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Lok Sabha Election: हाथरस से भाजपा ने जिन्हें बनाया प्रत्याशी, जानिए उनके बारे में, प्रधान से शुरू की राजनीति, दो बार बने विधायक

Hathras Lok Sabha Seat NJP Candidate हाथरस में दाऊजी मेला हो या फिर कोई और सामाजिक कार्यक्रम अनूप वाल्मीकि की उपस्थिति प्रमुखता रहती थी। इससे अन्य दावेदारों में खलबली भी देखी जाने लगी थी। लोकसभा चुनाव की बारी आते ही जब दावेदारों के नाम पर चर्चा शुरू हुई तो अनूप वाल्मीकि का नाम सबसे ऊपर चल रहा था। अंतत घोषणा उनके नाम की हो गई है।

By himanshu gupta Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sun, 24 Mar 2024 10:33 PM (IST)
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दो वर्ष से हाथरस में जमीन तैयार कर रहे थे अनूप

जागरण संवाददाता, हाथरस। विधायक और मंत्री पद मिलने के बाद अनूप वाल्मीकि ने लोकसभा को अपना लक्ष्य बना लिया था। वह हाथरस से सांसद बनने के लिए दो वर्ष से जमीन तैयार कर रहे थे। टिकट के दावेदारों में उनका नाम शुरू से ही प्रमुखता से चला। ऐन वक्त पर घोषणा भी उनके नाम की हुई है। भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित इस सीट पर उनकी दिल्ली की राह बेहद आसान मानी जा रही है।

हाथरस सुरक्षित सीट पर रहा भाजपा का दबदबा

हाथरस सुरक्षित सीट पर हमेशा ही भाजपा का दबदबा रहा है। अब तक हुए कुल 15 चुनावों में सात बार भाजपा जीती है। 2009 में भाजपा गठबंधन से रालोद प्रत्याशी लोकसभा पहुंची थीं। कांग्रेस के चार बार सांसद हाथरस लोकसभा सीट से बने हैं। दो बार जनता पार्टी और एक बार जनता दल के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। गत साढ़े तीन दशक से यहां लगातार भाजपा जीतती आ रही है।

वर्ष 1991 में भाजपा से डा. लाल बहादुर रावल चुनाव जीते। वर्ष 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार किशलाल दिलेर चुनाव जीते। वर्ष 2014 में राजेश दिवाकर और फिर 2019 में राजवीर दिलेर यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसको देखते हुए यहां से 70 से अधिक दावेदार टिकट की दौड़ में शामिल थे।

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दावेदारों में प्रमुख था नाम

अनूप वाल्मीकि का नाम दावेदारों में प्रमुखता से चल रहा था। उनके साथ-साथ वर्तमान सांसद राजवीर सिंह दिलेर, उनकी बेटी मंजू दिलेर, विधायक अंजुला माहौर का नाम भी चर्चाओं में था। अनूप वाल्मीकि बेहद शांत तरीके से टिकट की दौड़ में लगे हुए थे। हालांकि हाथरस से टिकट के लिए वह पहले से ही मन बना चुके थे। वह गत दो वर्ष से यहां जमीन तैयार कर रहे थे।

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प्रधान से शुरू की राजनीति, दो बार बने विधायक

अनूप प्रधान खैर तहसील क्षेत्र के गांव रकराना के रहने वाले हैं। रकराना धर्मपुर के प्रधान रहे। राजनीति की शुरूआत राष्ट्रीय लोकदल से की। जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में सफलता नहीं मिली। इसके बाद भाजपा में शामिल हो गए। 2012 में भाजपा के टिकट पर खैर विधानसभा क्षेत्र के भाग्य आजमाया। इसमें हार का सामना करना पड़ा। इन्हें मात्र 13.88 प्रतिशत वोट मिले थे। पार्टी में सक्रिय बने रहे।

2017 के चुनाव में पार्टी की टिकट पर जीत कर विधायक बने। 53.89 प्रतिशत वोट हासिल करके इन्होंने बसपा प्रत्याशी राकेश कुमार मौर्य को हराया। उन्हें 23.20 प्रतिशत वोट मिल सके। वर्ष 2022 के चुनाव में अनूप को दूसरी बार विधायक बनने का मौका मिला। 55.55 प्रतिशत वोट हासिल कर बसपा की चारू कैन को हराया। चारू कैन को 25.98 प्रतिशत वोट मिल सके थे। इनकी बढ़ती सक्रियता के चलते उत्तर प्रदेश सरकार में राजस्व राज्य मंत्री बनाया गया।

समाज को मिला सम्मानः अनूप

अनूप वाल्मीकि प्रापर्टी डीलिंग का काम करते रहे। उनके भाई इस काम को संभाल रहे हैं। वे 43 वर्ष के हैं। बीए पास हैं। उन्होंने कहा है कि दलित समाज के व्यक्ति को आगे बढ़ाने का काम भाजपा ही कर सकती है। भाजपा ने दो बार विधायक बनाया। फिर मंत्री बनाया। अब कसभा चुनाव में हाथरस से प्रत्याशी बनाकर समाज का सम्मान किया है। इससे वाल्मीकि, दलित सभी साथ आएंगे और जीत हासिल करेंगे।

पिछले लोकसभा दलों का वोट प्रतिशत-

दल, 2019, 2014

भाजपा, 59.43,51.87

सपा, 36.83,17.24

कांग्रेस, 2.08, -- -

बसपा, -- -20.77

(वोट प्रतिशत में है)

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