमीशन देती हैं। ऐसे में वसूली के लिए वह लोगों को प्रताड़ित करने लगते हैं।
इसके लिए तरह-तरह के हथकंडों का प्रयोग करते हैं। जिसके कारण मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने पर लोग मौत को गले लगाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। वहीं, गिरवी रखी संपत्ति गंवाने के चक्कर में लोग शिकायत तक नहीं कर पाते हैं।
ऊंची ब्याज दर से बढ़ जाता है कर्ज का बोझ
लीड बैंक के मैनेजर राजीव कुमार ने बताया कि निजी कंपनियों द्वारा शॉर्ट टर्म लोन आवेदन एवं डिलीवरी की प्रक्रिया बहुत तेज और आसान होती है।
आमतौर पर 24 घंटे और अधिकतम दो से तीन दिन में लोन स्वीकृत कर दिया जाता है। सरकारी लोन की तुलना में शॉर्ट टर्म लोन में ब्याज दर ऊंची होती है। इस कारण ऋण लेने वाले व्यक्ति द्वारा डिफाल्ट करने की संभावना बढ़ जाती है। जिससे व्यक्ति कर्ज के बोझ तले दबता चला जाता है।
प्रताड़ित करने पर ले सकते हैं मदद
एजेंटों से प्रताड़ित होने की स्थिति में पुलिस या मजिस्ट्रेट के पास जा शिकायत की जा सकती है। पुलिस मदद न करे तो सिविल कोर्ट में जा सकते हैं। रिजर्व बैंक के पास शिकायत की जा सकती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक ऐसे रिकवरी एजेंट पर प्रतिबंध भी लगा सकता है। -संदीप सिंह, एडीएम