Hapur News: आसपास के किसानों के बीच मिसाल बनीं गढ़मुक्तेश्वर की राजदुलारी
गढ़मुक्तेश्वर की रहने वालीं राजदुलारी ने अन्य महिलाओं के साथ पुरुषों के लिए एक उदाहरण पेश किया है। वह गांव की अन्य महिलाओं को भी खेती के लिए प्रेरित कर रही हैं। उनकी इस प्रेरणा ने महिलाओं आगे भी आ रही हैं।
By Prince SharmaEdited By: JP YadavUpdated: Sun, 30 Oct 2022 12:57 PM (IST)
हापुड़/गढ़मुक्तेश्वर, जागरण संवाददाता। मनुष्य के अंदर कुछ करने का जज्बा हो तो निश्चित ही सफलता मिलती है। यह बात हर क्षेत्र में लागू होती है, चाहे वह व्यवसाय हो या फिर खेती-किसानी। कोई काम पूरे मन से किया जाए तो मुकाम हासिल हो ही जाता है। इस कहावत को चरितार्थ किया है सिंभावली क्षेत्र के पीरनगर गांव निवासी की राजदुलारी सैनी ने। वह समूह की महिलाओं को स्वरोजगार के साथ खेती में भी हमसफर बना रही हैं।
माडल किसान बनीं राजदुलारी
अपनी मेहनत के जरिये राजदुलारी आसपास के किसानों के बीच एक मिसाल बन गई है। उन्हें कई गांवों में माडल किसान के तौर पर जाना जाता है। राजदुलारी के मुताबिक, पांच साल पूर्व कुछ महिलाओं को जोड़कर मां संतोषी महिला स्वयं सहायता समूह बनाया गया। समूह की अध्यक्ष स्वयं वह बनीं।
समूह से जुड़ी महिलाओं का बढ़ा आत्मविश्वास
राजदुलारी ने समूह की महिलाओं के साथ कड़ी मेहनत की। उन्होंने सिलाई, कढ़ाई, आचार, मुरब्बा आदि बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर व्यवसाय शुरू किया। इससे समूह से जुड़ी महिलाओं के लिए उनके परिवार की परवरिश आसानी से होने लगी। आर्थिक मजबूती मिली तो परिवार में शिक्षा का भी उजियारा हुआ। बच्चों की पढ़ाई की गति भी बढ़ी, इससे महिलाओं में कुछ करने का आत्मविश्वास भी बढ़ा।कर्ज लेकर शुरू की खेती
राजदुलारी की कोशिशों से महिला स्वयं सहायता समूह होते ही कर्ज लेकर खेती का कार्य शुरू किया। जिन महिलाओं के पास खुद की जमीन थी उन्होंने अपने तथा भूमिहीन महिलाओं ने बटाई पर खेत लेकर परंपरागत खेती के साथ ही धान, गेहूं, फूलों और सब्जियों की खेती शुरू की।मिट्टी की जांच के बाद शुरू की जाती है खेती
राजदुलारी का कहना है कि शुरू-शुरू में समूह चलाने में थोड़ी बहुत कठिनाई आई तो इसे हौंसला बनाकर अमलीजामा दिया गया। वर्तमान में महिला समूह सशक्त हो चुका है। उन्होंने अधिकांश खेती जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट के प्रयोग से करने की बात कही। राजदुलारी ने बताया कि नजदीक में मृदा परीक्षण प्रयोगशाला वह मिट्टी की भी जांच कराती है। उसके बाद वह खेती करती हैं। वे कहती हैं कि खेती से हम लोग अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं और देश भी तरक्की कर सकता है।
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