Lok Sabha Election 2024: गठबंधन की राह में चुनौती बनी अंतर्कलह, हरदोई बना BJP का गढ़; क्या होगी इस बार की तस्वीर
Lok Sabha Election 2024 भारतीय जनता पार्टी का दुर्ग बन चुके हरदोई की हर सीट पर भगवा ही लहरा रहा है। बात चाहे आठों विधानसभा की करें या फिर दोनों एमएलसी की या फिर जिला पंचायत से लेकर ब्लाक प्रमुखों की कुर्सी पर भाजपा का ही कब्जा है। हरदोई से सपा और मिश्रिख से बसपा ने प्रत्याशी उतारा था लेकिन दोनों ही सीटों पर भगवा ही फहरा।
पंकज मिश्र, हरदोई। भारतीय जनता पार्टी का दुर्ग बन चुके हरदोई की हर सीट पर भगवा ही लहरा रहा है। बात चाहे आठों विधानसभा की करें या फिर दोनों एमएलसी की या फिर जिला पंचायत से लेकर ब्लाक प्रमुखों की कुर्सी पर भाजपा का ही कब्जा है। वैसे तो यह स्थिति वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी थी और इससे निपटने के लिए हाथी के साथ साइकिल मैदान में आई थी।
हरदोई से सपा और मिश्रिख से बसपा ने प्रत्याशी उतारा था, पार्टी नेताओं ने गठबंधन के प्रत्याशियों को मजबूती से लड़ाया भी था, लेकिन दोनों ही सीटों पर भगवा ही फहरा। अब इस 2024 के चुनाव में साइकिल लेकर हाथ मैदान में आया है। गठबंधन में शामिल कांग्रेस दोनों ही सीटों पर सपा प्रत्याशी को मजबूती से लड़ाने का दावा कर रही है, लेकिन कहीं न कहीं सपा की अंतर्कलह और कांग्रेस का आपसी मनमुटाव गठबंधन की राह में चुनौती है और इस पर हरदोई से पंकज मिश्र की रिपोर्ट...
जब सामने आई सपा की अंदरूनी कलह
समाजवादी पार्टी की कद्दावर नेता पूर्व सांसद ऊषा वर्मा हरदोई से प्रत्याशी घोषित होने के बाद सपा कार्यालय पहुंची तो मंच पर सपा नेताओं के बीच कांग्रेस जिलाध्यक्ष आशीष सिंह भी बैठे। लोक सभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा होती, उससे पहले ही नारेबाजी को लेकर सपा नेता आपस में ही न केवल भिड़ गए, बल्कि उनके बीच मारपीट की नौबत आ गई।तत्कालीन जिला अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह उर्फ वीरे यादव का कहना था कि हम सपाई हैं और लड़ाई का ऐसे ही आपस में अभ्यास करते रहते हैं। हालांकि इस विवाद की आग उस समय तो शांत रही, लेकिन अंदर ही अंदर सुलगती रही और आखिरकार चुनाव के बीच सपा ने वीरे यादव को जिलाध्यक्ष की कुर्सी से हटाकर पूर्व जिलाध्यक्ष शराफत अली को बैठा दिया।
कई नेताओं ने बनाई बैठक से दूरी
जिलाध्यक्ष से हटाए गए वीरे यादव का कहना था कि उनके खिलाफ नेताओं और यहां तक प्रत्याशियों ने भी लिखकर दिया। अब पार्टी ने उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी है, उसका निर्वहन करेंगे, लेकिन नवनियुक्त जिलाध्यक्ष शराफत अली की शुक्रवार को बुलाई गई बैठक में सपा का एक खेमा पूरी तरह से दूर रहा। अब सपा के गठबंधन दल कांग्रेस भले ही सपा प्रत्याशी को मजबूती से लड़ाने की बात कह रही है, लेकिन कांग्रेस कार्यालय पर गठबंधन की प्रत्याशी ऊषा वर्मा की बैठक में जिलाध्यक्ष आशीष सिंह का खेमा ही दिखा। कई पूर्व जिलाध्यक्ष और पार्टी के पदाधिकारी उस बैठक से दूर रहे बल्कि चुनावी रणनीति से लेकर प्रचार प्रसार में भी नहीं दिख रहे हैं।मनमुटाव और अंतर्कलह बनी चुनौती
हरदोई लोक सभा क्षेत्र की पांचों विधान सभा सवायजपुर, शाहाबाद, हरदोई सदर, गोपामऊ और सांडी के साथ ही मिश्रिख में आने वाली तीनों विधान सभा संडीला, बालामऊ और बिलग्राम-मल्लावां में यही स्थित दिख रही है और गठबंधन की राह में मनमुटाव और अंतर्कलह चुनौती है और इससे निपटकर पार्टी के अंदर ही सामंजस्य बनाना प्रत्याशियों के लिए उससे बड़ी चुनौती है।
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