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टूटी खिड़की, खराब सीटों के साथ दौड़ रहीं रोडवेज बसें

सर्द मौसम में खिड़की पर शीशे नहीं होने से परेशान हैं यात्री यात्रियों की शिकायतों पर भी ध्यान नहीं देते विभागीय अधिकारी।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 30 Nov 2020 12:48 AM (IST)
टूटी खिड़की, खराब सीटों के साथ दौड़ रहीं रोडवेज बसें
टूटी खिड़की, खराब सीटों के साथ दौड़ रहीं रोडवेज बसें

संवाद सहयोगी, हाथरस: रोडवेज की बसों में यात्रियों को ठंड से बचाने के लिए पर्याप्त इंतजाम तक नहीं किए गए हैं। सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है। कुछ बसों में शीशे गायब होने से यात्री ठिठुरते हुए यात्रा करने के लिए मजबूर हैं।

दीपावली से रोडवेज की सभी बसें दौड़ रही हैं। कुछ बसों में तो खिड़कियों पर शीशा तक नहीं है तो कुछ शीशे खराब हैं। इसके चलते यात्रियों को बसों में ठिठुरते हुए सफर करना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी यात्रियों को रात्रि के समय हो रही है। शीतलहर के चलते लोगों को बसों में सीधे हवा लगती है। वहीं बसों में सीटें तक टूटी हुई हैं। इन्हीं पर बैठकर यात्रियों को यात्रा करनी पड़ रही है। डिपो प्रभारी बीरी सिंह ने बताया कि बसों का संचालन कमियां दूर करने के बाद ही किया जाता है। फिर बसों को चेक कराकर उनमें कमियों को दूर करा दिया जाएगा।

विषय या घटना को महसूस

करने से प्रभावी होगा लेखन

फोटो-27

संसू, सिकंदराराऊ: हिदी पत्रकारिता एवं जनसंचार के छात्रों के लिए रचनात्मक, टीवी प्रोग्राम, फिक्शन और नॉन फिक्शन लेखन की बारीकियों से अवगत कराने के लिए रविवार को वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन कस्बे में किया गया। इसमें दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े डा. भीमराव आंबेडकर कॉलेज के छात्रों ने भाग लिया।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद पत्रकार राहुल यदुवंशी ने लेखन की तमाम विधाओं पर उदाहरण सहित प्रकाश डालते हुए रचनात्मक लेखन में इस्तेमाल होने वाली पंच लाइन, आकर्षक शीर्षक, प्लॉट निर्माण समेत विषय के महत्वपूर्ण बिदुओं को बेहद सरलता से छात्रों को समझाया। उन्होंने बताया कि कल्पनाशील लेखन करने के लिए सबसे अहम बात यह है कि पहले आप जिस विषय या घटना को लिखना चाहते हैं, उसे महसूस करें। उसके बाद जो महसूस किया है, उसे लिखने से लेखन प्रभावशाली बनेगा। संचालन छात्र शशांक वाष्र्णेय ने किया। इस मौके पर प्रोफेसर डा. बिजेंद्र कुमार, डा. शशी रानी आदि मौजूद थे।