Hathras Case: खुलती जा रही हैं 121 मौतों के पीछे की परतें! क्यों मची भगदड़; न्यायिक जांच आयोग की टीम को बताई वजह
न्यायिक जांच आयोग की टीम ने हाथरस भगदड़ प्रकरण में अब तक 34 लोगों के बयान लिए हैं। बयानों में लगभग एक ही बात सामने आ रही है कि सत्संग में निकासी के लिए एक ही गेट था और सेवादारों ने श्रद्धालुओं से धक्का-मुक्की की जिसके कारण भगदड़ मची। लोगों के बयान लेने के बाद टीम लखनऊ चली गई है।
जागरण संवाददाता, हाथरस। सिकंदराराऊ के गांव फुलरई में जीटी रोड-91 के किनारे सूरजपाल (नारायण साकार विश्व हरि) के सत्संग के बाद भगदड़ के लिए क्षेत्र के लोगों ने कई वजहें बताई हैं। इनमें साकार हरि द्वारा चरण रज लेने का संदेश देने के अलावा निकासी का एक गेट और सेवादारों द्वारा धक्का-मुक्की को भी कारण माना जा रहा है।
हादसे का सच जानने के लिए न्यायिक जांच आयोग की टीम ने रविवार को पांच घंटे तक लोगों से बात की। इस दौरान 34 लोगों के बयान दर्ज किए गए। इस दौरान लोगों ने पर्याप्त इंतजाम न होने की बात कही है। टीम ने एसपी, डीएम सहित अन्य अधिकारियों के भी बयान दर्ज किए हैं। दो दिन तक जांच करने के बाद टीम देर शाम लखनऊ रवाना हो गई। जांच पूरी करने के लिए टीम जल्द वापस आएगी।
भगदड़ में 121 लोगों की जा चुकी है जान
दो जुलाई को हुए इस हादसे में 121 लोगों की जान चली गई। इसकी जांच के दूसरे दिन न्यायिक आयोग की टीम ने क्षेत्र के लोगों और पीड़ितों के स्वजन को बयान या साक्ष्य देने के लिए बुलाया था। इसके लिए अलीगढ़ रोड स्थित पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में आए लोगों से आधार कार्ड मांगे गए। उनके नाम और पते कर्मचारियों ने एक रजिस्टर में दर्ज किए। उनके मोबाइल फोन बाहर रखवा दिए गए। तलाशी लेने के बाद टीम के सामने भेजा गया। दोपहर दो बजे तक एक के बाद एक बयान दर्ज करने का दौर चला।काफिला दूसरे रास्ते से नहीं निकला
बयान देने वालों में फुलरई से सटे गांव मुगलगढ़ी, हाथरस एवं मुरसान के अलावा कुछ लोग सादाबाद के भी थे। कई लोगों ने टीम के समक्ष यह भी कहा कि अगर साकार विश्व हरि के काफिले को दूसरे रास्ते से निकाला जाता तो हादसा नहीं होता। कुछ ने आयोजन समिति के सदस्यों पर इंतजाम न करने के आरोप लगाए। इस मामले में शनिवार की रात अधिकारियों के बयान दर्ज किए गए।
इस टीम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बृजेश कुमार श्रीवास्तव, पूर्व आईएएस अधिकारी हेमंत राव और पूर्व आईपीएस अधिकारी भवेश कुमार सिंह शामिल हैं। इन्हें दो महीने में रिपोर्ट देनी है।
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