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हरदोई में 'नकली गरीबों' की कलई खुली; फर्जी लाभार्थी बन अमीरों ने हड़पी 200 बीघा जमीन, पट्टे के लिए बने अविवाहित

फर्जी लाभार्थी बनकर गरीबों के हक पर डाका डालने वालों के राजफाश हो रहे हैं। हरदोई की बिलग्राम तहसील में हकीकत सामने आने के बाद प्रशासन ने 173 पट्टे निरस्त किए हैं। गरीबों को दी जाने वाली जमीन के पट्टे के लिए खुद को भूमिहीन और विवाहित दिखाया था। करीब 11 साल से पट्टे हैं। इसके पीछे उस समय सत्तारूढ़ सपा के नेताओं की भूमिका होने के आरोप लगे हैं।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sat, 17 Aug 2024 12:19 PM (IST)
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खबर में सांकेतिक तस्वीर का उपयोग किया गया है।
आशीष त्रिवेदी, जागरण हरदोई। अधिक दिन नहीं बीते हैं यह हकीकत सामने आए कि कैसे कई जिलों में आयकरदाता फर्जी लाभार्थी बन कर गरीबों के हिस्से का सरकारी राशन डकार रहे थे। अब गरीबों के हक पर डाका का नया मामला हरदोई में सामने है।

यहां संपन्न लोग गरीबों को दी जाने वाली 200 बीघा जमीन अपने नाम पट्टा कराकर हड़प गए। इसके लिए सुख-सुविधाओं, जमीन से संपन्न होने के बावजूद खुद को भूमिहीन दिखाया, अविवाहित भी विवाहित बन गए। कुछ ग्रामीणों की शिकायत के बाद हुई जांच में नकली गरीबों की कलई खुलने के बाद प्रशासन ने 175 पट्टे निरस्त कर दिए हैं। करीब 11 साल से चले आ रहे इन फर्जी पट्टों के पीछे राजनीतिक संरक्षण की बात सामने आ रही है। उस समय के सत्तारूढ़ सपा के नेताओं की शह पर ये पट्टे अपात्रों के नाम पर किए जाने के आरोप हैं।

बिलग्राम तहसील के कई गांवों की भूमि गंगा के कटान के बाद बह गई थी, जिसके बाद भूमि को लेकर हरदोई व कन्नौज के बीच आज भी सीमा विवाद चल रहा है। इन्हीं में से एक है कटरी महादेवा, जिसका कुछ हिस्सा हरदोई तो दूसरा हिस्सा कन्नौज में भी है। गांव के भोला सिंह, जैराम, अमर सिंह, रामनिवास, विशंभर ने शिकायत की कि वर्ष 2013 में कराए गए पट्टों में सभी सुविधा संपन्न लोग हैं, जिनके पास 10 से 30 बीघा तक जमीन हैं, पक्के मकान भी हैं।

आला अधिकारी हुए हैरान

मामला डीएम कोर्ट में पहुंचा तो पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश सिंह सोमवंशी ने की। इसके बाद खुली परतों से जो राजफाश हुआ, उससे आला अधिकारी भी हतप्रभ रह गए। जांच में पट्टों की खातिर कई अविवाहित लोग विवाहित बन गए, तो कई सुहागिनें भी फर्जी विधवा बनीं। एक के पास लाइसेंसी बंदूक भी होने की पुष्टि हुई है।

पट्टा कराने वालों में 173 लोगों के तो पक्के मकान, ट्रैक्टर होने की भी पुष्टि हुई है। इन पट्टाधारकों के पिता या भाई के पास कन्नौज में 30 बीघा तक भूमि भी जांच में सामने आई है तो कई परिवार के लोग क्षेत्र पंचायत सदस्य पाए गए हैं।

डीएम ने किए पट्टे निरस्त

डीएम ने 173 पट्टों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है और एसडीएम को स्वयं मौके पर जाकर गरीब पात्रों को चिह्नित कर पट्टा आवंटन की कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक पट्टे सपा सरकार में कन्नौज व बिलग्राम के सपा नेताओं के हस्तक्षेप से कराए गए थे।

जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने कहा कि राजस्व कर्मियों व एसडीएम बिलग्राम ने बिना पात्रता की जांच के ही आवंटन कर दिया था। उस समय प्रचलित उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम का भी पालन नहीं किया गया। जो पात्र व्यक्तियों की सूची बनाई गई, उसमें कोई भूमिहीन था ही नहीं।

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भूमि पट्टा का उद्देश्य और नियम

किसी भी वर्ग के भूमिहीन और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी जमीन खेती और मकान के लिए पट्टा की जाती है। आवास के लिए जमीन मिलने पर तीन वर्ष के अंदर मकान बनाना होता है, ऐसा नहीं करने पर पट्टा खारिज हो जाता है। पात्रता के लिए गांव का मूल निवासी होना चाहिए। विवाहित होना चाहिए। 

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