'बाबा क्या सिखाता है? किसी का भला हुआ हो तो बताओ', मां को खो चुका बेटा बोला- Bhole Baba को सजा दिलाई जाए
हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से 120 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। हादसे में मां को खो चुका बेटा बोला कि बाबा को सजा दिलाओ। ऐसे सेवादारों को पुलिस जेल भेजे जिनके कारण भगदड़ मची। बाबा क्या सिखाता है सत्संग में जो हम रोजाना की जिंदगी में होता है। बाबा के सत्संग से किसी एक परिवार का भला हुआ हो तो बताओ।
जागरण संवाददाता, हाथरस। सत्संग के बाद मची भगदड़ में 121 जिन लोगों की मौत हुई है उनके परिवार तीसरे दिन भी मातम से उबर नहीं पा रहे हैं। नगर के रोडवेज बस स्टेंड के पीछे नवीपुर खुर्द की 25 महिलाएं सत्संग में गईं मगर भगदड़ में दो महिलाओं की मौत हाे गईं। मोहल्ले की आसपास की गली के दोनों घरों में मातम पसरा है।
मां को हादसे में खो चुके बेटे ने कहा कि भाेले बाबा को सजा दिलाई जाए। मुकदमा दर्ज करके जेल भेजा जाए। ऐसे सेवादारों को पुलिस जेल भेजे जिनके कारण भगदड़ मची। बाबा क्या सिखाता है सत्संग में जो हम रोजाना की जिंदगी में होता है। बाबा के सत्संग से किसी एक परिवार का भला हुआ हो तो बताओ।
दूसरे परिवार की बेटी ने कहा कि मां को बाेला था कि सत्संग में मत जाना मगर वह नहीं मानी। क्या करें होता वही है जो कुदरत को मंजूर है। ऐसे भोले बाबा के खिलाफ पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए जो इतनी मौतें होने के बाद पीड़ितत परिवारों में नहीं आया। बल्कि पुलिस के डर जान बचाकर कहीं छिपा है।
बीते मंगलवार को सत्संग से लौट रहे लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ में ऐसी भगदड़ मची कि लोग एक दूसरे को पैरों तले कुचलते गए। मौके पर बिखरी चप्पलें और दुधमुंह बच्चे की दूध की बोतल और मासूम बच्चों के छूटे जूते घटना की हादसे की भयावहता को बयां करने को काफी भर थे। नगर के कई मोहल्लों से श्रद्धालु गए थे इनमें पुरुष कम बल्कि महिलाएं और छोटे बच्चों की संख्या ज्यादा थी।
महिलाएं भी अधिकांश उम्र दराज थीं क्योंकि जिंदगी के अंतिम पड़ाव में इंसान भगवान की भक्ति और सत्संग इतना लीन हो जाता है कि फिर आस्था में डूबकर नहीं देखता कि हम जिस सत्संग में जा रहे हैं वहां मूलभूत इंतजाम हैं या नहीं। हादसे में जान गवां चुकी दो महिलाआें के स्वजनों में मातम पसरा था।
भाेले बाबा के सत्संग नहीं जाना चाहिए- जुगनू
नवीपुर खुर्द के रहने वाले जुगनु अपने दरवाजे पर उदास मुद्रा के बैठे कुछ लोगों के साथ बैठे थे। मुंडन संस्कार के बाद हादसे में मर चुकी 60 वर्षीय मां मुन्नी देवी के बारे में सोच रहे थे। संवाददाता को देख बोले, आओ भाईसाहब बराबर बिठाया और बटुए से मां का फोटो निकालकर देते हुए बोले, सत्संग ने मेरी मां को छीन लिया। मना करता था कि इतनी उम्र हो चुकी है। अब सत्संग में न जाया करो मगर मोहल्ले की अन्य महिलाएं सत्संग जा रही थीं सो उनके साथ चली गईं।
सत्संग में वही तो बताया जाता है जो हमारी जिंदगी में रोजमर्रा घटता है। समझ नहीं आती कि आखिर इतनी भीड़ को ज्ञान क्या मिलता है। बाबा के सत्संग में 121 लोग मर गए। इनमें हमारी मां भी शामिल है। भगवान कभी अपने को भगवान नहीं कहता। भीड़ नहीं जुटाता। भगदड की वजह सेवादारों का भीड़ कार निकालने के लिए भीड रोकना भी रहा। इसलिए ऐसे सेवादारों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
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