मिट्टी के बने लक्ष्मी-गणेश खरीदें, इस दिवाली आपकी एक पहल... कुम्हारों का जीवन भी करेगी रोशन
दीपावली के अवसर पर, कुम्हार मिट्टी के दीपक और मूर्तियाँ बनाते हैं ताकि उनके घरों में खुशियाँ आ सकें। हमें स्थानीय कुम्हारों से मूर्तियाँ खरीदनी चाहिए, जिससे उनकी मदद हो सके। चीनी वस्तुओं के बढ़ते चलन को देखते हुए, स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना चाहिए। मिट्टी की मूर्तियाँ पर्यावरण के अनुकूल होती हैं और हमारी संस्कृति को दर्शाती हैं।

जागरण संवाददाता, हरदोई। दीपावली नजदीक आ गई है। घरों की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बाजार भी जगमगा रहे हैं, लेकिन इस चकाचौंध के बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने अपने हाथों से बने मिट्टी के दीपकों के साथ ही गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां, छोटी छोटी कलाकृतियां इसी आस से बनाकर रखी हैं, कि दीपावली पर लोग उन्हें खरीदेंगे।
तो हमारे घर में भी खुशियां आएंगी। अब मूर्तियां तो सभी को खरीद कर पूजन करना है, क्यों न इन स्थानीय कुंभकारों के हाथों की बनीं सुंदर मूर्ति खरीद कर उनका पूजन करें। उससे किसी जरूरतमंद की मदद होगी और लक्ष्मी जी और खुश होंगी।
दीपावली के बदले स्वरूप में चाइनीज वस्तुएं बढ़ती जा रही हैं, जोकि कहीं न कहीं समाज पर हर तरह का असर डालती हैं। अब पूरा देश स्वदेशी अभियान चला रहा है तो दीपावली पर हम सभी लोगों को स्वदेशी वस्तुएं ही खरीदनी चाहिए। कुंभकार तो पूरे साल दीपावली का इंतजार करते हैं।
जब उनके हाथों की बनी मूर्तियां खरीद कर पूजन करेंगे तो उनके घर तो लक्ष्मी जी आएंगी ही। आपके से लक्ष्मी जी खुश होकर खुशियों से घर भर देंगी। मिट्टी से बनी गणेश-लक्ष्मी से जहां लोगों की मदद होगी वहीं यह मूर्तियां हर तरह से अपनी रक्षा करती हैं। मिट्टी से बनी मूर्तियां आसानी से गल जाती हैं, जल स्रोतों को प्रदूषित नहीं करतीं।
हर मूर्ति में हमारे लोक-कला की खुशबू होती है, हमारी मिट्टी की पहचान होती है। इसलिए हम सभी संकल्प लें कि मिट्टी से बने गणेश लक्ष्मी से ही पूजन करेंगे। जब आप उनकी बनाई मूर्ति के साथ उनके हाथ का एक दीया जलाते हैं, तो वह सिर्फ आपके घर को ही नहीं, उनके जीवन को भी रोशन करता है।
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