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किसानों को राहत! हाथरस में खाद संकट होगा दूर, मिलेगी 1300 MT डीएपी की रैक, खतौनी और आधार कार्ड लाना अनिवार्य

Hathras Hindi News हाथरस जिले को 15 अक्टूबर को 1300 मीट्रिक टन डीएपी की रैक प्राप्त होगी। किसानों को खाद लेने के लिए खतौनी और आधार कार्ड लाना अनिवार्य है। इस महीने जिले को 7200 मीट्रिक टन खाद मिलने की संभावना है। अक्टूबर तक डीएपी उर्वरक के लक्ष्य 21750 एमटी के सापेक्ष 21705 एमटी की आपूर्ति की जा चुकी है।

By yogesh kumar sharma Edited By: Riya Pandey Updated: Sun, 13 Oct 2024 08:07 PM (IST)
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15 अक्टूबर को हाथरस किला स्टेशन पर लग जाएगी डीएपी की रैक

जागरण संवाददाता, हाथरस। जिले में खाद का संकट दूर करने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है। हाथरस को 1300 एमटी की डीएपी की रैक 15 अक्टूबर को हाथरस किला स्टेशन पर लग जाएगी। इसके अलावा 7200 एमटी खाद इसी महीने मिलने की उम्मीद कृषि विभाग के अधिकारियों ने जताई है।

किसानों से कहा गया है कि वह खाद लेने जाएं तो साथ खतौनी और आधार कार्ड जरूर लेकर आएं। उसके बिना खाद मिलना संभव नहीं हाे सकेगा।

जिला कृषि अधिकारी आरके सिंह ने बताया कि अक्टूबर तक डीएपी उर्वरक के लक्ष्य 21750 एमटी के सापेक्ष 21705 एमटी की आपूर्ति की जा चुकी है। 16982 एमटी का वितरण हो चुका है। 4723 एमटी डीएपी अवशेष है।

एनपीके उर्वरक के लक्ष्य 6401 एमटी के सापेक्ष 7045 एमटी की आपूर्ति की जा चुकी है, 4205 एमटी का वितरण हो चुका है। उन्होंने बताया कि 7200 एमटी डीएपी अक्टूबर में जनपद में आपूर्ति होने का प्लान कृषि निदेशालय से प्राप्त हो गया है।

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आलू बुवाई से पहले पर्याप्त मात्रा में हो जाएगी डीएपी की आपूर्ति 

जनपद में 3100 एमटी डीएपी सिकंदराराऊ पीसीएफ गोदाम से समितियों को हो चुका है। आईपीएल डीएपी अलीगढ़ रैक प्वाइंट से 1025 एमटी डीएपी मिल गई है जिसे निजी उर्वरक विक्रेताओं भेजा गया है।

इफ्को डीएपी एनपीकेएस की 1300 एमटी की रैक मंगलवार तक हाथरस किला स्टेशन पर लगेगी। आलू बुवाई से पूर्व पर्याप्त मात्रा में डीएपी की आपूर्ति हो जायेगी।

वैज्ञानिकों की राय मानें किसान

आलू की फसल को वैज्ञानिक संस्तुति के अनुसार 14 किग्रा प्रति बीघा, 175 किग्रा प्रति हेक्टेयर डीएपी की आवश्यकता होती है। किसान भाई अधिकतम 20 किग्रा प्रति बीघा लगा सकते हैं, मगर किसानों के अनुसार 40-50 किग्रा डीएपी प्रति बीघा उपयोग में लायी जाती है। फसलों के द्वारा फास्फोरस उपयोग क्षमता मात्र 30-40 प्रतिशत ही है।

बाकी डीएपी अघुलनशीन रूप में भूमि में पड़ी रह जाती है, जिससे फसलों की लागत में भी वृद्धि होती है। फसलों के लिए 16 तत्वों की आवष्यकता होती है, जिसमें से डीएपी से मात्र दो तत्व फास्फोरस एवं नाइट्रोजन प्राप्त होते हैं। किसानों से अनुरोध है कि वैज्ञानिक संस्तुति के अनुसार ही डीएपी एवं अन्य उर्वरकों का प्रयोग करें एवम उर्वरक लेने को खतौनी एवम आधार अवश्य लेकर जाएं।

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