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Bhole Baba Hathras: पुलिस की नौकरी रास नहीं आई… तो सत्संग में बनाया करियर, SI सूरज पाल सिंह बन बैठा ‘भोले बाबा’

यूपी के हाथरस में भगदड़ की घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया है। हादसे में 116 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है। भगदड़ के जिम्मेदार माने जा रहा भोले बाबा का सत्संगी करियर 15 साल पहले शुरू हुआ था। कासगंज जिले के सूरज पाल सिंह पुलिस में एसआई के पद पर तैनात थे जो नौकरी छोड़कर भोले बाबा बन गए।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Published: Wed, 03 Jul 2024 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2024 06:00 AM (IST)
कार्यक्रम स्थल पर लगा आयोजन समिति का हाेर्डिंग- जागरण ग्राफिक्स

जागरण संवाददाता, हाथरस। भोले बाबा के नाम से विख्यात यह संत हाथरस में पिछले 15 साल से सत्संग कर रहे हैं। हर साल इनके सत्संग का आयोजन जिले की विभिन्न तहसील क्षेत्रों में किया जाता है। इसके लिए पहले से ही तैयारियां की जाती है। 

18 साल पहले छोड़ दी थी नौकरी

कासगंज के पटियाली निवासी भोले बाबा ने 18 वर्ष पूर्व पुलिस की नौकरी छोड़ी। उसके बाद से सत्संग समागम शुरू कर दिया। भोले बाबा के सत्संग की शुरुआत हाथरस में करीब 15 साल से पूर्व शुरू हुआ था। 

पहली बार यह सत्संग कछपुरा के पास हुआ था। उस समय मथुरा-बरेली राजमार्ग पर कई घंटे तक जाम की स्थिति बनी रही थी। भोले बाबा अपनी पत्नी के साथ कुर्सी पर सफेद पेंट शर्ट में बैठते हैं। 

इसके बाद सत्संग समागम कार्यक्रम बागला कॉलेज के मैदान में हुआ। इसमें करीब 50 हजार से अधिक अनुयायी पहुंचे थे। फिर सासनी, सादाबाद व सिकंदराराऊ तहसील क्षेत्रों में होने लगे। सिकंदराराऊ के फुलरई में हुए सत्संग से पहले यह सत्संग सासनी में दो साल पहले हुआ था। इसमें हजारों की संख्या में अनुयायी पहुंचे थे।

पश्चिमी यूपी में विख्यात हैं भोले बाबा

कासंगज जनपद के पटियाली गांव के निवासी सूरज पाल सिंह ही प्रसिद्ध संत भोले बाबा हैं। इन्हें लोग साकार विश्व हरि, हरि बोले बाबा के नाम से जानते हैं। यह पश्चिमी यूपी में बहुत प्रसिद्ध हैं। 

इनके सत्संग जहां भी होते हैं उनमें यूपी के सभी जिलों से उनके अनुयायी पहुंचते हैं। हर शहर व गांव में इनके सेवादार बने हुए हैं। उन्हीं के माध्यम से अनुयायियों को सत्संग स्थल तक ले जाने का कार्य किया जाता है।

एसआई से बने भोले बाबा, करने लग सत्संग

कासगंज के पटियाली निवासी एसपी सिंह यूपी पुलिस में एसआई थे। वहीं से उन्होंने लोगों को सत्संग कर शुरू कर दिया था। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2006 में पुलिस की नौकरी से वीआरएस लेकर अपने गांव आ गए। 

यहीं से वह गांव-गांव जाकर सत्संग करने लगे। लोगों से चंदा मिलने लगा तो यह आयोजन बड़े होते गए। पटियाली में बहुत बड़ा आश्रम संत का बना है। वहां भी लोग पहुंचते मत्था टेकने पहुंचते हैं।

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