Hathras News : शुक्र अस्त देवोत्थान के बाद शुरू नहीं हो सके विवाह, 23 नवंबर से गूंजेगी शहनाई
Hathras News देव प्रबोधिनी एकादशी से शुभ कार्यों पर लगा अवरोध इस बार नहीं हट सका। अब शुक्र के उदय होने पर ही 23 नवंबर से शहनाई गूंजेगी। इसके बाद अगले वर्ष जनवरी तक आतिशबाजी के साथ बैंडबाजों की धुन पर वैवाहिक आयोजन होंगे।
By Anil KushwahaEdited By: Updated: Mon, 07 Nov 2022 09:03 AM (IST)
हाथरस, जागरण संवाददाता। Hathras News : देव प्रबोधिनी (देव उठान) एकादशी से शुभ कार्यों पर लगा अवरोध इस बार नहीं हट सका है। इसके चलते इस बार देव उठान पर वैवाहिक आयोजन नहीं हो सके। शुक्र अस्त होने के चलते मांगलिक कार्य निषिद्ध हैं। अब शुक्र के उदय होने पर ही 23 नवंबर से शहनाई गूंजेगी। इसके बाद अगले वर्ष जनवरी तक आतिशबाजी के साथ बैंडबाजों की धुन पर वैवाहिक आयोजन होंगे।
देव उठान के दिन से होती है शुभ कार्यों की शुरुआत
हिंदूू धर्म में शुभ मुहूर्त बहुत महत्व रखते हैं। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले इनका विशेष ध्यान रखा जाता है। हर बार से देवोत्थान यानि की देव उठान के दिन से ही शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस बार यह कार्य नहीं शुक्र अस्त होने के चलते नहीं हो सका। शास्त्रों में मान्यता है कि एक अक्टूबर को शुक्र अस्त हो गया था। देव शयनी एकादशी 10 जुलाई से ही देव सो गए थे। देवों के सोने के शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। तभी से देवोत्थान का पर्व का इंतजार किया जा रहा था। शुक्र के अस्त रहने से इस पर्व के बाद भी मांगलिक कार्य नहीं हो सके।23 नवंबर से शुरू होंगे कार्य मांगलिक कार्य
विवाह के मुहूर्त काल निश्चित करने में गुरु व शुक्र के अस्त के साथ देवशयनी काल को पूर्ण वर्जित माना जाता है। देव उठान एकादशी को 119 दिन बाद चातुर्मास पूर्ण हो रहा है। इस दिन अबूझ मुहुर्त मानकर विवाह संपन्न करना लोक परंपरा है, यह कोई शास्त्रीय प्रमाण प्राप्त नहीं है। शास्त्र प्रमाण के अभाव में यह शुभ मुहूर्त नहीं माने जाते हैं। 23 नवंबर को देव उदित होने के बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।इसे भी पढ़ें : Aligarh News : बदहाल है दिल्ली-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग, गड्ढों का दर्द झेल रहे वाहन
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देव उठान एकादशी को तुलसी-शालिग्राम, विष्णु-लक्ष्मी विवाह कराए जाते हैं। शुक्र अस्त होने पर मांगलिक कार्य कराए जाने का कोई शास्त्रीय प्रमाण नहीं है। इसीलिए शुक्र उदय होने के बाद ही मांगलिक कार्य शुरू होंगे। दिसंबर तक सात मुहूर्त ही शुभ बताए गए हैं।
- पं. उपेंद्रनाथ चतुर्वेदी, ज्योतिषाचार्य
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